जिस देश मे गद्दारों की फौज नेताओं व पत्रकारों के रुप में विद्यमान हो, वहां जवान मरेंगे नहीं तो क्या करेंगे?
पुलवामा की घटना, स्पष्ट करती हैं कि हमारे देश के क्या हालात है? अपने देश के हालात के बारें मे किसी से पूछने की जरुरत नहीं हैं, आप थोड़ा सा दिमाग पर जोड़ डालेंगे, सब कुछ अपने आप क्लियर हो जायेगा। शायद भारत विश्व में अकेला देश हैं, जहां अपने ही देश के टुकड़े–टुकड़े करने के नारे लगते हैं और लोग इन नारों को लगानेवालों का दिल खोलकर समर्थन करते हैं।
नवजोत सिंह सिद्धु जैसा क्रिकेटर, कल भाजपा तो आज कांग्रेस का झोला ढोनेवाला यह नेता पुलवामा कांड के बाद बयान देता है कि “मुट्ठी भर लोगों के लिए पूरे देश को जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता हैं।”
ये अलग बात हैं कि नवजोत सिंह सिद्धु जैसे घटिया इन्सान के इस बयान को लेकर पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया होती हैं और लोग उसके खिलाफ जाते हुए, “द कपिल शर्मा शो” का बहिष्कार करने की सोशल साइट पर अपील करने शुरु कर देते हैं, जिसका असर यह होता है कि “द कपिल शर्मा शो” से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।
एनडीटीवी जैसे राष्ट्रीय चैनल में काम करनेवाली पत्रकार आतंकियों के समर्थन में ट्वीट करती है, सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ बवाल होता हैं और सोशल मीडिया पर हो रहे बवाल से प्रभावित होकर, एनडीटीवी उसे दो सप्ताह के लिए निलंबित कर देता है।
चीन जैसा देश जो कभी भी हमारा नहीं हुआ। 1962 में हमने उनका स्पष्ट चरित्र भी देखा, आज भी वह हमारा बहुत बडा भू–भाग पर कब्जा किया हुआ है, जिसे हमने संसद में उसी समय संकल्प किया था कि हम अपनी खोई जमीन वापस लेंगे। खोई जमीन तो वापस नहीं ली। अब जब अरुणाचल प्रदेश में हमारे देश के प्रधानमंत्री का दौरा होता है, तो वह हमें आंख दिखाता है।
यहीं नहीं डोकलाम जैसी घटना को जन्म देता है और हमारे देश को बर्बाद करने पर तूले पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के सरगना को वीटो पावर से बचाने का प्रयास करता है। फिर भी हम चीन में बने सामग्रियों का इतना आजकल खूब प्रयोग करने लगे हैं कि केवल उसके सामग्रियों के उपयोग करने से ही चीन की आर्थिक शक्ति बढ़ती जा रही हैं और उसी बढ़ी हुई आर्थिक शक्ति से वह हमारा मान–मर्दन भी कर रहा है और हमें चोट भी पहुंचा रहा हैं, पर हमारे देश की जनता को इतना भी शर्म या अक्ल नहीं कि चीन के सामग्रियों का बॉयकॉट करें और उसकी आर्थिक शक्ति की रीढ़ को तोड़ दें।
कमाल है, हमारा पैसा और उस पैसे से बढ़ रही चीन की ताकत और वह ताकत आनेवाले समय में हमारे ही जवानों पर टूटेगा, और फिर हम चीन मुर्दाबाद के नारे लगाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे। अरे भाई, हम आज ही क्यों न संभल जाये कि हमें ऐसे नारे लगाने की आवश्यकता ही नहीं पड़े। अरे हमारी सरकार कमजोर हो सकती है, बेबस हो सकती है, हम तो कमजोर नहीं, हम चीनी सामग्रियों का प्रयोग नहीं करेंगे, और देश को समृद्ध करने के लिए अपने ही देश में बने सामग्रियों का उपयोग करेंगे।
इससे अपने देश का पैसा अपने देश में ही रहेगा और भारत मजबूत भी होता चला जायेगा, पर ये ज्ञान आखिर अपने देश में कब आयेगा? चीन तो जानता है कि भारत के लोग, यहां के नेता व पत्रकार अपने देश से कितना प्यार करते, अगर वे अपने देश से प्यार करते, तो अपने घर में लक्ष्मी को लाने के लिए चीन की बनी लक्ष्मी की मूर्तियों की पूजा करते।
इस देश के नेताओं को भी देखिये, एक तो झारखण्ड के ही होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास हैं, जो चीन जाकर, रांची में शंघाई टावर बनाने की बात करते हैं, जहां ऐसे–ऐसे नेता हो, वहां देश कैसे मजबूत बनेगा, देश को मजबूत बनाने के लिए चरित्रवान नेता और चरित्रवान जनता की जरुरत हैं, जिसका भारत में अभाव हैं और जब तक ये अभाव बना रहेगा, पुलवामा जैसी घटनाएं पर रोक असंभव है, मतलब हम दूसरे देश को क्या सबक सिखायेंगे, यहां तो गद्दारों की फौज चप्पे–चप्पे पर फैली हैं, तभी तो हमारे जवान बिना युद्ध लड़े ही, वीरगति को प्राप्त हो रहे हैं।