राजनीति

अभिभावक संघ के कृत्यों पर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े विद्यालय संचालकों को भारी आपत्ति, उठाए सवाल

यह देखिए तथाकथित अभिभावक संघ गैरकानूनी रूप से मजमा बनाकर बिना मास्क के जबरन विद्यालय, विद्यालय घुसकर कोविड-19 के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अभ्यावेदन दे रहे हैं। अभ्यावेदन तो मेल से भी दे सकते हैं, नहीं इन्हें तो फेसबुक पर अपना चित्र डालना है, नेतागिरी करनी है और विद्यालय के लिए सबसे जरूरी समय में सभी प्रधानाचार्य को मिलकर जबरन उनसे दबाव डालना है, आवेदन देना है।

वर्तमान समय में सबसे महत्वपूर्ण पूरे दिन का समय प्रधानाचार्य का खत्म करना है, ताकि वह फेसबुक पर चित्र लगा पाए। ये गैर कानूनी कार्य करने वाले, लोगों को कानून सिखा रहे हैं। शुल्क के नाम पर भड़का रहे हैं, इनमें से एक भी के बच्चे किसी विद्यालय में पढ़ते नहीं, तो यह अभिभावक होंगे क्या ? इनमें से एक व्यक्ति धनबाद से आए हैं, दो-चार अपने मित्रों को बुला कर लाए हैं, 15 से 20 संख्या बना लिए हैं और जय नेतागिरी शुरु। ये वक्तव्य है झारखण्ड अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अभय मिश्रा का।

अभय मिश्रा जो विवेकानन्द विद्या मंदिर से भी संबंधित है। वे अपने फेसबुक पर इनके कृत्यों को बहुत ही सुंदर ढंग से बता रहे हैं, वे कहते है कि इसमें एक केराली विघालय का चित्र है, तथा एक विवेकानन्द विद्या मंदिर का, जिसे उन सब ने अपने फेसबुक पेज पर लगाया था उनके पेज से उन्होंने निकाल कर लगाया है। वे कहते है कि उनके विघालय में भी कुछ इसी प्रकार का हुआ और इनके दिन भर के नाटक से कल यू डायस का फॉर्म नहीं भरा गया। सब काम बंद, भय का वातावरण बना सो अलग।

हजारों बच्चों का भविष्य रुक जाएगा अगर फॉर्म आज एक्सेप्ट नहीं हुआ UDias का

अभय मिश्रा सवाल उठाते हैं, वे कहते है कि 12वीं के अंकेक्षण में दो दिन विलंब हो गया। प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों का मानसिक दबाव इतना है कि आज भी वह कार्य नहीं कर पा रहे और अगर बच्चों का परीक्षा फल विलम्ब से निकलता है, तो इसका जिम्मेवार कौन होगा?समय पर अंकेक्षण सीबीएसई को नहीं भेजा जाता सिर्फ दो-चार दिन समय बचा है तो हजारों बच्चों का भविष्य रुक जाएगा, परीक्षा फल रुक जाएगा, ये लोग क्यों नहीं इस बात को समझते?

विघालय ओर बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी कौन लेगा? अभिभावक संघ। शुल्क वृद्धि के नाम पर भड़का कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़। इसकी जिम्मेदारी अभिभावक संघ लेगा क्या ? दो दिन की समय बर्बादी तथा भय के चलते शिक्षकों का कार्य न करने का जिम्मेदारी कौन लेगा, अभिभावक संघ लेगा क्या? क्या मानसिक दबाव में कल भी शिक्षक कार्य कर पाएंगे?

इन्हें अगर जो भी बातें करनी है न्यायालय में करें, सरकार के पास जाएं कानूनन अपना अधिकार का प्रयोग करें, गैरकानूनी दबाव मजमा बनाकर क्यों? कोविड-19, पांच से ऊपर संख्या साथ चलने के लिए प्रशासन की अनुमति चाहिए, धरना प्रदर्शन के लिए भी अनुमति जरुरी है। मगर यह तो मास्क भी नहीं पहनेंगे, प्रशासन से अनुमति क्यों लेंगे? ये लोग तो कानून पॉकेट में लेकर चलते हैं।

किस आदेश से यह लोग विद्यालय-विद्यालय घूम कर जांच कर रहे हैं? क्या शिक्षा विभाग बंद हो गया है और अभिभावक मंच को जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा अधिकार दिया गया है?यह विद्यालय में क्यों आते हैं, मामला न्यायालय में है, मामला सरकार के पास है तो इन्हें सरकार या न्यायालय में जाना चाहिए। क्या तरीका है।

बहुत सारे अभिभावक शुल्क नहीं दे रहे हैं, तो क्या प्रबंधन को सभी अभिभावकों के घर पर जाकर धरना प्रदर्शन देना चाहिए? गैर कानूनी कार्य करने के लिए जिम्मेदारी कौन लेगा? बच्चों के भविष्य के साथ खेलने का अधिकार, इन लोगों को किसने दिया? शुल्क वृद्धि के नाम पर यह लोग धरना प्रदर्शन का अधिकार कहां से प्राप्त कर लिए?

अभिभावक संघ को विद्यालय का जांच करने का अधिकार कहां से प्राप्त हुआ?

