मात्र नौ दिनों में ही झारखण्ड पुलिस ने ‘सिर कटी लाश’ से पर्दा उठाया, भाजपाइयों के आंदोलन पर विराम, आरोपी जल्द होगा पुलिस के कब्जे में, शव का DNA परिवार से किया मैच
आखिरकार झारखण्ड पुलिस ने सिर कटी लाश से पर्दा उठा ही दिया। मात्र नौ दिनों में ही इस षडयंत्र में शामिल लोगों की पहचान कर लिये जाने तथा सिर कटी लाश के परिवार की शिनाख्त कर लिये जाने के बाद, शव के डीएनए को उसके परिवार से मैच कराने के परीक्षण में सफलता प्राप्त कर लेने से झारखण्ड पुलिस को बहुत बड़ी राहत मिली है, साथ ही इस कार्य के लिए झारखण्ड पुलिस की सर्वत्र प्रशंसा भी हो रही है।
ज्ञातव्य है कि पिछले कई दिनों से इस मामले में राज्य की प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी ने आसमान सर पर उठा रखा था, कोई ऐसा दिन नहीं था, जिस दिन भाजपा ने धरना-प्रदर्शन कर हेमन्त सरकार व झारखण्ड पुलिस को जलील करने का काम नहीं किया हो। राजभवन के समक्ष भाजपा महिलाओं के एक आंदोलन में इन भाजपाइयों ने एक गांव की महिला को आगे कर ऐसी-ऐसी गंदी-गंदी गालियां राज्य के मुख्यमंत्री और यहां के पुलिस पदाधिकारियों को दिलवाई कि हम उस वीडियो को यहां अपलोड भी नहीं कर सकते।
भाजपाइयों को सोचना होगा कि आखिर वे अपने आंदोलन की भाषाओं को किस स्तर पर ले जाना चाहते हैं। आश्चर्य इस बात की है कि जब उक्त महिला गंदे-गंदे गाली दे रही थी, भाजपा नेताओं का समूह हंस रहा था और तालियां बजा रहा था। मेरा तो सुझाव होगा, कि उस वीडियो को खुद भाजपा के नेता सुनें, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सुने और देखे कि उनके राज्यस्तरीय नेताओं ने आंदोलन की भाषाओं का क्या स्तर प्रदान किया है? शर्म, शर्म शर्म…
अब चूंकि इस पर से पर्दा उठ चुका है, भाजपाइयों के इस आंदोलन पर सदा के लिए विराम लग गया। युवती की पहचान सुफिया परवीन के रुप में किये जाने तथा इसकी हत्या के प्रमुख आरोपी के रुप में शेख बेलाल के नाम के आने के बाद ही भाजपाइयों ने चुप्पी साध ली।
शायद इसी को लेकर समाजसेवी नदीम खां ने सोशल साइट पर तंज कसते हुए लिखा – “ओरमांझी हत्याकांड – इ तो मामला ही पलट गया, यह तो लगता है कि मुस्लिम पीड़ित मामला निकल गया, हफ्ते भर से महिला अस्मिता बलात्कार हत्या पर आंदोलनरत बीजेपी अब क्या करेगी, ऐसे मामले पर चुप और गुमशुदा मुस्लिम समाज अब क्या करेगा? यह भी सवाल है।”
सचमुच सवाल है, अचानक मुस्लिम युवती और एक पारिवारिक विवाद से जुड़ा मामला दृष्टिगोचर होने के बाद भाजपा के आंदोलन का अचानक थम जाना कई सवालों को जन्म देता है, क्योंकि सिर कटी लाश को लेकर मुख्यमंत्री के काफिले पर हमला करनेवाले भैरव सिंह तथा उसके समर्थकों की हुई गिरफ्तारी को लेकर भाजपाइयों का समूह कुछ ज्यादा ही शोर मचा रहा था।
भाजपाइयों का कहना था कि सिर कटी लाश प्रकरण पर भैरव सिंह का मुख्यमंत्री के काफिले को निशाना बनाना कतई गलत नहीं था, ऐसा तो होता रहता है। यही नहीं प्रतिदिन एक तरह से राजभवन के समक्ष कभी युवा मोर्चा तो कभी भाजपा महिला मोर्चा ने इसे हर प्रकार से राजनीतिक रंग देने की कोशिश की, जबकि यह मामला एक अपराध के सिवा दूसरा कुछ था ही नहीं।
कुछ मीडियाकर्मियों ने भी इसे रक्तरंजित करने का भी प्रयास किया, किसी ने बिना सोचे ही इसे दुष्कर्म से जोड़ दिया, तो कई इसे दिल्ली की निर्भया कांड से जोड़कर इसे वीभत्स बनाने में जूटे रहे, लेकिन आज स्थिति यह है कि मामला कुछ दुसरा ही निकल रहा है। यह मामला पूरी तरह एक सामान्य घटना से जुड़ा है, जिसमें एक ही परिवार के लोग शामिल है, शायद इसी डर से इन्होंने सुफिया परवीन के गुमशुदगी की सूचना भी अपने चान्हो थाना को नहीं दी थी, पर आज स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है, सुफिया की सिर कटी लाश चंदवे के शेख बेलाल के खेत से बरामद कर ली गई।
सिर को खेत में नमक डालकर दफना दिया गया था, ताकि सिर इस प्रकार गल जाये कि उसकी शिनाख्त न हो सके। सिर की तलाश के लिए स्थानीय पुलिस और वरीय अधिकारी आरोपी बेलाल की पत्नी और बेटे को साथ लेकर खेत पर गये थे। बताया जाता है कि बेलाल का बैकग्राउंड अपराध का रहा है, सूत्र बताते है कि पिछली बार जब वह जेल गया था तो उसे संदेह था कि सूफिया ने ही उसे जेल भिजवाया है, जिसे लेकर वह इस प्रकार का षड्यंत्र रचा, हालांकि बेलाल को पुलिस अभी तक नहीं पकड़ सकी है, लेकिन वह दिन दूर भी नहीं, बेलाल जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होगा। बधाई राज्य की सारी पुलिस को जिन्होंने झारखण्ड को बदनाम होने से बचा लिया।