राजनीति

अगर भाजपा व ईडी ने उनके नाम पर साढ़े आठ एकड़ जमीन का दस्तावेज दिखा दिया तो मैं हेमन्त सोरेन सदन में कहता हूं कि राजनीति ही नहीं, बल्कि सदा के लिए झारखण्ड ही छोड़ दूंगा

चम्पई सोरेन ने आज विश्वास मत हासिल कर लिया। विश्वास मत के पक्ष में 47 और विपक्ष में 29 वोट प्राप्त हुए। इस प्रकार से एक बार फिर हेमन्त सोरेन ने केन्द्र और अपने विरोधियों को बता दिया कि झारखण्ड में अगर दाल किसी की गलेगी तो वो हेमन्त की ही गलेगी, न कि केन्द्र सरकार की या प्रदेशस्तरीय भाजपा नेताओं की। इधर सदन में पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भाजपा और प्रवर्तन निदेशालय को जिस प्रकार से चुनौती दी है, उस चुनौती की चर्चा रांची से लेकर दिल्ली तक हो गई।

सदन में आज हेमन्त सोरेन ने ताल ठोककर कहा कि वे भाजपा और इडी को ही नहीं, बल्कि जो उनके विरोधी हैं, वे सभी को चुनौती देते है कि अगर उनलोगों के पास हेमन्त सोरेन के नाम पर साढ़े आठ एकड़ जमीन का दस्तावेज हैं, तो वे सदन या कोर्ट में रखें। अगर इन्होंने उनके नाम पर साढ़े आठ एकड़ जमीन के दस्तावेज प्रस्तुत कर देते हैं। वो वे सदन में कह रहे हैं कि राजनीति ही नहीं, बल्कि सदा के लिए झारखण्ड छोड़ दूंगा।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सदन में हेमन्त सोरेन की यह सिंह गर्जना स्पष्ट करती है कि इसका जवाब न तो ईडी के पास है और न भाजपा के पास है और अगर है तो अब देर किस बात की है, इन्हें हेमन्त सोरेन की इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए। इधर हेमन्त सोरेन ने आज सदन में यह भी कहा कि वे जब सदन की ओर रुख कर रहे थे तो उन्हें ईडी ने कहा कि आपको मीडिया से बात नहीं करनी है और न ही सदन में आपको बात रखनी है। मतलब गजब स्थिति हो गई।

इधर आज जैसे ही सदन में हेमन्त सोरेन प्रवेश किये। उनका सत्ता पक्ष के लोगों ने नारों के साथ स्वागत किया। हेमन्त सोरेन जिन्दाबाद, जेल का ताला टूटेगा, हेमन्त सोरेन छूटेगा का नारा बराबर लगता रहा। दूसरी ओर हेमन्त सोरेन बारी-बारी से सभी सत्तापक्ष और विपक्ष के लोगों से मिले। सभी ने उनका खड़े होकर अभिवादन स्वीकार किया। बाद में हेमन्त सोरेन विधानसभा की अग्रिम पंक्ति के चौथे सीट पर वे नलिन सोरेन के साथ बैठे। इधर राज्यपाल का अभिभाषण प्रारम्भ हुआ।

शुरुआत में सत्ता पक्ष के लोगों ने कुछ बिन्दुओं पर मेजे थपथपाई। लेकिन थोड़ी ही देर बाद, प्रदीप यादव और हेमन्त सोरेन ने राज्यपाल के खिलाफ बोलना शुरु किया। दूसरी ओर सत्ता पक्ष के लोग केन्द्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करना बंद करो, लोकतंत्र की हत्या करना बंद करो, तानाशाही नहीं चलेगी, जनादेश का अपमान करना बंद करो आदि का नारा लगाते रहे। दूसरी ओर विपक्ष चुपचाप शांत बैठा रहा।

इधर राज्यपाल का अभिभाषण खत्म हुआ और उधर सारे विधायकों ने हेमन्त सोरेन को उनके सीट पर उन्हें घेर कर बातें करने लगे। आज एक बार फिर राष्ट्र गान धुन बजने के क्रम में अधिकारियों की टीम ने भारी गलती की। राज्यपाल के अभिभाषण के पूर्व बजे राष्ट्र गान के धुन पर वे खड़े नहीं हुए, जबकि सारा सदन, सदन से जुड़ी विभिन्न दीर्घाओं यहां तक की पत्रकार दीर्घा में बैठे पत्रकार भी अपने राष्ट्र गान के धुन के सम्मान में खड़े हो गये, लेकिन कुछ अधिकारियों ने बैठे रहना ही शान समझा, जो शर्मनाक था।