भाजपाइयों में हार को लेकर भारी गुस्सा, सभी ने रघुवर पर साधा निशाना, हार के लिए CM रघुवर को दोषी ठहराया
भाजपा कार्यकर्ता ही नहीं, भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक भी इस करारी हार को पचा नहीं पा रहे हैं, वे इस पर अब खुलकर बोलने लगे हैं, पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा की शानदार सफलता पर जिनके मुंह बंद थे, वे विधानसभा में भाजपा को मिली करारी हार को देखने के बाद, अब खुलकर अपने ही नेता को निशाना बनाने लगे हैं।
किसी ने इस हार को लेकर आत्मचिन्तन तो किसी ने पूरी पार्टी की ओवरवायलिंग करने की बात कह डाली है, कुछ भाजपा कार्यकर्ता अपनी बातों को रखने के लिए फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो कई ने आज अटल बिहारी वाजपेयी के उनके जन्मदिन पर भाषण के दौरान अपनी बातें सहजता से रख दी।
शुरुआत की है, धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा ने उन्होंने आज अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि “हमलोग किसी के कठोर वाणी के चलते हारे हैं, सत्ता गवाएं हैं इसलिए हमें जरुरत है अपनी भाषा सुधारने की” अब इस संवाद से स्पष्ट पता लग जाता है कि उनका इशारा किस ओर था,
सच्चाई यही है कि सीएम के रुप में रघुवर दास ने अपने व्यवहार और वाणी से जनता और अपने ही कार्यकर्ताओं को पार्टी से दूर करने पर विवश कर दिया, जिसके कारण लोकसभा तो नहीं, पर विधानसभा में जनता और कार्यकर्ता ने सारी कसर निकाल दी और स्थिति अभी ऐसी है कि भाजपा के नाराज कार्यकर्ताओं ने सीएम रघुवर के हाथों में झाल बजानेवाली फोटो जमकर वायरल कर दी है, कि लो अब सत्ता गई, झाल बजाओ।
ऐसे भी संघ और संघ के आनुषांगिक संगठनों में सीएम रघुवर दास काफी अलोकप्रिय हो गये थे, और सभी इनको निशाना बनाना चाहते थे, और लीजिये “चुपेचाप चचा साफ” का सलोगन इस कदर जमीन पर उतारा, कि चचा यानी रघुवर को भनक लगने नहीं दी, और उन्हें जमशेदपुर पूर्व से हराया ही नहीं, बल्कि सत्ता से भी उखाड़ फेकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा दी, हालांकि संघ के उच्चाधिकारियों का दल एवं भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं का दल रघुवर भक्ति में डटा था, लेकिन उतना ही कार्यकर्ता रघुवर दास के खिलाफ भी था। अब जरा देखिये फेसबुक में भाजपा कार्यकर्ताओं ने क्या धमाल मचा रखा है।
चुटिया के भाजपा कार्यकर्ता मुन्ना ठाकुर लिखते है – भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर मंडल तक के पदाधिकारी इस्तीफा दें।
सुशील शुक्ला, पूर्णकालिक कार्यकर्ता भाजपा – संगठन के कमजोर व लचर क्रियाकलाप एवं शीर्ष नेताओं की हठधर्मिता के कारण झारखण्ड में ऐसी परिस्थितियां आयी, यह अटल सत्य है। केन्द्रीय नेतृत्व के लिए यक्ष प्रश्न। बदलाव की अत्यंत आवश्यकता।
सत्यनारायण सिंह – संगठन के लिए आत्मचिन्तन का समय।
रमाकांत महतो –संथाली फीका पर फिदा होना, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा व चापलूसों से घिरे रहना, विचारधारा से परे चलना, दूसरों को गाली बकना, हार का कारण बना।
वीरेन्द्र यादव – झारखण्ड में बीजेपी की हार खुद को खुदा समझने की प्रवृत्ति की हार है। दिल्ली से लेकर रांची तक के पार्टी लीडरशीप के अहंकार की हार है।
किशोर झा मालवीय – जिस झारखण्ड को आपने दिया, उसको किसी एक ने लहुलूहान कर दिया। श्रद्धेय अटल जी को नमन।
मुकेश मुक्ता – विधानसभा चुनाव में भाजपा में रहकर जिन लोगों ने भीतरघात किया हैं, इसके लिए समीक्षा बैठक के उपरांत साबित होनेवाले वैसे लोगों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ में चुनाव में गद्दारी करनेवालों को पार्टी से बाहर कर देना चाहिए।
किशोर झा मालवीय – सुना है, रघुवर जी विकास पैदा करते कार्यकर्ताओं को अब दलाल कहने लगे।