जमशेदपुर में भाजपा महानगरध्यक्ष ने शहीद निर्मल महतो तो समर्पित कार्यकर्ताओं ने अटल बिहारी वाजपेयी को किया याद, पार्टी दो गुटों में बंटी, चेहरा चमकाने में नाकामयाब रहे गुंजन यादव
मैं भाजपा का महानगर अध्यक्ष हूं। गुंजन यादव नाम है मेरा। मेरे उपर रघुवर दास का वरदहस्त प्राप्त है। रघुवर दास जानते हो, वे राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं और अभी ओड़िशा के राज्यपाल है। मैं उनका खासमखास हूं। मैं जो चाहे वो जमशेदपुर में कर सकता हूं। कोई बोल नहीं सकता। मान लिया अगर आज अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिवस है तो क्या हुआ? मैं तो शहीद निर्मल महतो का जन्मदिवस ही मनाउँगा। मैं निर्मल महतो के घर जाकर आज आंदोलन करुंगा। सभी को मेरी बात माननी पड़ेगी।
शायद गुंजन यादव यही सारी बातें जमशेदपुर के भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं को दिमाग में घुसाना चाहते हैं। लेकिन ये क्या? गुंजन यादव की बात न तो पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं ने मानी और न ही स्थानीय पुलिस ने उनकी राजनीति को हवा दी। बेचारे गुंजन, न तो भाजपा कार्यकर्ता के हो सके और न ही निर्मल महतो के चाहनेवालों में शामिल हो सकें। मतलब न खाया न पीया, गिलास तोड़ा आठ आना। भाजपा की भद्द पिटवा दी सो अलग।
जमशेदपुर में भारतीय जनता पार्टी का बंटाधार कर दिया। पार्टी दो पाट में विभक्त हो गई। एक वो हैं जो रघुवर दास के गुट में हैं और दूसरे वे लोग हैं जिनके लिये व्यक्ति कुछ भी नहीं, पार्टी ही सब कुछ है। जिनके लिए पार्टी सब कुछ हैं। उनलोगों ने पार्टी कार्यालय का रास्ता पकड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उनके आदर्शों की चर्चा की। कुछ देर बैठे और चलते बने।
लेकिन गुंजन यादव को तो राजनीति करनी थी। जमशेदपुर से निकलनेवाली अखबारों में 26 दिसम्बर के दिन अखबार में सुर्खियां बननी थी। लेकिन कुछ जमशेदपुर पुलिस और कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने इनकी सोच पर पानी फेर दिया। राजनीतिक पंडितों की मानें तो किसी भी दिवंगत नेता के उनके जन्मदिवस या पुण्यतिथि या शहीद दिवस का दिन राजनीति करने या अपना चेहरा चमकाने का नहीं होता।
यह दिन उन दिवंगत आत्माओं को याद करने उनके पदचिह्नों पर चलने का होता है। राजनीति और चेहरा चमकाने के लिए दिन की कोई कमी हैं क्या? जब चाहे कार्यक्रम बनाइये और भिड़ जाइये। रही बात आप ताकतवर हैं या कमजोर, उसका माप करने के लिए जिला प्रशासन के पास पुलिस बल हैं ही। वो अच्छी तरह से नाप लेगी।
राजनीतिक पंडित तो यह भी कहते है कि भाजपाइयों में इन दिनों व्यक्तिवाद काफी हावी हो गया है। पार्टी और उसकी विचारधारा गौण हो गई है। भाजपा की नजरों में आज का दिन सुशासन दिवस मनाने का था। लेकिन यहां तो महानगर अध्यक्ष ने दो-दो हाथ करने का मन बना लिया था। हालांकि इनकी कितनी ताकत है, वे जमशेदपुर के भाजपा कार्यकर्ता जानते हैं।
राजनीतिक पंडित तो यह भी कहते है कि रघुवर दास भले ही झारखण्ड के राज्यपाल बने हो। लेकिन उनकी आत्मा जमशेदपुर में ही भटकती है। जब भी मौका मिलता है तो वे जमशेदपुर आ धमकते हैं और अपने चाहनेवालों का मनोबल बढ़ाकर और उन्हें कुछ न कुछ टिप्स देकर चले जाते हैं। चूंकि सुनने में आया है कि प्रदेशस्तर पर बहुत बड़ा बदलाव आनेवाला है। ऐसे में जिलास्तर पर भी गाज गिरेगा। कुछ नये चेहरे दिखेंगे। ऐसे में उसके पहले फिर से कुछ ऐसा करें कि फिर से उनके ही चेहरे पर ताज बरकरार रहे। इसीलिये आज का कार्यक्रम किया गया था। लेकिन पार्टी लाइन पर चलनेवाले भाजपा कार्यकर्ताओं और जमशेदपुर में कानून का शासन बरकरार रखनेवाले पुलिसकर्मियों ने इनकी एक न चलने दी। सारा मामला ही काफूर हो गया।