धर्म

मानव शरीर, ईश्वर प्राप्ति के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और जीवन में सद्गुरु का प्रवेश, ये तीन चीजों के बिना आप पुनर्जन्म से मुक्ति नहीं पा सकतेः स्वामी शंकरानन्द

अगर जीवन में तीन चीजें आपको मिल गई तो समझ लीजिये आप पुनर्जन्म से सदा के लिए मुक्ति के द्वार पर खड़े हैं। जन्म-मरण से सदा के लिए मुक्ति मिल सकती है। वो तीन चीजे हैं – मानव शरीर, ईश्वर प्राप्ति के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति और जीवन में सद्गुरु का प्रवेश। उपर्युक्त बातें आज योगदा सत्संग मठ रांची में आयोजित रविवारीय सत्संग को संबोधित करते हुए स्वामी शंकरानन्द गिरि ने कही।

चूंकि आज विषय ही पुनर्जन्म से संबंधित था, तो सारा वक्तव्य एवं दृष्टांत भी पुनर्जन्म से संबंधित रोचक, हृदयस्पर्शी व मनोनुकूल था। इसलिए सभी योगदाभक्तों ने इसमें गहरी रुचि ली। स्वामी शंकरानन्द ने कहा कि ये पुनर्जन्म भी आपके जीवन को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध होता है, अगर आप स्वयं रुचि ले। उन्होंने कहा कि जीवन का मूल लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति है, ऐसे में जब तक ईश्वर प्राप्ति नहीं हो जाती, आपको बार-बार जीवन धारण करना ही है, इससे मुक्ति मिल भी नहीं सकती।

उन्होंने कहा कि जैसे ही हम जीवन धारण करते हैं, हमारी पूर्व जन्म की बहुत सारी इच्छाएं व इस जन्म की इच्छाएं हमें ईश्वर से दूर करना शुरु कर देती है। जबकि जीवन का मूल लक्ष्य ही ईश्वर प्राप्ति है। उन्होंने कहा कि हम पुनर्जन्म क्यों लेते हैं। उसके पीछे हमारी अनन्त इच्छाओं का होना है। वो इच्छाएं कुछ भी हो सकती हैं। जब तक वो इच्छाएं पूरी नहीं होगी, जीवन चक्र चलता रहेगा। आप इस धरती पर बार-बार आते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि आपके पूर्व के संचित कर्म भी आपको जन्म लेने को प्रेरित करते रहते हैं। साथ ही संस्कारगत कर्म भी पुनर्जन्म में सहायक होता है। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के एक श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृताम्, धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे’ पर ध्यान देंगे तो आप  समझ लेगें कि पुनर्जन्म की उपयोगिता कितनी है।

उन्होंने कहा कि पुनर्जन्म का कारण आपकी अधूरी इच्छा है। पुनर्जन्म से बचने के लिए वर्तमान में इच्छाओं का अंत पहला चरण है। दूसरा चरण है कर्मयोग। अपने प्रत्येक कार्य को ईश्वर एवं गुरु को समर्पित कर दें। प्रत्येक कार्य को करने के पूर्व कहें, यह कार्य ईश्वर आपके लिए, गुरु आपके लिए है। फिर आप अपने किए कार्य के फल से मुक्त होंगे।

जब इस जन्म के कोई कर्म फल नहीं होंगे, तो पुनर्जन्म की जरूरत नहीं होगी। परंतु अभी भी आपके संचित कर्म बीज रूप में आपके साथ है। इसे समाप्त करने का एकमात्र साधन है क्रियायोग। क्रियायोग सभी कर्मफल को समाप्त कर देता है। इसलिए सभी को, जो जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हैं, उन्हें क्रिया योग का मार्ग अपनाना ही होगा।

उन्होंने कहा कि क्रियायोग ऐसा पावरफुल योग है, जिसके द्वारा आप अपनी इच्छाशक्ति, सिंचित कर्म तथा संस्कारगत कर्मों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको परमहंस योगानन्द जी के बताये मार्गों पर चलना होगा। उनके द्वारा लिखे पाठों का अध्ययन करना होगा। क्रियायोग मार्ग अपनाना ही होगा। तभी आप हर प्रकार से मुक्त हो सकते हैं। अन्यथा नहीं।