अगर रांची के अखबार सहीं हैं तो समझ लीजिये, अर्जुन मुंडा खूंटी से जीत गये और डा. अजय ने झारखण्ड में कांग्रेस को बर्बाद कर दिया
भाई मानना पड़ेगा, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता फुरकान अंसारी ने गलत नहीं कहा कि जिस आदमी को झारखण्ड में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए भेजा गया था, उसी ने कांग्रेस को सत्यानाश कर दिया। फुरकान अंसारी का इशारा सीधे डा. अजय कुमार की ओर था, जो फिलहाल कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, और जिन्हें सही मायनों में झारखण्ड की वस्तुस्थिति की जानकारी ही नहीं, किसी ने कुछ कह दिया बस उसी को सब कुछ मान लिया और लीजिये बात पक्की, ऐसे में कांग्रेस व महागठबंधन भाजपा को क्या हरायेगी, खुद भी अपना जमानत बचा पायेगी, कहना मुश्किल है।
रांची से प्रकाशित कल के सांध्यकालीन अखबार को देखिये अथवा आज का प्रमुख क्षेत्रीय व राष्ट्रीय अखबार सभी ने सुनियोजित ढंग से एक खबर प्रकाशित कर दी है, इस खबर को आप “प्रेशर न्यूज ऑफ पॉलिटिकल डिमांडस टिकट” भी कह सकते हैं, सभी ने इस समाचार को प्रकाशित कर दिया कि कांग्रेस के स्क्रीनिंग कमेटी ने खूंटी से प्रदीप बलमुचू के नाम तय कर दिये हैं, और प्रदीप बलमुचू के बड़े–बड़े फोटो लगाकर, उनकी उम्मीदवारी भी तय कर दी है, जबकि हमारे सूत्र बताते है कि ऐसा कुछ है नहीं, अभी खूंटी पर तीन व्यक्तियों के नामों को लेकर चर्चाएं चल रही हैं और इन तीनों में से कोई भी उम्मीदवार हो सकता है, वे नाम है – थियोडोर किड़ो, दयामनी बारला और प्रदीप बलमुचू।
ऐसे कांग्रेस किसी को टिकट दे, ये उसका मसला है, वो जिसको टिकट देगी, जनता उसे वोट दे ही देगी, उसे जीता ही देगी, ऐसा कुछ भी नहीं है, पर जहां तक खूंटी की बात हैं, वहां की जनता तो स्पष्ट कर दी हैं कि वोट तो उसी को मिलेगा, जो स्थानीय होगा, चरित्रवान होगा, जो पलटीमार नहीं होगा, जो उनकी समस्याओं के लिए हमेशा उनके साथ होगा, जो आज भी सादगी की तरह जीवन बिताता होगा और इन तीनों में कौन फिट हैं, ये लगता है कि बताने की किसी को जरुरत भी नहीं।
प्रदीप बलमुचू एक बार संसद का मुंह देख चुके हैं और उनका कार्यकाल कैसा रहा है, ये सभी जानते हैं और वे खूंटी के लिए स्थानीय है कि नहीं, ये कांग्रेस वाले जरा पता लगा लें तो बेहतर हैं, दयामनी बारला निःसंदेह क्रांतिकारी महिला है, संघर्ष किया है, पर जो सामाजिक स्थिति है, उसमें वे अर्जुन मुंडा को टक्कर दे पायेंगी, फिलहाल ऐसा नहीं लगता, हां अगर उन्हें कांग्रेस विधानसभा में टिकट देकर अपनी ओर से लड़ाती है, तो निःसंदेह उसका फायदा कांग्रेस और दयामनी बारला दोनों को मिलेगा।
अब रही बात थियोडोर किड़ों की, थियोडोर किड़ो स्थानीय है, सरल–सहज है, तथा कांग्रेस से एक बार कोलेबिरा से विधानसभा चुनाव भी जीत चुके हैं, वे अब लोकसभा के लिए चुनाव लड़ना चाहते हैं, और वे दिन–रात एक भी किये हुए हैं, समाज में उनकी ग्राह्यता तथा ईसाइ समुदाय में भी उनकी स्वीकार्यता, तथा विभिन्न जनसंगठनों में उनकी अच्छी पहुंच, उन्हें इन सभी प्रत्याशियों में एक नंबर पर लाकर खड़ा कर देती है।
अगर इन्हें टिकट कांग्रेस देती हैं तो वे अर्जुन मुंडा को कड़ी टक्कर भी दे सकते हैं, संभव हैं परिणाम अप्रत्याशित भी हो, पर ये तो तभी होगा, जब कांग्रेस के लोग और स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल लोग झारखण्ड की जमीनी जानकारी रखेंगे, नहीं तो जिस प्रकार “प्रेशर न्यूज ऑफ पॉलिटिकल डिमांडस टिकट” चल रहा हैं, उससे तो साफ लगता है कि गोड्डा में जहां कांग्रेस ने स्वयं को बर्बाद कर लिया, अब खूंटी भी स्वयं बर्बाद कर लेगी।
ऐसे में कांग्रेस भले ही सात सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रही हो, पर उसे सातों सीट मिल ही जायेंगे, संभव नहीं, ले–देकर एक–दो सीट पर ही कांग्रेस सिमट जायेगी, जिसमें रांची की सीट फिलहाल अभी तक उसके पक्ष में दिख रही है, क्योंकि रांची की राजनीतिक परिस्थितियां कांग्रेस के लिए नहीं, बल्कि सुबोधकांत सहाय के आचार–विचार–व्यवहार के कारण अनुकूल दीख रही हैं, क्योंकि भाजपा में रामटहल चौधरी के बगावत तथा अभी तक भाजपा की ओर से प्रत्याशी के नाम की घोषणा का न होना सब कुछ क्लियर कर दे रहा हैं।
ऐसे भी जहां रांची में भाजपा चुनाव प्रचार शुरु नहीं कर पायी है, वहीं सुबोधकांत सहाय ने लोगों से मिलने–जुलने का काम कब का शुरु कर दिया, और रही बात खूंटी की तो ये कांग्रेस तय करें कि वो “प्रेशर न्यूज ऑफ पॉलिटिकल डिमांडस टिकट” का शिकार होगी या सही मायनों में उचित प्रत्याशी देकर, भाजपा कैडिंडेट अर्जुन मुंडा को कड़ी टक्कर देगी, क्योंकि फिलहाल झारखण्ड में सभी की नजर खूंटी पर हैं, क्योंकि यहीं खूंटी तय करेगा कि राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान झारखण्ड में सरकार किसकी बनेगी?
ज्यादा काबिल मठ उजार