संघर्ष यात्रा से हेमन्त को मिली ताकत, जनता JMM के साथ, बारिश के बावजूद लोग जमे थे, हेमन्त को सुन रहे थे
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की पांचवी झारखण्ड संघर्ष यात्रा दो मार्च को ही समाप्त हो गई, और अन्य चार संघर्ष यात्राओं की तरह ये पांचवी संघर्ष यात्रा भी अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफलता प्राप्त कर ली। इस पांचवी झारखण्ड संघर्ष यात्रा में कई जगहों पर जनता और झामुमो कार्यकर्ताओं का प्रकृति ने परीक्षा भी लिया कि ये विपरीत परिस्थितियों में भी झारखण्ड संघर्ष यात्रा में शामिल होते है या नहीं।
जनता और कार्यकर्ता ने बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में हेमन्त की सभा में शामिल होकर बता दिया कि वे सभी झारखण्ड संघर्ष यात्रा के साथ है, हेमन्त सोरेन के साथ है। शायद इस संघर्ष यात्रा के दौरान लोगों ने संकल्प कर लिया है कि अभी नहीं तो कभी नहीं, यानी सीएम रघुवर की विदाई, झारखण्ड से कर देनी है।
जरा देखिये, झारखण्ड संघर्ष यात्रा लिट्टीपाड़ा के हिरणपुर में हैं, भारी बारिश हो रही हैं, पर क्या मजाल जनता टस से मस हो जाये, कोई छाता पकड़ें हैं, तो कोई माथे पर तौलिया–गमछा रख लिये हैं, फिर भी लोग हेमन्त सोरेन का भाषण सुन रहे हैं, युवाओं का दल फेसबुक लाइभ कर रहा हैं, यह जानते हुए कि बारिश हो रही हैं, मोबाइल खराब हो जायेगा, युवाओं का मोबाइल खराब होने का गम नहीं हैं, बस हेमन्त सोरेन का भाषण सुन रहे हैं और लोगों को फेसबुक लाइभ के माध्यम से सुना भी रहे हैं।
ऐसे में हेमन्त सोरेन क्यों नहीं गदगद होंगे, वे उस दौरान प्रसन्न भी दीखे तथा हृदय से जनता को इसके लिए आभार भी प्रकट किया। यही हाल पाकुड़ का भी था, जनता और युवाओं की भीड़ हेमन्त को सुनने के लिए बड़ी सख्या में पहुंची। शायद यहीं कारण रहा कि 2 मार्च को कांग्रेस की रांची में आयोजित रैली में हेमन्त सोरेन को रहना था, पर वे अपनी झारखण्ड संघर्ष यात्रा में अत्यंत व्यस्त रहने के कारण उपस्थित नहीं हो सकें, क्योंकि उन्हें मालूम था कि उनकी जनता, उनके लिए विभिन्न पथों पर बाट जोह रही हैं।
चाहे झाविमो के बड़े नेता प्रदीप यादव का इलाका गोड्डा का पौड़ेयाहाट हो, या भोगनाडीह का इलाका सभी जगहों पर हजारों की भीड़ ने हेमन्त का स्वागत किया तथा उन्हें समर्थन देने का भरोसा दिलाया। जहां भी गये, वहां उन्होंने केन्द्र व राज्य की सरकार को निशाना बनाया तथा जनता से कहा कि इस सरकार के रहते, झारखण्ड का कभी भला नहीं होनेवाला, इसलिए वे इस बार भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाएं।
वे जितने जगहों पर गये, हेमन्त के भाषण में अबुआ दिशोम, अबुआ शासन और अबुआ राज की झारखण्ड में स्थापना ही उनका प्रमुख बिन्दु रहा। अपने झारखण्ड संघर्ष यात्रा के इन पांच चरणों में पांच हजार किलोमीटर से भी ज्यादा की यात्रा करने के दौरान उन्होंने समस्त जनता को भरोसा दिलाया कि वे जनता की संघर्षों, बलिदानों और परेशानियों को खुब समझते हैं और जिस प्रकार से वर्तमान ऱघुवर सरकार ने केवल प्रचार–प्रसार के माध्यम से अपना चेहरा चमकाने का काम किया तथा जनता की परेशानिया बढ़ाई, यहां की जनता वर्तमान रघुवर सरकार और केन्द्र की मोदी सरकार को क्षमा करने के मूड में नहीं हैं, वह बदला लेगी और जरुर लेगी।