अगर झामुमो गठबंधन ने राज्यसभा के दो कैंडिडेट दे दिये तो भाजपा के प्रदीप वर्मा के हाड़ में हल्दी लगते-लगते रह जायेगा, इधर भाजपा विधायक भी गुल खिलाने की तैयारी में
भाजपा के संगठन मंत्री कर्मवीर और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के प्यारे-दुलारे प्रदीप वर्मा ने तिकड़म करके भाजपा की राज्यसभा की टिकट तो प्राप्त कर ली। इस तिकड़म में कर्मवीर और बाबूलाल मरांडी ने एड़ी-चोटी एक भी कर दी और बड़े ही गोपनीय ढंग से अपने चहेते प्रदीप वर्मा को राज्यसभा में पहुंचाने का बड़ा प्रबंध भी कर लिया।
राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि एक न एक दिन प्रदीप वर्मा को भाजपा का बड़ा पद मिलना भी था, क्योंकि जिस प्रकार से प्रदीप वर्मा ने सरला बिरला विश्वविद्यालय के माध्यम से और अपने अंदर छुपी गजब की कला से भाजपा के कर्मवीर सिंह और बाबूलाल मरांडी ही नहीं, कभी रघुवर दास को भी अपनी कला का लट्टू बना दिया था।
तो इस राज्यसभा के टिकट को उसे मिलने से किसी को हैरानी भी नहीं थी, क्योंकि कर्मवीर और बाबूलाल के इशारे पर ही तो वो पिछले दिनों अपने सोशल साइट पर प्रदीप4 रांची कैंपेन चला दिया था। यहां तक की संघ के भी कई बड़े-बड़ें मठाधीश उसकी कला के लट्टू हो गये थे/हैं। जिसका आशीर्वाद प्रदीप वर्मा को मिला।
परंतु राज्यसभा वे पहुंच ही जायेंगे, इसका ग्रहण लगाने की तैयारी भी इस घटना के बाद से भाजपा के कुछ विक्षुब्ध विधायकों ने शुरु कर दी है। अगर झामुमो गठबंधन ने अपनी ओर से दो कैंडिडेट दे दिये तो भाजपा के उम्मीदवार का प्रदीप वर्मा के हाड़ में हल्दी लगते-लगते रह जायेगा। राजनीतिक पंडित बताते है कि इसकी संभावना ज्यादा दिख रही है।
बताया जा रहा है कि प्रदीप वर्मा को राज्यसभा का कैंडिडेट बनाने के लिए न तो कर्मवीर ने और न बाबूलाल मरांडी ने और न ही केन्द्र अथवा संघ के लोगों ने यहां के विधायकों का मन टटोला था। अगर मन टटोलता तो निश्चय ही प्रदीप वर्मा के खिलाफ विधायकों का मन होता। राजनीतिक पंडित यह भी बताते है कि भाजपा के प्रदेशस्तरीय नेताओं ने झारखण्ड से बाहर के एक व्यक्ति को राज्यसभा का टिकट देकर भाजपा के विधायकों के गुस्से को और बढ़ा दिया है।
जिससे यह गुस्सा और बढ़ता जा रहा है। यह गुस्सा क्रॉस वोटिंग के माध्यम से भी यहां दिख सकता है। ऐसे भी राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यहां अब जब भी चुनाव होंगे, वो लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का भाजपा को गर्त में ही जाना है, क्योंकि कर्मवीर और बाबूलाल मरांडी ने अपनी हरकतों से भाजपा कार्यकर्ताओं को तो पहले से ही डिरेल्ड कर दिया था।
इधर प्रदीप वर्मा को राज्यसभा का टिकट दिलाकर विधायकों के मन को भी डिरेल्ड करने की लगता है ठान ली। जिसका खामियाजा शायद भाजपा को आनेवाले समय में देखने को मिलेगा। जो भाजपा सोच रही है कि वो लोकसभा में 12 सीट जीत लेंगी। प्रदीप वर्मा को राज्यसभा की टिकट देने की घटना उसे शून्य पर ले आये तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।