अपनी बात

विधानसभा घेराव से घबराई हेमन्त सरकार ने AJSU के आंदोलन को असफल करने के लिए हर हथकंडे अपनाएं, रांची में पुलिस के साथ कार्यकर्ताओं की हल्की झड़प, राजनीतिक दलों को CM हेमन्त ने दिया परमज्ञान

खतियान आधारित स्थानीय नीति, पिछड़ा आरक्षण व अन्य मांगों को लेकर आजसू अपने नेता सुदेश महतो के नेतृत्व में आज झारखण्ड विधानसभा का घेराव कर रांची में शक्ति प्रदर्शन करनेवाली थी, पर राज्य की हेमन्त सरकार ने साम, दाम, दंड-भेद आदि का सहारा लेकर, आजसू की सारी मंशाओं पर ही पानी फेर दिया।

रांची के जिस दलादली चौक रिंग रोड से ये विधानसभा का घेराव करने के लिए निकलनेवाले थे, पुलिस ने आगे बढने ही नहीं दिया। आजसू नेताओं ने दलादली चौक पर ही अपने गुस्से का गुब्बारा फोड़ा और चलते बने। हालांकि सुदेश महतो का ये कहना कि उनके कार्यकताओं, समर्थकों को जगह-जगह रोका जा रहा हैं, उनकी गिरफ्तारी हो रही हैं।

सड़कों पर बैरिकेड लगाकर उन्हें रोका जा रहा हैं, निषेधाज्ञा लगाई जा रही हैं। पूर्णतः सही था, क्योंकि सोशल साइट पर कई आजसू कार्यकर्ताओं ने ऐसे कई एसडीओ द्वारा जारी पत्र अपलोड किये हैं, जिससे पता लग रहा है कि हेमन्त सरकार ने इस आज के आजसू के प्रदर्शन को हवा निकालने के लिए कौन-कौन से हथकंडे अपनाएं थे।

राजनीतिक पंडितों का एक वर्ग मानता है कि आजसू के इस प्रदर्शन से सरकार खौफ खा चुकी थी, इसलिए उसने हर प्रकार के हथकंडे अपनाएं, कई कार्यकर्ताओं को एसडीओ के माध्यम से नोटिस थमवा दिये, तो कई को रास्ते में ही ट्रेन पर से उतरवा दिया, चढ़ने ही नहीं दिया, जामताड़ा रेलवे स्टेशन की घटना तो उसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।

दूसरी ओर पूरी राजधानी को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था कि ताकि विधानसभा तक कोई परिन्दा भी न पहुंच सकें, फिर भी अच्छी खासी भीड़ दलादली चौक पर आजसू नेताओं के नेतृत्व में आ ही खड़ी हुई। यहां पुलिस और आजसू कार्यकर्ताओं में थोड़ी हल्की झड़प भी हुई, जो लोकतंत्र की शोभा के काम में भी आती हैं। आजसू की आज के विधानसभा घेराव, शांतिपूर्वक गुजर जाने पर कई स्थानीय बुद्धिजीवियों ने राहत की भी सांस ली है, क्योंकि ये लोग कल से किसी अनहोनी को लेकर सशंकित थे।  

इसी बीच आजसू पार्टी के कई छोटे-बड़े नेताओं ने बयान दिया है कि आज होने वाले विधानसभा घेराव को दबाने के लिए हेमंत सोरेन सरकार ने अपने सारे तंत्रों को लगा दिया था। मुख्यमंत्री के इशारे पर झारखण्ड पुलिस के अधिकारी चुन-चुन कर आजसू कार्यकर्ताओं को नोटिस भेज रहे थे। कई आजसू कार्यकर्ताओं को बॉन्ड एवं दो जमानतदार के साथ आज एसडीओ कोर्ट में हाज़िर होने का नोटिस भी दिया गया है। इस बात में सच्चाई भी है, इसे झूठा नहीं कहा जा सकता।

आजसू नेताओं ने कहा कि झारखण्डियों की आवाज़ दबाने के लिए आज जो हेमंत सोरेन सरकार की है, ऐसा इतिहास में कभी नहीं हुआ। झारखण्ड आंदोलन के समय कांग्रेस और राजद का जो चरित्र था, वही चरित्र हेमंत सोरेन सरकार दिखाई है। झारखण्ड आंदोलन के समय कांग्रेस और राजद भी झारखण्डियों की आवाज़ दबाने के लिए लाठी-डंडे, केस-मुकदमे का सहारा लेती थी। लेकिन शायद सरकार यह भूल गयी है कि आजसू पार्टी का जन्म ही संघर्ष से हुआ है। आजसू के नेता, कार्यकर्ता और समर्थक इन केस-मुकदमों से डरते नहीं।

इसी बीच सोशल साइट फेसबुक के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को सुदेश ने चेतावनी दे दी –

हमारी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना… पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुके हैं।

संघर्ष से उपजी हुई पार्टी को लाठी-डंडों, पुलिस-बैरिकेड और केस-मुकदमे के बल से दुनिया की कोई भी सरकार चुप करा नहीं सकती। खून के अंतिम बूंद तक हम संघर्ष करेंगे। हम मिलकर लड़ेंगे और निश्चित रुप से जीत हमारी ही होगी।

इसी बीच राजनीतिक पंडितों की मानें, तो उनका कहना है कि हेमन्त सरकार ने आज कई नये हथकंडे अपनाकर कई राजनीतिक दलों को एक प्रकार से सीख भी दे दी हैं। कल कोई भी सरकार सत्ता में आयेगी तो वो अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए, अब ये नया हथकंडा अपनायेगी, यानी जब इनका आंदोलन होगा, एसडीओ उसी दिन दो जमानतदारों के साथ रुपये लेकर, अपने कार्यालय बुलायेंगे और इन कार्यकर्ताओं को जाना पड़ेगा, क्योंकि उस वक्त कोई विकल्प नहीं होगा, मतलब ज्ञान आपने ही दिया हैं, तो झेलना तो एक न एक दिन आपको भी पड़ेगा और फिर आप रोना रोयेंगे, क्योंकि लोकतंत्र में रसगुल्ला हमेशा आप ही को सिर्फ खाने को मिलेगा, ऐसा किसी संविधान में थोड़े ही लिखा है।