अपनी बात

अगर आपको तालिबानी शासन देखनी हैं, जयश्रीराम के उद्घोष पर प्रतिबंध देखना हैं, तो झारखण्ड पधारिये…

अगर आप तालिबानी शासन या येन केन प्रकारेण हिन्दू धर्म विरोध में रुचि रखते हैं। जयश्रीराम के नारे सुनकर आपको तलवे का लहर कपार तक पहुंच जाता हैं, तो देर किस बात की, आप भारत के किसी भी कोने में क्यों न हो, झारखण्ड आइये और उसके मजे लीजिये, झारखण्ड का हजारीबाग प्रशासन और चाईबासा के जगन्नाथपुर पॉलिटेक्निक कॉलेज प्रशासन ने इसके लिए शानदार व्यवस्था की हैं।

तब बोलिए, आप आइयेगा न। देखियेगा न, क्योंकि तालिबानी शासन देखने के लिए आपको अफगानिस्तान का रुख करना पड़ेगा और वहां जाना, जान को जोखिम में डालना हैं, पर भारत में रहकर झारखण्ड में इसका रसास्वादन करना तो बहुत ही आसान हैं। स्थानीय प्रशासन और कॉलेज प्रशासन ही आपको इस प्रकार के पर्यटन का लाभ देने जा रही हैं तो इसका फायदा आप क्यों न उठाएं?

 

देखिये, हजारीबाग प्रशासन की ओर से कितना सुन्दर पर्ची छपवाया गया हैं, इस पर्ची को भरकर हस्ताक्षरित कर पुलिस प्रशासन मंगवा रही हैं। उन डीजे रखनेवालों से जिनकी रोजी-रोटी इसी पर चलती है। शायद हजारीबाग प्रशासन को लगता होगा कि सारे दंगों की जड़ ये डीजे और डीजे रखनेवाले लोग ही हैं, इसलिए सब से पर्ची भरकर जमा करने को कहा, ताकि भर रामनवमी कही डीजे दिखाई ही न दें और राम नवमी-रमजान का त्यौहार आराम से निकल जाये, क्योंकि राम नवमी के दिन डीजे बजने से बड़ा खतरा बना रहता हैं।

ये विद्रोही24 का मानना नहीं, बल्कि ये हजारीबाग में बैठे महान आईएएस/आईपीएस अधिकारियों की सोच है। अभी-अभी विद्रोही24 को ये भी पता चला है कि हजारीबाग पुलिस प्रशासन से प्रभावित होकर रांची जिले में भी ऐसी ही पर्ची विभिन्न डीजे रखनेवालों को दी जा रही हैं और उनसे भी उस पर्ची पर हस्ताक्षर करवाकर विभिन्न थानों में मंगवाई जा रही है।

दूसरा जरा चाईबासा के जगन्नाथपुर पॉलिटेक्निक कॉलेज को देखिये, वहां कुछ छात्र 2 अप्रैल को भारतीय नववर्ष विक्रमी संवत् का शुभागमन पर्व मना रहे थे, ये बात कॉलेज प्रबंधन को इतनी बुरी लगी कि उसने यह नव-वर्ष मनानेवाले छात्रों को ही निलंबित कर दिया, अब बताइये भारत में रहकर भारतीय नववर्ष मनाना तो गलत बात हैं न, इसलिए कॉलेज प्रबंधन ने इसे अनुशासनहीनता माना और दो छात्रों को निलंबित कर दिया।

अगर इस मामले को आप वहां से छपनेवाले अखबारों से जोड़े, तो पता चलेगा कि जिन्होंने नव-वर्ष मनाये, उन्हें उस दिन भूखे ही सोना पड़ा, यहीं नहीं उनके परिजनों को भी बुलाया गया है, ये बताने के लिए कि उनके बच्चों को कॉलेज में इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि वे भारतीय नव-वर्ष मनायें। भाई यहां तो कुछ और ही मनाने की लाइसेंस दी गई हैं, आप भारतीय होकर भारत के मिट्टी से जन्म लेनेवाली भारतीय नववर्ष को कैसे मना सकते हैं। इसलिए देर मत कीजिये, जल्द झारखण्ड आइये, ऐसा मौका फिर कभी नहीं मिलेगा। खुली छूट है। फिलहाल झारखण्ड के हजारीबाग प्रशासन और जगन्नाथपुर पॉलिटेक्निक कॉलेज प्रबंधन के हिन्दू विरोध का मजे लीजिये।

भाजपा प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी योगेन्द्र प्रताप तो साफ कहते हैं कि हजारीबाग व बरही में यह फार्मेट डीजे संचालकों से जबरन भरवाया जा रहा। काश लॉ एंड आर्डर और रोजगार के मुद्दे पर भी ऐसी मुस्तैदी दिखती। यह तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा नहीं तो क्या है? परिवार और पार्टी में मचे घमासान का गुस्सा जनता पर निकालना ए साहेब ठीक नहीं?

योगेन्द्र प्रताप यह भी कहने से नहीं चूकते कि यह झारखण्ड है या पाकिस्तान? क्या कांग्रेस और उनके सहयोगियों के शासित प्रदेश में जयश्रीराम का नारा लगाना और हिन्दूओं के लिए पर्व मनाना भी अपराध है? वैसे जयश्रीराम के नारे से जब हेमन्त सोरेन जी का ही माथा खराब हो जाता है तब ऐसी घटनाएं पर कार्रवाई की उम्मीद भी बेमानी है। उनका यह वक्तव्य जगन्नाथपुर पॉलिटेक्निक कॉलेज में हुए घटनाक्रम को लेकर था।