अपराध

काश हम भी अरुप चटर्जी होते, और हमारी कंपनी की लिखित पैरवी राज्य का औषधि निदेशक करता

झारखण्ड की राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय के निदेशक (औषधि) ने दिनांक 21 मई 2021 को रांची के राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) को एक पत्र भेजा है। पत्र RIMS RANCHI परिसर में औषधि प्रतिष्ठान खोलने के संबंध में हैं। निदेशक औषधि ने रिम्स रांची के निदेशक को लिखा है कि “रिम्स रांची परिसर में औषधि प्रतिष्ठान खोलने हेतु रुद्रालय हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के अरुप चटर्जी द्वारा सूचित किया गया है कि उनके द्वारा अबाधित रुप से औषधियों एवं मेडिकल डिवाइस की आपूर्ति डिस्काउंट रेट पर की जायेगी।

स्थल आवंटन के पश्चात ही अनुज्ञापन प्राधिकारी द्वारा प्राप्त आवेदन के आलोक में अनुज्ञप्ति निर्गत करने की कार्रवाई की जायेगी। अतः रुद्रालय हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्राप्त पत्र अग्रेतर कार्रवाई के लिए संलग्न कर भेजी जा रही है।” हालांकि निदेशक औषधि ने रिम्स प्रबंधन को पत्र तो संप्रेषित कर दिया, पर उसके पत्र ने कई सवाल भी छोड़ दिये।

पहला सवाल- रिम्स परिसर में किस दवा प्रतिष्ठान का दुकान खुलेगा? यह रिम्स के निदेशक तय करेंगे या निदेशक (औषधि) राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय?

दुसरा सवाल – रिम्स परिसर में दवा प्रतिष्ठान खुले या न खुले इसका निर्णय कौन करेगा रिम्स के निदेशक तय करेंगे या निदेशक (औषधि) राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय?

तीसरा सवाल – संभवतः दवा प्रतिष्ठान खोलने के लिए रिम्स प्रबंधन द्वारा पहले राज्य के विभिन्न अखबारों में विज्ञापन निकाले जायेंगे, उसके बाद विभिन्न दवा प्रतिष्ठानों की कंपनियां भाग लेंगी, फिर रिम्स प्रबंधन उन कंपनियों की योग्यता का आकलन करने के बाद निर्णय लेगी कि सीधे निदेशक (औषधि) राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय? तय करेंगे।

यह पत्र सही में क्या है? पैरवी पत्र है या किसी के दबाव में लिया गया निर्णय, ये तो निदेशक (औषधि) राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय ही बतायेंगे। अंततः इस पैरवी पत्र से यह तो सिद्ध हो गया कि राज्य में कोई नियम-कानून नहीं हैं, जो जहां बैठा हैं, वो खुलकर वो काम ज्यादा कर रहा हैं, जिसे कानून भी इजाजत नहीं देता, ऐसे में राज्य के नागरिकों का क्या हाल होगा? भगवान ही मालिक है।

चलिए एक बात तो क्लियर हो गया कि अगर आप ताकतवर है, तो जो चाहे, वो कर सकते हैं, आप चाहे तो पानी में भी आग लगा सकते है, आप पूरे प्रशासन की चूलें हिला सकते हैं, पुलिस आपके घर जाकर वो सारे काम करेंगी, जिसकी कल्पना भी आप नहीं कर सकतेे, लेकिन अगर आप कमजोर हैं, तो समझ लीजिये अदालत का चक्कर काटते सारी जिंदगी गुजर जायेगी।