अपराध

हेमन्त ने शुरु किये कड़े फैसले लेना, पथ निर्माण विभाग का अभियंता प्रमुख निलंबित, जनता में खुशी की लहर

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने एक महत्वपूर्ण फैसले लेते हुए, जनता को विश्वास दिलाया कि उन्हें जिस बात के लिए सत्ता मिली है, उन वायदों से एक इंच भी पीछे वे हटने नहीं जा रहे हैं। उन्होंने कल पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख को निलंबित कर दिया, तथा विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का भी गठन कर दिया। जिससे आम जनता में खुशी की लहर दौड़ गई। ज्ञातव्य है कि पिछली सरकार में भ्रष्टाचारियों का बोलबाला था, वे आराम से भ्रष्टाचार को सदाचार कहकर वो सारी मनमानियां करते थे, जिसे सही नहीं ठहराया जा सकता।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अभियंता प्रमुख रास बिहारी सिंह को निलंबन करने के बाद, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का भी आदेश निर्गत कराया है। हेमन्त सोरेन ने 2016 के बाद से लेकर अब तक जितने भी विभाग द्वारा टेंडर निकाले गये हैं, उसकी जांच कराने के आदेश दिये है। ज्ञातव्य है कि पथ निर्माण विभाग में शेड्यूल ऑफ रेट, टेंडर को निष्पादित करने में प्रक्रियाओं के उल्लंघन, दस प्रतिशत से कम दर पर निविदाओं को फाइनल करने में भारी अनियमितता पाई गई है।

बताया जाता है कि अपर मुख्य सचिव योजना सह वित्त विभाग की अध्यक्षता में दिनांक 30.12.2019 को कार्य विभागों में प्रभृत अनुसूचित दर की समीक्षा के उपरान्त पाया गया कि एक समान कार्य के लिए राज्य के दो विभागों जैसे पथ निर्माण विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग में असमान दर का प्रावधान किया गया है। जिसमें सड़क कार्य में प्रयुक्त होनेवाले एक विशिष्ट ग्रैन्यूल सब बेस हेतु पथ निर्माण विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग की दरों की तुलनात्मक समीक्षा के साथ जानकारी दी गई थी कि पथ निर्माण विभाग में प्रयुक्त होनेवाली दर, भार आधारित थी, जिसमें 450 टन के लिए एक किलोमीटर लीड का खर्च 1205.28 रुपये हैं, वहीं ग्रामीण विकास विभाग में यह दर समय  को आधार बना निर्धारित कर 13,776 रुपये किया गया है।

इन असमानताओं की वजह से वित्तीय अनियमितता के कारण राज्यकोष पर हुई क्षति के आकार का आकलन विस्तृत जांच के उपरांत ही किया जाना संभव है, परन्तु इस वित्तीय अनियमितता का स्रोत अनुसूचित दर पुस्तिका में समाहित होना प्रमाणित होता है। स्पष्ट है कि एसओआर के अध्यक्ष/संयोजक के रुप में रास बिहारी सिंह द्वारा अपने कर्तव्य पालन में लापरवाही बरतने एवं गलत एसओआर निर्धारित करने के कारण सरकारी धन का गबन/अपव्यय हुआ है। इस संबंध में रास बिहारी सिंह से स्पष्टीकरण भी मांगा गया, पर विभाग उनके स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं है।

रास बिहारी सिंह एक अन्य मामले में भी फंसते नजर आ रहे हैं। बताया जाता है कि यूनिक कंस्ट्रक्शन सूरत को 51.62 करोड़ का कार्य आवंटित किया गया है। संवेदक को माह सितम्बर 2019 तक कुल 7.65 करोड़ का भुगतान किया गया है। जिसमें चार करोड़ का मोबिलाइजेशन एडवांस भी शामिल है। अंकेक्षण प्रतिवेदन में इस योजना के संबंध में गंभीर आपत्तियां प्रतिवेदित की गई है। इस कार्य के धीमी प्रगति के कारण अभियंता प्रमुख, पथ निर्माण विभाग झारखण्ड रांची द्वारा संवेदक को डेबार कर दिया गया।

डेबार नोटिस के जवाब में कम्पनी द्वारा सूचित किया गया कि उनके द्वारा झारखण्ड राज्य में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है, न ही उन्होंने पथ निर्माण विभाग झारखण्ड रांची से कोई अग्रिम राशि ली है, साथ ही कंपनी द्वारा इस कार्य के जांच का अनुरोध भी किया गया, परन्तु इस दिशा में अब तक कोई अपेक्षित परिणाम नहीं हुआ, इससे स्पष्ट है कि फर्जी कागजात के आधार पर किसी ने निविदा डाला, कार्यादेश पाया तथा मोबिलाइजेशन एडवांस भी प्राप्त किया, जो सरकारी राशि के गबन का एक अद्भुत उदाहरण है।