आप बिहार में रहकर देव स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर का दर्शन नहीं किया, तो क्या किया
अपने जीवन में पहली बार देव आया हूं। भगवान भास्कर का वर्षों प्राचीन मंदिर यहां विद्यमान हैं। अनेक कथाएं भगवान भास्कर से संबंधित यहां सुनने और देखने को मिलती है। कभी सोचा भी न था, कि हमें देव आने का सौभाग्य प्राप्त होगा, पर प्रभु की कृपा जिस पर बरसती है, तो बरस ही जाती हैं, मेरा मानना है कि आदमी की कोई औकात नहीं होती, लोग ये सोचते है कि मैंने ये किया, मैने वो किया, पर ऐसा है नहीं। ईश्वर ही समय-समय पर अच्छे काम आपसे करा लेता हैं, अवसर प्रदान करता है, बस आपको करना यह है कि आप ईश्वर को अपने हृदय में बनाए रखे, सोच स्पष्ट और शुद्ध रखे, फिर देखिये जीने का अंदाज बदल जायेगा और सहीं मायनों में आप जी भी पायेंगे।
जब-जब छठ का महीना आता है, तो बिहार या झारखण्ड की शायद ही कोई अखबार हो, जिसमें औरंगाबाद जिले के इस देव प्रखण्ड में विद्यमान वर्षों पुराना भगवान भास्कर का अति प्राचीन मंदिर का वर्णन करते हुए समाचार न छपे हो। भारत में तीन प्रकार के छठ मनाये जाते है, एक चैत्र में, दूसरा भादों में और तीसरा कार्तिक में। ज्यादातर लोग कार्तिक माह में छठ पर्व करते/कराते हैं। इस समय पूरे बिहार-झारखण्ड की नदियों और जलाशयों की शोभा देखते बनती है, पर इसी दौरान औरंगाबाद के देव में स्थित भगवान भास्कर के इस प्राचीन मंदिर में लाखों लोग जुटते हैं और इसी के पास बने सूर्य कुंड में भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर अपने जीवन को धन्य करते हैं।
ऐसे तो देव भगवान भास्कर की प्राचीन मंदिर के लिए जाना जाता है, पर ये भी सच्चाई है कि यहां का सूर्य कुंड, पूर्व के राजाओं को महल तथा यहां का खान-पान भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ऐसे तो आप कई जगहों पर चाट खाये होंगे, पर यहां का चपचपवा चाट नहीं खाया तो कुछ नहीं खाया। यहीं नहीं पूरा इलाका छोटा सा मुहल्ला या गांव का रुप लिये हैं, जहां अब यात्रियों की सुविधा के लिए कुछ होटल भी बनने लगे है, पर्यटन और आध्यात्मिक रुप से यात्रा करनेवाले लोगों के लिए यह शुभ संकेत है।
देव आने के लिए आप सालों भर आ सकते हैं, पर चैत्र, भादों और कार्तिक में होनेवाले छठ पर्व के दिन यहां होनेवाले छठ महापर्व के दिन इसकी शोभा देखते बनती हैं, पूरा बिहार ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों से भी लोग यहां पहुंच जाते हैं। राज्य सरकार द्वारा इसे देखते हुए विशेष व्यवस्था भी की जाती है। यहां के लोग भी इतने अच्छे हैं कि आपकी खुलकर मदद करने को तैयार रहते हैं। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि अन्य धार्मिक स्थलों की तरह यहां आप लूट के शिकार नहीं होंगे। आपकी मर्जी आप आये, दान दे या न दें, पूजा करे या न करें, आप यहां आये और आपने इसका आनन्द लिया, ये देखकर ही लोग आनन्दित हो जायेंगे।
देव आने के लिए, अनुग्रह नारायण रोड निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो यहां से करीब 30 किलोमीटर है। इस रेलवे स्टेशन से देव आने के लिए आपको पहले औरंगाबाद आना पड़ेगा और फिर यहां से देव के लिए हर दस-पन्द्रह मिनट पर छोटे-बड़े वाहन आपको मिलते रहेंगे। गाड़ी चलानेवाले भी मनोविनोदी है, आप बात करेंगे तो खुलकर हसेंगे-बोलेंगे, परिचय दीजियेगा तो आप यात्रा के और आनन्द लेंगे, क्योंकि इसका भी अपना आनन्द है। सड़कें अच्छी हैं। तथा सड़कों के दोनों ओर लहलहाती फसलें आपकी आंखों को बहुत ही सुकुन देती है। मंदिर परिसर और उसके चारों और साफ-सफाई देखकर आप दंग रह जायेंगे, ऐसी सफाई अन्यत्र नहीं दिखाई देगी।
सस्ते खाने-पीने के होटल यहां बहुतायत है उसका भरपूर आनन्द लीजिये और चापाकल से निकली शुद्ध पानी पीकर तो देखिये, आप बोतल का पानी नहीं भूल गये तो फिर कहियेगा, और इसी के साथ यहां के वाशिंदों की मगही भाषा आपके कानों में ऐसी मिठास घोल देगी, फिर आप बोले नहीं रहियेगा कि भारत में ऐसा भी कोई जगह हैं, जहां इतना आनन्द हैं।