अपनी बात

कोविड सेन्टर धनबाद में एक पियक्कड़ ने दारु क्या पी ली, शरीफों के साथ दारु पीनेवाले भी आंदोलनकारी हो गये, सरकार को कटघरे में खड़ा करने लगे

आज सुबह से ही धनबाद कतरास की एक घटना सोशल साइट पर जमकर वायरल हो रही है। लोग खुब इस पर अपनी भड़ास निकाल रहे है, और हेमन्त सरकार पर चुटकी भी ले रहे हैं, साथ ही इसके लिए उन्हें कटघरे में भी खड़े कर रहे हैं। कटघरे में खड़ा करनेवाले वे हैं, जो कभी धनबाद के ही गांधी सेवा सदन में दारु, मुर्गा, सिगरेट का सेवन कर चुके हैं। भाजपा समर्थकों की तो बात ही छोड़ दीजिये, उन्हें तो बस मौका मिलना चाहिए, वे भूल जायेंगे कि उनकी सरकार ने ही कभी परचून के दुकान तक पर शराब बेचने की व्यवस्था कर दी थी।

शराब बेचने का काम अपने हाथों ले लिया था। कहने का मतलब यह है कि ऐसी कांड पर अंगूलियां वे लोग उठाएं, जो सही मायनों में सही हो, पर जो खुद विधि-व्यवस्था को चोट पहुंचाने का कोई न कोई बहाना ढूंढते हो, और वे जब इस प्रकार की हरकत करें, तो अच्छा नहीं लगता, इसलिए मैं फिर कहूंगा कि जो इस कांड पर अभी सत्यहरिश्चन्द्र की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहे हैं, पहले वे अपना दीदा अच्छी तरह देख लें, नहीं तो विद्रोही24.कॉम के पास बहुत सारे उनके किये कुकर्मों की लंबी लिस्ट हैं, जो बताने के लिए काफी है कि जो अंगूलियां उठा रहे हैं, वे भी कोई कम नहीं हैं, मौका मिलते ही किसी ने गांधी सेवा सदन में तो किसी ने ऐसी-ऐसी जगह नशे किये, जिसे मानवीयता भी जायज नहीं ठहराती, कानून की तो बात ही अलग है।

अब हम आपको बताते है कि ये हंगामा क्यों बरपा है, हंगामा इसलिए बरपा है, क्योंकि कोविड 19 सेन्टर धनबाद में एक युवक जिसकी हाथ में एक हथकड़ी भी हैं, उसने दारु पीने की कोशिश की है, या दारु पी है। सच्चाई यही है कि कोविड 19 सेन्टर जैसी जगहों पर कम से कम नशा तो होना ही नहीं चाहिए और इसके लिए अगर कोई दोषी हैं तो इसके लिए सीधा जिला प्रशासन दोषी है। जिसके अंतर्गत कोविड 19 सेन्टर की जिम्मेदारी है, क्योंकि उसने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, इसके लिए वह दारु पीनेवाले शख्स से ज्यादा दोषी जिला प्रशासन है, वहां का उपायुक्त है, वहां का पुलिस अधीक्षक है, इसे उसे स्वीकार करनी चाहिए और जनता से इसके लिए माफी भी मांगनी चाहिए, पर ये माफी वहीं मांग सकता है, जिसके अंदर सच्चरित्रता हो।

इधर जैसे ही यह बात मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को पता चली। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने धनबाद कोविड अस्पताल में गिरफ्तार युवक द्वारा शराब का सेवन करने के मामले को गंभीरता से ले लिया। मुख्यमंत्री ने उपायुक्त धनबाद को उक्त मामले की सत्यता की जांच कर संलिप्त लोगों पर कार्रवाई करते हुए सूचित करने का निदेश दिया। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद उपायुक्त धनबाद ने मुख्यमंत्री को बताया कि अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को इस मामले की अविलम्ब जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने का निदेश दिया है।

अब इसमें होगा क्या? ये उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक इस कांड पर विराम लगाने के लिए एक कोई छोटा सा पुलिस अधिकारी या कर्मचारी को उलटा लटकायेंगे और स्वयं को पाक साफ कर गंगा नहा लेंगे, जैसा कि हमेशा से होता आया है। ठीक वैसे ही जैसे बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, मधु कोड़ा, रघुवर दास आदि के शासनकाल में होता आया है, क्योंकि देश को आजादी मिलने के बाद  हमारे देश में कोई भी नेता या आइएएस या आइपीएस अधिकारी कभी गलत काम किया ही नहीं, गलत काम सिर्फ और सिर्फ छोटे लोग किया करते है, चाहे उनका विभाग कोई हो।

इस घटना ने एक बात और क्लियर कर दिया कि अब अखबार व चैनलों की कोई अहमियत नहीं। सोशल साइट ही काफी है कि सरकार को जगाने के लिए। सोशल साइट ही काफी है सरकार को बेहतर ढंग से काम कराने के लिए, क्योंकि सोशल साइट नहीं होता तो कम से कम राज्य के मुख्यमंत्री इतनी जल्दी एक्शन में नहीं आते, इस घटना ने एक बात और क्लियर कर दिया कि राज्य सरकार द्वारा संचालित कोविड 19 सेन्टर भगवान भरोसे चल रहे हैं।

जिन्हें जो काम दिया गया है, वे सही ढंग से इसे अंजाम नहीं दे रहे हैं, क्योंकि जिस रांची स्थित राज्य कोविड सेन्टर के मुख्यालय में कभी बर्थडे पार्टी सेलिब्रेट किया गया हो। जहां के कोविड सेन्टर के लोगों को पता ही नहीं कि कौन सा व्यक्ति कब कहां आया और कब जायेगा? गलत इन्फार्मेशन और अपने घर पर बैठकर ही जब पोस्टरबाजी कर देते हो, वहां ये शख्स कोविड सेन्टर में शराब पी लिया तो क्या हो गया, हमारे विचार से इसमें गलती वरीय प्रशासनिक अधिकारियों की है, दूसरे किसी की नहीं, क्योंकि ये दूसरे को काम देकर, स्वयं आराम की भूमिका में चले जाते हैं, जहां ऐसे लोग होंगे, इस प्रकार की घटनाएं घटेंगी और लोग अपनी-अपनी पार्टियों के चश्मे लगाकर, अपनी-अपनी ढपली और अपना-अपना राग गायेंगे।