हेमन्त सोरेन ने 2024 के झारखण्ड विधानसभा चुनाव में बनाया इतिहास, अकेले PM मोदी और उनके पूरे कुनबे, चुनावी टूल्स बनी केन्द्रीय एजेंसियां व मोदी के इशारों पर नाच रही भांड मीडिया को अकेले चटा रहे धूल
अभिनन्दन करिये। झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का। अभिनन्दन करिये झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन का। जिनके पास न तो धनबल है और न ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह अथाह बल व शक्तियां और न ही वैसा कुनबा। जिसके बल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झारखण्ड में अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए जी-जान से जुटे हैं। वे इसके लिए केन्द्रीय जांच एजेंसियों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। वे यहां अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए चुनाव आयोग तक का अपने पक्ष में इस्तेमाल कर रहे हैं। वे अपने इशारों पर भांड मीडिया को भी अपने चरणों में लोटने को मजबूर कर रहे हैं।
लेकिन दूसरी ओर हेमन्त सोरेन यह सब जानते हुए भी अकेले इन सारे लोगों से लोहा ले रहे हैं। यहीं नहीं, ये उन सारे लोगों को धूल भी चटा रहे हैं, जो इनके विजय पथ पर रोड़ा अटकाने में लगे हैं। जो लोग झारखण्ड की राजनीति में दिलचस्पी लेते हैं। वो यह बात जानते है कि जब से हेमन्त सोरेन ने राज्य में सत्ता संभाली। तभी से वे केन्द्र में बनी मोदी सरकार और भाजपा नेताओं के आंखों में गड़ने लगे।
यहीं नहीं उसी दिन से हेमन्त सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए योजनाएं बननी शुरु हो गई। कभी ऑपरेशन लोटस चलाया गया। कभी यहां के विधायकों को तोड़कर मिलाने की कोशिश की गई। कभी चुनाव आयोग के लेटर का झांसा देकर यहां के गवर्नर रह चुके रमेश बैस ने हेमन्त सोरेन की तख्ता पलट करने की कोशिश की। कभी केन्द्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर इन्हें पांच महीने तक जेल में डालने की कोशिश की गई। तो कभी हेमन्त सोरेन द्वारा विधानसभा से पेश किये गये विधेयकों को राज्यपाल द्वारा तो कभी केन्द्र सरकार द्वारा लटकाने की कोशिश की गई।
उसके बावजूद भी यह शख्स यानी हेमन्त सोरेन, केन्द्र की सरकार यानी मोदी सरकार के आगे नहीं झूका। अब ये केन्द्र वाली मोदी सरकार क्या करें? तो वो उस चैनल के शरण में गई, जो यहां का लोकल और विवादास्पद चैनल हैं। जिस पर लगातार ब्लैकमेलिंग के आरोप लगते रहते हैं, अब भी है। जिस पर आरोप है कि वो अपने यहां काम करनेवाले कर्मचारियों तक को वेतन नहीं देता। जिसकी अपलिंकिंग व डाउनलिंकिंग की नवीनीकरण को इसी के गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा के नाम पर नवीनीकरण करने से इनकार कर दिया था। जिससे ये केन्द्र की सरकार दिल्ली हाई कोर्ट में केस भी लड़ रही थी।
आज उसी के गोद में इसके बड़े-बड़े नेता बैठ गये। उसके घर में जाकर सुस्वादु भोजन का आनन्द लिया। उससे राय भी लेने लगे। स्थिति यह हो गई कि कहनेवाले ये कहने लगे कि जिसको भाजपा का टिकट चाहिए, वो शख्स भाजपा का टिकट दिलाने में भी कामयाब होने लगा। ये स्थिति हो गई भाजपा की। उस भाजपा की जो पं. दीनदयाल उपाध्याय और डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्रों पर माल्यार्पण किये बिना एक कदम भी नहीं बढ़ती। अब तो कहनेवाले ये भी कहने लगे कि ये इनका ड्रामा दरअसल इन दोनों महान आत्माओं का प्रत्येक कार्यक्रम में उनके विचारों का श्राद्ध करने के जैसा होता है। आश्चर्य है कि यही विवादास्पद चैनल चुनाव के समय में ऐसा न्यूज प्रसारित करता है, जो चार साल पुराना है। ताकि इस प्रकार के समाचार से भाजपा को फायदा हो जाये।
विद्रोही24 के पास ऐसे अनेक प्रमाण है कि रांची में कुछ ऐसे पत्रकार हैं, जो भाजपा नेताओं से उपकृत होकर सूचना आयुक्त या अन्य आयोगों का अध्यक्ष बनना चाहते हैं। वे अभी से ही भाजपा के कार्यक्रमों और उनके नेताओं के चरणोदक पीने को उद्यत हैं और वहीं खबरें प्रसारित या प्रकाशित करवा रहे हैं, जिससे भाजपा को फायदा और झामुमो का नुकसान हो जाये। आज का प्रभात खबर द्वारा निकाला गया मोदी विशेषांक उसका एक सुंदर उदाहरण है।
कमाल है। हेमन्त सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, जहां जा रहे हैं। वहां लोगों की भीड़ टूट पड़ रही हैं। लेकिन मोदी भक्त भांड मीडिया को इनकी यह भीड़ दिखाई नहीं दे रही। इन दोनों का रोड शो नहीं दिख रहा। लेकिन मोदी व शाह का रोड शो या भाषण इन भांड मीडिया को खुब दिख रहा हैं और वे इसका समाचार भी अपने तरीके से परोस रहे हैं ताकि भाजपा को विधानसभा चुनाव में बढ़त मिल जाये।
लेकिन राजनीतिक पंडित कहते है कि झारखण्ड न तो हरियाणा है और न ही जम्मू-कश्मीर। यहां ज्यादातर जनता गांवों में रहती है और जो गांवों से शहर में आते भी हैं तो उनके दिलों और दिमाग पर न तो फेसबुक, न तो अखबार, न तो इंस्टाग्राम और न ही भांड मीडिया में काम कर रहे दलाल पत्रकारों की गतिविधियों का इन पर असर पड़ता है। ये शुद्ध हृदय के लोग, बनावटी लोगों और उनके अंदर छूपे गंदे विचारों को अच्छी तरह जान लेते हैं और उसका प्रतिकार या प्रतिवाद भी तत्काल उसी क्षण कर देते हैं।
यहीं कारण है कि मोदी के रोड शो या भाषण में पहुंचे लोग, धनाढ्य वर्गों से आते हैं। वहीं हेमन्त और कल्पना की सभा में ग्रामीणों व उदार हृदय के लोग पहुंचते हैं। जिन पर हेमन्त और कल्पना के भाषण का जादू सिर चढ़कर बोल रहा होता है। इन सभी को अब पता हो गया है कि ये सब झारखण्ड को कब्जा करने के लिए आ रहे हैं।
इसलिए वे इस बार भी बड़े-बड़े कारोबारियों के हाथों में खेलनेवाले तथा उनके लिए राजनीति करनेवाले भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं के जाल में फंसने को तैयार नहीं और यही सबसे बड़ी जीत हैं – हेमन्त सोरेन की। यही ताकत है-हेमन्त की और इसी ने इस बार के चुनाव में हेमन्त को ऐतिहासिक पुरुष बना दिया कि इतने बड़े-बड़े झंझावातों को झेलने के बाद भी हेमन्त सोरेन, पीएम मोदी और उनके कुनबे के सामने चट्टान बनकर खड़ा हैं और कह रहा हैं – हमके नाय रोके पारभी …