अगर भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी बनना तो डा. नितिन मदन कुलकर्णी जैसा ही बनना
प्यारे बच्चों, आओ तुम्हें झारखण्ड के एक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी से जुड़ी एक कहानी सुनाता हूं। ये जरुरी भी है। तुम्हें इनके बारे में जानना चाहिए। वो इसलिए कि अगर तुम भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कभी बन भी जाओगे और तुम्हारा आचरण ठीक नहीं रहा, चरित्र ठीक नहीं रहा तो तुम्हारा आइएएस बनना या न बनना दोनों समान ही होगा।
अपने देश में भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़ना एक बहुत सम्मान की बात मानी जाती है। जैसे ही कोई युवा भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर लेता है तो लोग उसकी वाह-वाह करने लगते हैं। अखबारों व चैनलों में उसकी धूम हो जाती है। लेकिन जैसे ही वो सेवा में आता है, पद प्राप्त हो जाती है। अनुमंडलाधिकारी से शीर्षस्थ पदों की ओर जाने लगता है तो उसके आचरण व चरित्र में इतनी गड़बड़ियां आ जाती है कि उससे समाज व देश दोनों का नुकसान हो जाता है।
आप झारखण्ड में ही देख रहे होगे कि कई भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कारागार की शोभा बढ़ा रहे हैं तो कई कारागार में जाने के लिए तैयार बैठे हैं, देर-सबेर उनको जाना ही हैं। उन्हें जाने से कोई रोक भी नहीं सकता। लेकिन इसी झारखण्ड में अंगूलियों पर गिननेवाले एक-दो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ऐसे भी है, जिनसे झारखण्ड गौरवान्वित हो रहा है। उनके चरित्र व आचरण से उनका परिवार व राज्य भी सम्मानित व गौरवान्वित हो रहा है।
कल की ही घटना है। इंडिगो विमान से झारखण्ड राज्यपाल के प्रधान सचिव डा. नितिन मदन कुलकर्णी अपने परिवार के साथ रांची से नई दिल्ली इंडिगो विमान से सफर कर रहे थे। अचानक विमान जैसे ही दिल्ली के लिए उड़ी, उस विमान में सफर कर रहे एक दम्पति के छह महीने के बच्चे को श्वास लेने में दिक्कत आने लगी, उसकी तबियत अचानक बिगड़ने लगी।
इंडिगो विमान में एनाउंस हुआ कि अगर कोई इस विमान में चिकित्सक है तो उस बच्चे को देखे। डा. नितिन मदन कुलकर्णी ने उस बच्चे को देखना शुरु किया। उस बच्चे की जान बच गई। इस घटना को देख रहे उसी विमान में सवार ए एस देओल ने इस घटना को ट्विटर पर शेयर किया। बात हम तक पहुंची। ए एस देओल से जब हमने इस संबंध में बातचीत की तो उनका कहना था कि डा. नितिन मदन कुलकर्णी उस विमान में एक घंटे तक उस बच्चे को इलाज के क्रम में खड़े रहे।
विमान जल्दी ही एक घंटे दस मिनट के अंदर दिल्ली हवाई अड्डे पर लैंड की। वहां पहले से ही डाक्टर मौजूद थे, बच्चे को देखना शुरु किया। पर जिस प्रकार से डा. नितिन मदन कुलकर्णी ने बच्चे को अपनी सेवा दी। वो सेवा विरले ही कही दिखाई देता है। ए एस देओल बताते है कि उस दौरान डा. नितिन मदन कुलकर्णी की पत्नी भारतीय पुलिस सेवा में कार्यरत सुमन गुप्ता भी मौजूद थी।
इधर डा. नितिन मदन कुलकर्णी के इस सेवा कार्य से राज्य के राज्यपाल बहुत ही प्रसन्न दिखे और उन्हें इस कार्य के लिए सम्मानित भी किया। डा. नितिन मदन कुलकर्णी के इस कार्य की पूरे झारखण्ड में लोग मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे हैं। ऐसे भी डा. नितिन मदन कुलकर्णी अपने ईमानदारी व सेवा कार्यों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे हैं।