इधर मतदान के चरण बढ़े, उधर हेमन्त सोरेन जनता के बीच सर्वग्राह्य हुए, झामुमो का मान भी बढ़ाया
पूत कपूत तो का धन संचै, पूत सपूत तो का धन संचै। इस लोकोक्ति को वर्तमान नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने आखिरकार सार्थक कर दिया। हेमन्त सोरेन ने अपने विरोधियों को बता दिया कि वो सपूत हैं और अपने पिता दिशोम गुरु शिबू सोरेन द्वारा पोषित एवं सिंचिंत पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को कैसे आगे बढ़ाना हैं, कैसे उसे शिखर पर लाना है, अच्छी तरह जानते हैं।
हेमन्त सोरेन आज झारखण्ड के युवाओं के बीच अच्छे खासे लोकप्रिय है। दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक ही नहीं, बल्कि सवर्ण युवाओं के बीच भी इनकी अच्छी पकड़ हैं। उनकी सहृदयता, वाणी में मधुरता तथा सबको सम्मान देने की उनकी प्रवृत्ति उन्हें आज के राजनीतिज्ञों से अलग करती है।
आज के युग में जहां मीडिया पैसों के लिए बिक चुकी हैं, जहां अखबार के सम्पादकीय पेज तक पैसों पर बिकते हैं, जहां चैनलों के स्लॉट तक बिकते हैं, वहां ऐसे समय में अपना इमेज जनता के बीच बनाये रखना, कोई सामान्य बात नहीं, वह भी तब जब अखबार और चैनल, विपक्षी दल के नेताओं को अपने यहां उचित स्थान नहीं देते।
एक समय था, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा झारखण्ड में ही कुछ इलाकों में सिमटी हुई थी, पर आज वैसी बात नहीं हैं, आज झारखण्ड मुक्ति मोर्चा पूरे राज्य में सशक्त हैं और राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय पार्टियों की मदद से एक बेहतर विकल्प जनता को दे चुकी है, और आश्चर्य है कि जनता ने इस विकल्प को स्वीकार भी किया है।
जिसका परिणाम है कि हेमन्त सोरेन को सुनने और देखने के लिए भारी भीड़ इक्ट्ठी हो रही हैं, अब आप इसी से समझिये कि भाजपा को भीड़ जुटाने के लिए तिकड़म करने पड़ रहे हैं, जबकि हेमन्त सोरेन बिना किसी लाग-लपेट के झारखण्ड के विभिन्न इलाकों में घूम रहे हैं और उन्हें सुनने के लिए भारी भीड़ इक्टठी हो रही हैं।
कमाल है, जामताड़ा का इलाका हो या सारठ या मधुपुर या डालटनगंज या सिसई या रांची या जमशेदपुर या धनबाद लोग हेमन्त सोरेन का नाम सुनते ही उस ओर चल पड़ते हैं, जहां हेमन्त की सभा होनेवाली है, पूछने पर लोग कहते है कि भाई वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास से कम से कम लाख गुणा अच्छे हेमन्त सोरेन हैं, जो झूठ नहीं बोलते, किसी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग नहीं करते और न ही हाथी उड़ाते हैं। वे जनता का दर्द समझ रहे हैं और जनता उन्हें सुनने के लिए आ रही हैं, इसमें इफ-बट की कोई बात ही नहीं।
अब चूंकि पांचवा चरण संथाल के इलाके में हैं और पूरे संथाल में झामुमो का प्रभाव है, ऐसे में हेमन्त को चुनौती देने की ताकत फिलहाल किसी में नहीं हैं, यही कारण है कि इस बार दुमका और बरहेट दोनों सीट पर उनकी जीत पक्की हैं, चाहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कितना भी जोड़ लगा दें, क्योंकि कौन जनता नहीं चाहेगी कि उसके इलाके का व्यक्ति मुख्यमंत्री बने, मुख्यमंत्री बनना यानी उस इलाके का भाग्य चमकना।
बुद्धिजीवियों का कहना है कि एक समय था कि झामुमो का नाम सुनते ही एकीकृत बिहार में बिहारियों का एक समूह बिदकता था, पर आश्चर्य हो रहा है कि जो लोग कल बिदकते थे, आज वे झामुमो के साथ हैं, जो बताता है कि समाज के हर वर्ग ने झामुमो को अब स्वीकार कर लिया हैं, हेमन्त को अपना नेता मान लिया हैं, ये बहुत बड़ी बात हैं। झामुमो के लिए यह सम्मान की बात हैं। निश्चय ही हेमन्त सोरेन को सभी के द्वारा स्वीकार कर लेने का मतलब ही हैं, कि अगली सरकार हेमन्त सोरेन की, क्योंकि उनके नेतृत्व में लोगों ने परिवर्तन की मांग को स्वीकार कर लिया है।