अपनी बात

IAS काम करेंगे शैतान का तो फल भी मिलेगा शैतान वाली, इसमें वास्तुदोष कहां से आ गया पोर्टलवालों और पंडितजी महाराज

लो जी कर लो बात, भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़ी पूजा सिंहल भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण नहीं, गृह वास्तु दोष के कारण जेल गई हैं। ये कहना है रांची से संचालित एक पोर्टल न्यूज चैनल का। इस पोर्टल न्यूज चैनल का ये भी कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा हो या बंधु तिर्की या गंगोत्री कुजूर सभी वास्तु दोष के कारण ही नाना प्रकार की समस्याओं के शिकार हुए तथा इनकी जिंदगी बर्बादियों के कगार पर पहुंच गई।

उक्त पोर्टल न्यूज चैनल के इस दावे की पुष्टि, उक्त पोर्टल पर पधारे रांची के ही एक महापंडित महाराज ने बड़े ही शानदार ढंग से कर दी। पंडित जी महाराज का कहना था कि दरअसल पूरा दीनदयाल नगर ही वास्तुदोष से ग्रसित हैं, जिसके कारण ऐसा हो रहा है, पर दीनदयाल नगर के आस-पास रहनेवाले कई भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों ने विद्रोही24 से सवालिया अंदाज में पूछ दिया कि जब उक्त पोर्टल पर पधारे पंडित जी महाराज और पत्रकार इतने ही विद्वान हैं।

तब वे बताएं कि इसी दीन दयाल नगर में तो झारखण्ड राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक एमवी राव रहा करते थे, वे इतिहास बनाकर कैसे झारखण्ड से चले गये, रही बात तबादला या स्थानान्तरण ये तो किसी भी अधिकारी के ड्यूटी का एक हिस्सा हैं, उसे आप गलत कैसे ठहरा देंगे? आज भी इसी इलाके में वरिष्ठ पुलिस पदाधिकारी अनिल पालटा रहा करते हैं, उन्हें कौन सी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा हैं? या इन अधिकारियों ने किसी चैनल को या किसी पंडित को कहा कि वे वास्तु दोष के कारण, उनकी जिंदगी यहां नरकमय हो गई।

अब बात राजनीतिज्ञ गीता कोड़ा की, वो तो आज भी इसी इलाके में रहती हैं और चुनाव जीतती हैं, उन्हें कौन सा दिक्कत आया, इस इलाके में रहने से, उन पर वास्तु दोष क्यों नहीं लगा? आज भी इसी इलाके में भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी वंदना डाडेल, अविनाश कुमार, राहुल पुरवार रहते हैं, उन्हें कौन सी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा हैं?

क्या उक्त पोर्टल को नहीं पता कि इसी इलाके में कभी राजीव गौबा रहा करते थे, जो बाद में भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने पर नगर विभाग के सचिव, गृह विभाग के सचिव और अब कैबिनेट सेक्रेट्री है। क्या पोर्टल को ये भी नहीं पता कि इसी इलाके में रहनेवाले अमित खरे, आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सलाहकार है। इंदू शेखर चतुर्वेदी भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं, और बेहतर स्थिति में हैं। आज भी इसी इलाके में आर के मल्लिक रहा करते है, उन्हें कोई दिक्कत नहीं।

मतलब कर्म करियेगा शैतान का और फल चाहियेगा इन्सान का। ये कैसे संभव है? आप सजीव होकर कुकर्म करते है और दोष देते हैं, निर्जीव वस्तुओं से बनी घर का, जो ईंट, बालू, पत्थर आदि कंक्रीटों से बने हैं। अरे शर्म आप को नहीं आती। क्या पत्रकारिता अब ऐसी ही चलेगी? क्या ऐसे-ऐसे महापंडित हमें ये बतायेंगे कि कौन-कौन सा अधिकारी किस वास्तुदोष के कारण जेल गया। क्या उक्त पंडित ने श्रीमद्भगवद्गीता नहीं पढ़ी या उक्त पत्रकार ने कर्मफल के सिद्धांत को नहीं जाना है।

अरे ये तो भारतीय संस्कृति का सिद्धांत है कि जो जैसा करता है, वैसा पाता हैं, इसमें वास्तु दोष कहां से आ गया और किसी मुहल्ले में दोष कैसे समा गया? हमें तो अभी भी याद है कि इसी इलाके में एक सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक अवधेश कुमार पांडेय रहा करते थे, उनके तीन बेटे हैं। तीनों बेटे होनहार, विद्वान और अच्छे पद पर हैं, सभी अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उनकी पत्नी तो ऐसी धार्मिक महिला है कि वैसी धार्मिक महिला मैने कही देखी ही नहीं।

जितने दिन ड्यूटी किये, शान से किये। जिन-जिन भाप्रसे के अधिकारियों के साथ काम किये, शान से किये। किसी ने उन पर दाग ही नहीं लगाया, बल्कि उनकी प्रशंसा की। आज वे अपने पूरे परिवार के साथ मंगलमय जीवन जी रहे हैं। तो बताओ पोर्टल वालों और पंडितजी महाराज की, ये बात दिमाग में घुसी की नहीं, कि जो गलत करता हैं, उसे सजा मिलती हैं, वास्तु दोष इसमें कहीं नहीं आता। 

अगर इसके बावजूद आपको लगता हैं कि वास्तु दोष हैं तो फिर कोई पश्चिम से पूर्व जानेवाली सड़क के बाई ओर घर ही नहीं बनायेगा, क्योंकि आपके अनुसार तो फिर वास्तु दोष हो जायेगा और वास्तुदोष के कारण ही वो जेल चला जायेगा। वाह री सोच और वाह री पत्रकारिता और वाह रे महापंडित। अगर इसी प्रकार की पत्रकारिता और इसी प्रकार के पंडितों का पोर्टल व चैनलों में आगमन होता रहा तो समझ लीजिये, अपने प्रदेश का क्या हाल होगा।