अपनी बात

हेमन्त का विकल्प अब रघुवर नहीं हो सकते, भाजपा को झारखण्ड में ओवरवायलिंग की आवश्यकता

25 जनवरी को राजभवन के समक्ष राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा ने एक धरना का आयोजन किया। यह धरना भाजपाइयों ने इसलिए शुरु किया, क्योंकि उसका मानना है कि झामुमो-कांग्रेस-राजद  की सरकार ने राष्ट्र विरोधी शक्तियों को प्रश्रय देना शुरु कर दिया है, जिसके कारण राज्य में लगातार हिंसक घटनाएं बढ़ रही है।

बाद में इनका एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन भी दिया, जिसमें लोहरदगा में सीएए के समर्थन में निकाली गई शांतिपूर्ण रैली पर पथराव और आगजनी के दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करने एवं आदिवासियों के नरसंहार को लेकर चर्चा थी। प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं की मांग थी कि मृतकों के परिवार के सदस्य को एक नौकरी, 20 लाख रुपये की मुआवजा, सरकारी खर्च पर इलाज कराने तथा आगजनी की क्षतिपूर्ति करने की मांग की गई थी।

अब सवाल उठता है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री, वह भी एक महीने पहले रह चुके रघुवर दास क्या बता सकते है कि राज्य में उनके शासनकाल में जो हिंसक घटनाएं घटी, जिसके कई लोग शिकार हुए, उनमें से कितने लोगों को उन्होंने 20 लाख रुपये थमाए। सच्चाई तो यह है कि बकोरिया कांड उनके शासनकाल का इतना बड़ा धब्बा है, जिसका दाग वे किसी भी जिंदगी में नहीं छुड़ा पायेंगे।

बकोरिया कांड की जितनी निन्दा की जाय, वह कम है अर्थात् जिनके शासनकाल में एक से एक कांड हुए और जिसमें राज्य पुलिस पूरी तरह नंगी हो गई, उसके बाद भी उन पुलिस पदाधिकारियों पर इनकी हिम्मत नहीं हुई, कि कार्रवाई करें, उलटे उन्हें बचाने में खुब ताकत लगा दी, ये अलग बात है कि मामला सीबीआई फिलहाल देख रही हैं, इसलिए जरा ये सब धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन देने के पूर्व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए।

शायद भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को मालूम नहीं कि फिलहाल झारखण्ड की जनता रघुवर दास से दूरियां बनाने लगी है, दूरियां बनाने के कई कारण भी हैं, इसलिए अब राष्ट्रीय स्तर के नेता ये सोच रहे है कि रघुवर दास को आगे कर, वे पुनः भाजपा को राज्य में पुनर्स्थापित कर लेंगे तो ये उनकी भूल है, क्योंकि हेमन्त ने बहुत ही कम समय में इतनी बड़ी लकीर खींच दी है कि अब रघुवर, हेमन्त के विकल्प नहीं हो सकते।

हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड की जनता में इस प्रकार तेजी से पैठ बना ली है और बनाते जा रहे हैं, उनकी इस पैठ को तोड़ पाना, रघुवर दास, अर्जुन मुंडा या बाबू लाल मरांडी के वश की बात नहीं। हेमन्त सोरेन की तोड़ के लिए नये सिरे से उपाय करने होंगे, उनके लिए एक नया नेता उस जैसा भाजपा में पहले तैयार करना होगा, जो फिलहाल नहीं है, और उधार के नेता से किसी पार्टी का आज तक भला नहीं हुआ, ये भाजपाइयों को समझ लेना चाहिए।

जो भाजपा के संगठन मंत्री का जिम्मा संभाले हुए हैं, उन्हें भी राज्य से बाहर की जिम्मेदारी देनी चाहिए, साथ ही ऐसे व्यक्ति को सामने लाना चाहिए, जिस पर कोई दाग नहीं हो, और सभी को स्वीकार हो, क्योंकि फिलहाल भाजपा में जो भी अभी पदाधिकारी बनकर इतरा रहे हैं, उनकी इतनी भी ताकत नहीं कि एक नुक्कड़ सभा को भी संबोधित कर सकें, ऐसे नेता बनने के लिए कहिये, या टीवी पर मुंह चमकाने के लिए बोलिये तो सब आगे – आगे रहेंगे, यानी नीचे से लेकर उपर तक जब तक ओवर वायलिंग नहीं होगा, अध्यक्ष से लेकर निचले स्तर तक जब तक सभी को बदला नहीं जायेगा, भाजपा यहां फिर से स्थापित नहीं हो सकती, ये शीर्षस्थ नेताओं को समझ लेना चाहिए।