अगर भाजपा ने नये सिरे से ध्यान नहीं दिया तो 2019 में झारखण्ड से भाजपा को गायब ही समझिये
लोहरदगा का भंडरा हो, या सिसई का इलाका, नेतरहाट हो या बिशुनपुर। पिछले दिनों झारखण्ड संघर्ष यात्रा के दौरान नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन की सभा में उमड़ी भीड़ कुछ कहती है। इस भीड़ को समझने की भी जरुरत है, जिस भीड़ को लाने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास के इशारों पर कार्य कर रहे विभिन्न जिलों के उपायुक्त और उनकी टीम एड़ी-चोटी एक कर देती है, सरकारी योजनाओं का लाभ ले रही युवतियों पर दबाव डालती है, तब जाकर सीएम रघुवर दास की सभा में थोड़ी-बहुत भीड़ दिखाई पड़ती है, पर यहां न तो योजनाओं का प्रलोभन और न ही कुछ मिलने की बात, फिर भी हेमन्त सोरेन की सभा में ये भीड़ क्यों जुट रही हैं?
कहीं ये संदेश तो नहीं रघुवर सरकार को, कि वे संभल जाये, आनेवाले समय में जब कभी चुनाव होंगे, जनता आपको सत्ता में नहीं रहने देने का संकल्प ले ली हैं, चाहे आप कुछ भी क्यों न कर लें। इधर कैबिनेट की बैठक हो रही है, सरकारी योजनाओं का लाभ का जाल फैलाने का प्रलोभन दिया जा रहा हैं, आदिवासियों के विभिन्न समुदायों के प्रमुखों के मानदेय बढ़ाये जा रहे हैं। ये मानदेय इतने कम है कि एक महीने के चाय के दाम भी न निकलें, पर अपने लोगों के मन-मुताबिक वेतन और खुद की सेवा में लगे लोगों की खुब खातिरदारी की जा रही हैं, उन्हें मुंहमांगी रकम बैठे-बैठाये थमा दिये जा रहे हैं।
इधर, सीएमओ में बैठे कनफूंकवें अभी भी उसी कार्य में लगे हैं, जिस कार्य के लिए वे जाने जाते रहे हैं। उधर अखबारों और चैनलों में कार्यरत रघुवर भक्त पत्रकारों की टोली ऐसे-ऐसे समाचारों को प्रमुखता से छाप रही है, जिससे सीएमओ में बैठे कनफूंकवें और सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग से जुड़े अधिकारियों का दल उन पर विज्ञापन रुपी दया की कृपा बनाये रखे, पर आम जनता को इससे कोई मतलब नहीं, वो तो समझ चुकी है कि ये सब क्यों, कैसे और किसलिये हो रहा हैं?
ज्ञातव्य है कि पिछले कई दिनों से आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो जनता की नब्ज टटोलने के लिए स्वाभिमान यात्रा पर थे, और हेमन्त सोरेन संघर्ष यात्रा पर थे, सुदेश महतो को अच्छी तरह इस बात का आभास लग चुका है कि जनता वर्तमान सरकार से कितनी नाराज हैं, पर उनके पास सत्ता से विमुख होने का कोई विकल्प नहीं दीख रहा, ये उनकी मजबूरी भी है, क्योंकि ऐसे हालत में अगर भाजपा से ये नाते भी तोड़ते हैं तो जनता इन्हें कटघरे में ही रखेगी, पर इसके विपरीत हेमन्त सोरेन की झारखण्ड संघर्ष यात्रा ने जनता में एक नई सरकार राज्य मे बनाने का जोश भर दिया है। वह जोश, उमंग, उत्साह, अब झारखण्ड संघर्ष यात्रा के दौरान साफ दीख रहा है।
इधर पिछले दिनों टाना भगतों के क्षेत्र में जिस प्रकार हेमन्त सोरेन का स्वागत हुआ, वह बताने के लिए काफी था कि इन इलाकों में भाजपा का ग्राफ कितनी तेजी से गिरा है, और झामुमो का ग्राफ कितनी तेजी से उपर की ओर भागा है, झामुमो के कार्यकर्ताओं में भी झारखण्ड संघर्ष यात्रा ने एक नई उत्साह का संचार किया है, हर जगह झामुमो को मिल रही सफलता तथा जनता द्वारा हो रही स्वागत कम से कम भाजपाइयों की तो नींद उड़ा ही दी है, अगर भाजपा ने नये सिरे से इस ओर ध्यान नहीं दिया तो 2019 में झारखण्ड विधानसभा से भाजपा को गायब ही समझिये।