अपनी बात

हेमन्त सरकार ने न्यूज 11 के मालिक अरुप चटर्जी द्वारा अवैध रुप से कब्जा किये गये कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स को कराया मुक्त, भाजपा नेता चैनल के पक्ष में उतरे तो जनता ने हेमन्त सरकार व झारखण्ड पुलिस के कार्यों को सराहा

आखिरकार न्यूज 11 के मालिक अरुप चटर्जी की सारी हेकड़ी निकल ही गई। रांची के हरमू रोड स्थित पंचवटी टॉवर में बने रामावतार राजगढ़िया के कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स पर जो उसने दादागिरी कर अवैध रुप से कब्जा कर रखा था। उस कब्जे को उससे मुक्त करवाकर रांची पुलिस ने रामावतार राजगढ़िया को सौंप ही दिया तथा उक्त परिसर में लगी बिजली को भी काट दिया। बताया जाता है कि न्यूज 11 पर लाखों रुपये के राज्य सरकार के बिजली बिल भी बकाये हैं।

अरुप चटर्जी हाल ही में धनबाद के जेल में नौ महीने बीता कर भी आया है। जब उसने धनबाद के एक व्यवसायी को ब्लेकमेल करने की कोशिश की थी। जिसको लेकर उस दौरान हंगामा भी मचा था। झारखण्ड पुलिस की टीम आनन-फानन में उसे देर रात उसके आवास से उठाकर रातो रात धनबाद ले गई और उसे जेल में बंद कर दिया। अरुप चटर्जी पर कई मामले भी उस दौरान विभिन्न थानों में दर्ज किये गये थे। जिसमें कुछ मामले पर न्यायालय में केस भी चल रहे हैं।

आज जैसे ही अरुप चटर्जी द्वारा अवैध रुप से कब्जा किये गये कामर्शियल काम्पलेक्स को मुक्त कराने के लिए सुबह रांची पुलिस की टीम मजिस्ट्रेट के साथ पहुंची। उसके कार्यालय में कार्य कर रहे कर्मचारी हतप्रभ रह गये। क्योंकि अरुप चटर्जी भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली से लेकर रांची तक के बड़े नेताओं से सम्पर्क हैं।

लोगों ने देखा भी है कि जब हाल ही में झारखण्ड में विधानसभा चुनाव हुआ था तो असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी तो उसके घर तक पहुंच कर भोजन भी ग्रहण किये थे। ये लोग उससे चुनाव को लेकर राय भी लेते थे और वो राय भी देता था, जिसे ये भाजपा के नेता शिरोधार्य कर, स्वयं को कृतार्थ भी करते थे। जिसका नतीजा क्या निकला, वो भाजपा नेताओं को भी मालूम है।

हाल ही में वो देश के गृह मंत्री अमित शाह से भी मिला था। अमित शाह ने उसकी सुरक्षा में अर्द्ध सैनिक बल भी तैनात किये हैं। अरुप चटर्जी ने भी एक अच्छे भाजपा कार्यकर्ता की तरह भाजपा के नेताओं की जमकर प्रशंसा की और न्यूज 11 को भाजपा के प्रचार-प्रसार में जमकर लगा दिया। जिसको राज्य की जनता ने देखा भी। आज उसी का परिणाम भी देखने को मिला कि कुछ भाजपा नेता न्यूज 11 के कार्यालय में आज की हुई घटना से इतने व्यथित हुए कि उन्होंने ट्विट करना तक शुरु कर दिया।

लेकिन इन भाजपा नेताओं ने अरुप चटर्जी से यह पूछने की कोशिश नहीं कि वो इतने दिनों से रामावतार राजगढ़िया के कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स को किस हैसियत से अवैध रुप से कब्जा किये हुए था? इन भाजपा नेताओं ने यह नहीं पूछा कि आखिर उसकी बिजली काटी गई हैं तो कुछ तो कारण होगा, आखिर उसने लाखों रुपये का बिजली बिल का भुगतान अब तक क्यों नहीं किया?

इन भाजपा नेताओं ने अपने ही नेताओं से यह पूछने की कोशिश नहीं की कि आखिर तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने पत्र लिखकर सांसद  दीपक प्रकाश को न्यूज 11 के बारे में क्या कहा था? आखिर दिल्ली कोर्ट में केन्द्र सरकार न्यूज 11 से किस मुद्दे पर केस लड़ रही हैं? मतलब हर सही बातों में टांग अड़ाना अगर कोई सीखें तो भाजपा नेताओं से सीखें। इन भाजपा नेताओं को तो बाबूलाल मरांडी से भी पूछना चाहिए कि बाबूलाल मरांडी आखिर न्यूज 11 के अरुप चटर्जी के नाम से ही क्यों भड़कते हैं? आखिर जमशेदपुर के अल्कोर होटल के न्यूज पर न्यूज 11 ने क्या गुल खिलाया था?

दरअसल न्यूज 11 के अरुप चटर्जी के कुकृत्यों से हर वो सत्यनिष्ठ व्यक्ति परेशान है, जो सही प्रकार से जिंदगी जीना चाहता है। किसी को भी झूठे मुकदमा में फंसा देना, न्यूज 11 के अरुप चटर्जी और वहां काम करनेवाले कुछ अधिकारियों का बाये हाथ का खेल हैं। कभी वरिष्ठ पत्रकार गुंजन सिन्हा भी इसके जुल्म के शिकार हुए हैं। आखिर उनका शाप कहां जायेगा। वो तो फूटकर निकलेगा ही।

लेकिन बेशर्मीपन भाजपाइयों का देखिये। जनोपयोगी आंदोलनों के बजाय ये किसके लिए आंसू बहा रहे हैं तो अरुप चटर्जी के लिए, न्यूज 11 भारत के लिए। लेकिन आज के इसी घटना पर आम आदमी से पूछिये तो वो खुश है। वो साफ कह रहा है कि पत्रकारिता और चैनल की आड़ में आप किसी की संपत्ति हड़प लीजिये, ये तो गलत बात है। किसी की इज्जत से खेल जाइये। ये तो गलत बात है।

कोतवाली थाने में किसी सत्यनिष्ठ पत्रकार के खिलाफ झूठा मुकदमा ठोकवा दीजिये और उसके बाद अपनी धाक का इस्तेमाल कर उसके इज्जत से खेलने की कोशिश कीजिये और जब मामला उलट जाये तो अपने लोगों से कहिये कि मामला सुलझाया जाये। मतलब हद हो गई। ये भाजपावाले और अरुप चटर्जी को पता नहीं क्या हो गया।

आज की घटना ने हेमन्त सरकार की शान में और इजाफा कर दिया है। चारों तरफ हर्ष की लहर हैं। जब भाजपा के शासनकाल में अरुप चटर्जी की तूती बोलती थी और वो जो चाहे जो करता था। आज वैसा नहीं हैं। आज कानून ने अपना नगाड़ा बजाया है। किसी की हिम्मत नहीं कि कोई चैनल या अखबार की आड़ में सरकार व जनता के सम्मान के साथ खेल सकें। न्यूज 11 कार्यालय में हुई आज की घटना उसी का परिणाम है।

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