हेमन्त ने केन्द्रीय बजट को देश के लिए खतरनाक एवं गरीब-किसानों-युवाओं के लिए बताया विनाशकारी
राज्य की प्रमुख विपक्षी दल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज पेश किये गये 2019-20 के केन्द्रीय बजट की तीखी आलोचना की है। झामुमो का कहना है कि यह केन्द्रीय बजट ढोल की तरह है। जिसमे आवाज तो दूर तक सुनाई पड़ती है लेकिन उसके अंदर केवल खोखला ही रहता है।
सामाजिक सरोकार के बुनियादी जरूरतों से मोह मोड़ कर राष्ट्रीय परिसंपत्तियों को एक दर्जन कारपोरेट घरानों के हांथो बेच कर देश को लूटने एवं ठगने वाला यह बजट का सरोकार शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण रोजगार, महिला सशक्तिकरण एवं बेरोजगारी को अनदेखी करने वाला है। बीमा, बैंक, कृषि, उपभोक्ता क्षेत्र तथा मीडिया में पूर्णतः वैश्विक संस्थानों का अबाध स्वामित्व राष्ट्र के संप्रभुता के साथ प्रहसन करने वाला प्रयास होगा।
केन्द्रीय बजट भाषण पर पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष सह नेता प्रतिपक्ष, झारखण्ड विधान सभा हेमन्त सोरेन ने कहा कि यह बजट भाषण रोते बच्चों को सुलाने के लिए नानी की कहानी की तरह है। कितना रूपया आएगा, कितना खर्च होगा, कहां खर्च होगा, किस क्षेत्र को कितना रुपया मिलेगा जब यह बताया ही नहीं गया तो यह बजट भाषण कैसे है? आम जनता के लिए क्या संभव है – बजट की मोटी मोटी किताब पढ़ना। कर्ज लेकर, संपत्ति बेचकर, घी पीयो, इस बजट का मूल अर्थ नीति है।
हेमन्त सोरेन ने कहा कि एक लाख करोड़ रुपए सरकारी कंपनियों को बेच कर कमाया जाएगा। देश के गरीबों और शोषितों के लिए आने वाले दिनों में इससे सरकारी कंपनियों में रोजगार के अवसर भी खत्म होंगे और नौकरियों में आरक्षण भी समाप्त होगा। रेलवे का निजीकरण और मीडिया में विदेशी निवेश देश के लिए खतरनाक है। यह पहले से नतमस्तक मीडिया को और भी बांधने और धमकाने की साजिश है। बैंकों को दिवाला कर मोदी और माल्या लंदन में मौज कर रहे हैं और सरकार गरीब के टैक्स के पैसे से इन दिवाला हुए बैंकों को जिंदा करेगी। 70 हजार करोड़ सरकारी बैंकों को दिए जाएंगे।
हेमन्त सोरेन ने यह भी कहा कि मध्यमवर्ग और वेतन भोगी को टैक्स में कोई राहत नहीं दी गई है। सिर्फ 400 करोड़ रुपए तक वाली कंपनियों और व्यापारियों को टैक्स में छूट दी गई। पेट्रोल और डीजल पर सरचार्ज ₹1 प्रति लीटर सेस लगाकर देश के हर एक जनता पर टैक्स थोप दिया गया।
सरकार अगर पेट्रोल–डीजल पर एक्साइज टैक्स बढ़ाती तो जो पैसा आता उसमें राज्यों की भी हिस्सेदारी होती लेकिन सरचार्ज (सेस) से आने वाले पैसों में राज्यों को हिस्सेदारी नहीं मिलती है। झारखंड की जनता डीजल पेट्रोल पर टैक्स तो देगी लेकिन झारखंड सरकार को जनता पर खर्च करने के लिए उसमें से पैसे नहीं मिलेंगे। यह राज्य सरकारों को गुलाम बनाने की साजिश है। कुल मिलाकर यह बजट खतरनाक तथा गरीब, किसान, नौजवानों के लिए विनाशकारी है। जुमलों का बाजार फिर से सज गया है।