राजनीति

सदन में बोले हेमन्त, भाजपाइयों का व्यवहार इतना खतरनाक की आप इसकी परिकल्पना नहीं कर सकते, इतने निचले स्तर की राजनीति करते हैं कि ऐसी निचली स्तर की राजनीति आजादी के बाद कभी नहीं देखी गई

यहां का विपक्ष तो बिना खेल में भाग लिये ही अपनी हार पहले से मान ली हैं। वे सदन से भाग खड़े हुए हैं। ये लोग बोलते कुछ हैं, करते कुछ हैं, इनके इसी कार्य का परिणाम है कि देश को कुछ और भुगतना पड़ रहा है। आज खुशी इस बात की है कि लंबे अंतराल के बाद झारखण्ड को नेता प्रतिपक्ष मिला है, निश्चय ही इससे संवैधानिक संकट जो यहां उत्पन्न हो रहा था। उस पर अब विराम लगेगा। जो काम इसके कारण रुके हुए थे, अब वे अपना रूप लेंगे। ये बातें आज सदन में राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कही।

उन्होंने कहा कि वे सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय जो भारत की परम्परा रही हैं। उस परम्परा के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं। जाति-धर्म से उपर होकर सभी को एक साथ ले चलने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा दिये गये कई चुनौतियों व षडयंत्रों को झेलते हुए उनकी सरकार ने जनादेश को प्राप्त किया है और हम मजबूती से आगे बढ़े हैं। सच्चाई यह है कि देश की जनता इनके चेहरे को अब देख चुकी है और इनके चेहरे का नकाब परत दर परत खुलता जा रहा है।

हेमन्त सोरेन ने सदन में कहा कि इस राज्य में विपक्ष के नेताओं ने आयातित नेताओं, केन्द्रीय मंत्रियों और अपने मुख्यमंत्रियों को यहां खुब घुमाया और ये नेता अपने राज्यों को छोड़कर, अपनी जनता को बाढ़ में छोड़कर, भूखों मरने पर विवश कर दिया। इन नेताओं को अपने लोगों पर ध्यान नहीं था। ये विपक्षी लोग कागजों और जुबानों पर खुब बोलेंगे, लेकिन राज्य का सर्वांगीन विकास कैसे हो, इस पर वे कुछ नहीं बोलेंगे। जब जनता ने इन्हें जनादेश नहीं दिया तो ये जनादेश प्राप्त करने के लिए विधायकों/सांसदों को तोड़ने का काम करते हैं। ये चाहते है कि देश के हर राज्यों में उनका ही शासन हो।

उन्होंने कहा कि इनका व्यवहार बहुत ही खतरनाक है। इतना खतरनाक की आप इसकी परिकल्पना नहीं कर सकते। ये इतने निचले स्तर की राजनीति करते है कि ऐसी निचली स्तर की राजनीति आजादी के बाद कभी नहीं देखी गई। ये आस्था के कमजोर नसों को पकड़कर आम जनता की भावनाओं से खेलने से भी नहीं चूकते।

विपक्ष ने देश की अर्थव्यवस्था को सिर के बल खड़ा कर दिया

उन्होंने कहा कि हाल ही में कुम्भ का मेला लगा था। नेता प्रतिपक्ष उस कुम्भ मेले में स्नान करने भी गये थे। हमारी भी इच्छा थी। लेकिन जब इसके पीछे इनलोगों ने जो वातावरण बनाया, उसके कारण हम नहीं जा सकें। कुम्भ मेले का इकोनोमिकल मॉडल बनाने का प्रयास हुआ। कोई हमें बतायें कि कुम्भ मेले से अर्थव्यवस्था में सुधार हो गया क्या? आज देश की अर्थव्यवस्था आईसीयू में चली गई है। देश की अर्थव्यवस्था पैर के बल नहीं, बल्कि सिर के बल खड़ी है।

उन्होंने कहा कि ये गुनाह तो करते हैं, लेकिन उस गुनाह का इन्हें पछतावा नहीं होता और न ही उसे सुधारने का प्रयास करते हैं। फूट डालो और शासन करो की नीयत पर ये चलते हैं। जातीय वर्गीकरण के आधार पर समाज को इन्होंने ऐसा कर रखा है कि पहले मुहर्रम, रामनवमी पर कुछ हो जाया करता था, अब तो होली पर भी होने लगा। अगर देश में जातीय वर्गीकरण नहीं होता तो आज देश के सभी लोग हिन्दुस्तानी होते। उन्होंने कहा कि हम पॉजीटिव राजनीति में विश्वास रखते हैं। हम निगेटिव राजनीति नहीं करते।

उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव आगे देखने को मिलेगा। ये लोग दिशा तो दे नहीं सकते। लेकिन राज्य को जरुर भटका दिया और आज ये खुद भटक गये। जिसके कारण इनकी दिन-प्रतिदिन संख्या घटती जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले हम टू-व्हीलर से चल रहे थे। लेकिन आज सरकार फोर व्हीलर पर चल रही हैं, क्योंकि इस सरकार को चलाने में अब राज्य की जनता भी शामिल हो गई है।

ये लोग चुनाव आयोग को जूते के नीचे रखते हैं

उन्होंने कहा कि मंईयां सम्मान योजना जिसका लाभ राज्य की 57-58 लाख महिलाएं ले रही हैं। जिस पर राज्य सरकार का 13 हजार करोड़ रुपये सलाना खर्च होने हैं। उन्होंने कहा कि इस मंईयां सम्मान योजना का ही कमाल है कि आज राज्य की जनता की सोच बदल रही हैं। आज हमारी महिलाएं अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हो रही हैं। ये साधारण बात नहीं, यही बदलाव हमें आगे ले जायेंगी।

ये लोग तो चुनाव आयोग को अपने जूते के नीचे रखते हैं और सत्ता प्राप्त करते हैं। हमारी सरकार ने सर्वजन पेंशन योजना से लोगों को बड़ी संख्या में जोड़ा है। आज ढिबरी लेकर भी कोई खोजे तो एक भी गांव ऐसा नहीं मिलेगा, जहां कोई एक भी व्यक्ति सर्वजन पेंशन योजना से जुड़ा न हो। हमनें गांव की सड़कों को बेहतर बनाया है। इनके शासन में तो लोग भूख से मरते थे। किसान आत्महत्या करते थे। लेकिन आज की क्या स्थिति हैं। सबके सामने हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग आरबीआई के नियमों में बदलाव लाकर आम जनता को ठगने का काम कर रहे हैं। इस बार आरबीआई आम जनता से 8500 करोड़ रुपये की उगाही की है।

अगर परिसीमन किया तो हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे, चाहे सत्ता रहे या जाये

उन्होंने परिसीमन पर कहा कि अगर परिसीमन पर सरकार ने गड़बड़ियां की, तो वे आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे, चाहे सत्ता रहे या जाये। उन्होंने कहा कि आज असम और अंडमान निकोबार में रहनेवाले हमारे आदिवासियों की क्या स्थिति हैं। आज भी उन्हें आदिवासी का दर्जा नहीं मिल रहा। आखिर ये कौन कर रहा है। उन्हें आदिवासियों का हक क्यों नहीं दिया जा रहा। जनता हमें सहयोग करें, हम वहां के आदिवासियों को वो सहयोग देने के लिए तैयार है, जो यहां के आदिवासियों को देते हैं।

रांची बंद में बंद व्यापारियों ने किया, जो उन्हीं का समर्थन करते हैं

उन्होंने कहा कि इनका एक नेता कहता है कि संथाल परगना को इस राज्य से अलग करा दो। दूसरा नेता कहता है कि सरायकेला-खरसावां को अलग कर दो। ये लड़वाने का काम कौन कर रहा है। पता नहीं ये कौन सी यूनिवर्सिटी से डिग्री लेकर यहां आये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कल जो रांची में घटना घटी। उसको लेकर सरकार ने उचित एक्शन लिया।

उन्होंने कहा कि उनके मंत्री पीड़ित परिवार से मिले और ढाढ़ंस बंधाया कि जिसने गलत किया है। उस पर सरकार एक्शन लेगी। लेकिन इन्होंने क्या किया। रांची बंद बुलवा दिया। अरे रांची बंद में क्या होगा। व्यापारी लोग अपना दुकान बंद कर देगा। ये व्यापारी लोग किसके हैं। उन्हीं के तो हैं। बंद कर दिया। इसमें उनका क्या जायेगा। गया तो उन छोटे कर्मचारियों का, जो उनके यहां काम करते थे।

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