विपक्ष को हाशिये पर लाने के लिए रांची की मीडिया और सत्तारुढ़ दल के बीच ‘ले-दे’ की संस्कृति प्रारम्भ
पूरे राज्य में रांची की मीडिया और राज्य की भाजपा सरकार के बीच ले–दे की संस्कृति फलने–फूलने लगी है, और इसके माध्यम से राज्य के सभी प्रमुख विपक्षी दलों को हाशिये पर लाने का काम शुरु हो गया है। राज्य का सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग जिसके मंत्री स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास हैं, उस विभाग ने इसमें सक्रियता दिखानी शुरु कर दी है। हर हफ्ते यानी रविवार के दिन रांची के सभी प्रमुख व प्रभावशाली अखबारों को, दो–दो पेज के विज्ञापन पेड न्यूज की तरह छापने को कहे गये हैं, जिस पर सारे अखबारों ने काम करना प्रारम्भ कर दिया हैं।
आज फिर प्रभात खबर ने आज के बीच यानी पृष्ठ संख्या 10 एवं 11 पर रघुवर भक्ति में स्वयं को लगा दिया है, खूब बड़े ही शानदार ढंग से समाचारों के शक्ल में राज्य सरकार की स्तुति गाई गई है, ताकि इसे पढ़कर राज्य की सामान्य जनता धोखे का शिकार हो जाये और वह यह समझे की सचमुच राज्य सरकार ने उनके भले के लिए गजब ढा दिया है, जबकि सच्चाई कुछ और ही है।
सूत्र बताते हैं कि इधर अखबार के साथ–साथ उन इलेक्ट्रानिक मीडिया को भी कानक्लेव की तैयारी करने को कहा गया है, तथा आधे घंटे के स्लॉट तैयार कर, राज्य सरकार की स्तुति गाने को कहा गया है, जिसकी तैयारी सारे चैनलों ने शुरु कर दी है, एकमेव रघुवरम्, एकमेव बीजेपीम् का नारा हर जगह दिखाई और सुनाई दे रहा हैं।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि चूंकि आर्थिक दृष्टिकोण से विपक्ष बहुत ही कमजोर हैं, उसकी ऐसी स्थिति नहीं कि वह एक पेज भी इन अखबारों को विज्ञापन देकर, अपने पक्ष में रख सकें, इसलिए इन सारे मीडिया हाउस ने विपक्ष को घास नहीं डालने का प्रण ले लिया है, साथ ही वैसी समाचारों से तौबा कर लिया है, जिससे विपक्ष को मजबूती मिल सकें।
राजनीतिक पंडितों की माने तो यह सीधे–सीधे मीडिया द्वारा लोकतंत्र की हत्या है, क्योंकि जब आप पैसे की लालच में ले–दे की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं तो वहां विपक्ष और जनता की आवाज एक सोची–समझी रणनीति के तहत दबा दी जाती हैं और इस प्रकार सत्तारुढ़ दल की हवा बना दी जाती हैं, ताकि आम आदमी यह सोचने पर मजबूर हो जाये कि राज्य में विपक्ष है ही नहीं, ले–देकर केवल सत्तारुढ़ दल हैं और उसी को वोट देने में राज्य की भलाई हैं, और इसी आधार पर पूरे राज्य में मीडिया हाउस ने काम करना प्रारम्भ कर दिया है।
सूत्र बताते है कि कई मीडिया हाउस ने अपने यहां काम कर रहे संवाददाताओं व डेस्क पर काम करनेवाले लोगों को हिदायत दे रखी है कि वह ऐसे समाचार न छापे या प्रसारित करें, जिससे सरकार की नकारात्मक छवि जनता के बीच जाये, क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव के मात्र तीन महीने शेष हैं, इसमें भाजपा भक्ति, रघुवर भक्ति में ही ज्यादा समय व्यतीत करने हैं, तथा लोगों को बताना है कि देश में केवल देशभक्ति केवल भाजपा के पास है, बाकी सारी पार्टियों बेकार और महत्वहीन है।
यहीं नहीं हर रविवार को दो पेज का पेड विज्ञापन मिलने की खुशी में, कई मीडिया हाउस ने अपने–अपने यहां संवाददाताओं की एक लिस्ट बना रखी है, जिन्हें सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सम्पर्क में रहना है, तथा उनके द्वारा विभिन्न शहरों में जाकर सरकार के पक्ष में न्यूज बनाना तथा उसे अखबारों में प्रथम पृष्ठ पर स्थान देना है, ताकि आम जनता भ्रमित होकर, इन तीन महीनों में कमल–कमल, रघुवर–रघुवर, मोदी–मोदी ही जपे।
राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि ले–दे संस्कृति का जन्म केवल झारखण्ड ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए खतरा है, और इसकी शुरुआत तथा इसका वृक्षारोपण जिस प्रकार से किया गया है, उससे आम जनता पूरी तरह बर्बाद हो जायेगी, और पूर्णतः सत्ता पर हमेशा के लिए धनलोलूप लोगों का कब्जा हो जायेगा, फिर किसी को भी सत्य नहीं दिखाई देगा, और न ही उन्हें न्याय मिल पायेगा। हर जगह मतलबी, असामाजिक, अपराधियों का बोलबाला हो जायेगा और सत्यनिष्ठ, सामाजिक व सभ्य नागरिक जेलों की शोभा बढ़ायेंगे, इसलिए अच्छा रहेगा कि राज्य की जनता अखबारों–चैनलों से दूरियां बढ़ाये, नहीं तो झारखण्ड के भविष्य का बंटाधार तय है।