अगर शुल्क गैरकानूनी है तो आप उस शुल्क वृद्धि के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाए। उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय में जाकर मुकदमा करें। इस तरह का दबाव और अवैध मजमा क्यों, क्या तात्पर्य है? सिर्फ फेसबुक पर अपना फोटो डालने के लिए इतने बच्चे का भविष्य का नुक़सान क्यों ? हर गैर कानूनी कार्य का कानूनन जवाब दिया जाता है, दिया जाएगा।

अभय मिश्रा कहते है कि कोविड-19 में कौन अधिकार देता है, 30-35 का मजमा बनाकर दिन भर का कार्रवाई रोकने का। कल उनके विद्यालय में दिन भर यह लोग 15-20 आदमी मैडम के चेंबर पर बैठा रहा, यू डास का फॉर्म नहीं भरा गया और अगर आज वह एक्सेप्ट नहीं होगा तो 3000 बच्चों का भविष्य क्या जिम्मेदारी अभिभावक संघ लेगा? दो दिन से प्लस टू का अंकेक्षण काम इन लोगों के भय और दोहन के चलते रुका हुआ है। 29 तारीख तक अंतिम जमा करना है और अगर नहीं जमा हो पाया और रिजल्ट रूक गया, तो इसकी जिम्मेवारी अभिभावक संघ लेगा?

यह कौन सा तरीका है मजमा लगा कर बिना कोविड-19 के स्कूल-स्कूल घूमो, प्रधानाचार्य के कक्ष में बैठ जाओ, तमाशा करो, हस्ताक्षर करने का समझौता पर दबाव दो, यह गैरकानूनी कृत्य करने का प्रावधान इन लोगों को कहां से प्राप्त हुआ? अगर इन लोगों को इतनी परेशानी है सरकार से, तो सरकार के पास जाए, न्यायालय से परेशानी है तो न्यायालय के पास जाएं, विद्यालय पर गैरकानूनी रूप से धरना प्रदर्शन करने का कहां से अधिकार प्राप्त हुआ इनको?

क्या शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों ने इन लोगों को विद्यालय भ्रमण करके जिला शिक्षा पदाधिकारी का कार्य करने का अधिकार सौंपा है? तमाशा बना हुआ है, उच्चतम न्यायालय ने आदेश दे दिया, निर्णय दे दिया तो न्यायालय के आदेश को गलत ठहरा दें। अभय मिश्रा कहते है कि गैर कानूनी कृति गैरकानूनी होता है हमारी याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है, मुझे यह आवेदन देते हैं कि आपने मुकदमा क्यों किया? इस तरह की धमकी कैसे?

इधर, अध्यक्ष, झारखण्ड अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मीटिंग की और उस मीटिंग में इन बातों को स्वीकृति प्रदान की।

  1. झारखंड सरकार द्वारा शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए किसी प्रकार का शुल्क वृद्धि अथवा शुल्क लेने पर अधिसूचना जारी नहीं किया गया है।
  2. माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय दिया गया है की शैक्षणिक वर्ष 2020- 21 में राजस्थान के लिए 15% की छूट अभिभावकों को मिलेगी। शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में किसी भी प्रकार की छूट अभिभावकों को नहीं मिलेगी।
  3. दिल्ली उच्च न्यायालय के द्वारा दिल्ली सरकार के द्वारा लिया गया अधिसूचना शुल्क ना लेने का, को उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में खारिज कर दिया गया है।
  4. जब किसी भी प्रकार का सरकार का आदेश नहीं है तो फिर अभिभावक मंच किस प्रकार से अवैध रूप से गैर कानूनी तरीके से मजमा बनाकर सभी विद्यालयों में भ्रमण कर दबाव डाल रही है और बातें ना मानने पर धरना प्रदर्शन तथा उपायुक्त से लेकर के अनेकों जगह अभ्यावेदन।
  5. गैरकानूनी दबाव तथाकथित अभिभावक मंच के द्वारा कहां तक मान्य है।
  6. अगर इस गैरकानूनी दबाव का प्रतिकार नहीं किया गया तो क्या वास्तव में हम उस स्कूल का संचालन कर पाएंगे। आज एक अभिभावक संघ है कल क्या सैकड़ों अभिभावक संघ नहीं हो जाएंगे?

किसी समस्याओं के आलोक में बैठक जरूरी है तथा निर्णय लेकर आगे की कार्रवाई भी जरुरी है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने आदेश पारित कर दिया है कि पिछले वर्ष का शुल्क सिर्फ 15% छूट मिलेगा, इस वर्ष किसी प्रकार का छूट नहीं मिलेगा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के आलोक में दिल्ली सरकार का निकाला गया नोटिस खारिज कर दिया है। फिर भी अब ये लोग विद्यालय-विद्यालय घूम कर कल विवेकानन्द विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य को जबरन समझौता पर दस्तख़त करवा रहे थे।

One thought on “अभिभावक संघ के कृत्यों पर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े विद्यालय संचालकों को भारी आपत्ति, उठाए सवाल

  • Abhay Mishra

    They are not only doing illigal act rather they are also giving wrong law and fact …..

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