राजनीति

राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा के जवाब में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा हमने अपने पूर्वजों के सपनों का झारखण्ड बनाने के लिए नींव रख दी हैं, अब सिर्फ उस पर बिल्डिंग बनानी बाकी है

झारखण्ड विधानसभा के अंतिम दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्यपाल का अभिभाषण सरकार का श्वेत पत्र है। हमारी सरकार को क्या करना है, राज्य को किस दिशा में ले जाना है। इस अभिभाषण में सब कुछ बता दिया गया है।

पूर्व में माना जाता था कि देश को टाटा-बिड़ला जैसे उद्योगपति चला रहे हैं। इस राज्य में टाटा के उद्योग भी लगे हैं। लेकिन उसके बावजूद पता नहीं इस राज्य को कौन सा अभिशाप लग गया कि यह राज्य भूमिहीनों, विस्थापितों, बेरोजगारों और पलायन करनेवाले लोगों का स्थान बन गया।

हेमन्त सोरेन ने कहा कि इन्हीं सभी पीड़ाओं को लेकर शिबू सोरेन-विनोद बिहारी महतो जैसे नेताओं ने अलग राज्य बनाने का आंदोलन करने का प्रण किया। जब ये लोग आंदोलन कर रहे थे, तो सामंती विचारधारा के लोग उन पर कटाक्ष करते तथा उनकी हंसी उड़ाते थे। पहाड़िया दारु पीकर पड़ा रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि किसी भी गरीब गुरबा को कोई हक या अधिकार लाकर नहीं देता, बल्कि उसके लिए उस गरीब-गुरबा को आंदोलन करना पड़ता है।

उन्होंने कहा वे भी मानते हैं कि जब झारखण्ड बना तो उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। लेकिन यह भी मालूम होना चाहिए कि इस राज्य में कई सालों तक शासन करनेवाली भाजपा के राज में राशन कार्ड रहने के बावजूद कई लोग भात-भात चिल्लाते भूख से मर जाया करते थे। किसान आत्महत्या करते थे। लोग डरे-सहमे रहते थे।

राज्य बनने के बाद किसी के चेहर पर हंसी-खुशी नहीं थी। हम सब ने उसे देखा हैं। लेकिन 2019 में जब हमारी सरकार आई तो लोगों ने देखा कि प्रोजेक्ट बिल्डिंग से लेकर मंत्रिमंडल सचिवालय ही नहीं बल्कि विधानसभा तक ढोल-नगाड़े लेकर लोग दौड़े। लोगों में उत्साह नजर आया।

उन्होंने कहा कि वे आज भी कहते हैं कि उनकी सरकार प्रोजेक्ट बिल्डिंग से नहीं चलेगी, बल्कि गांव-देहात से चलेगी, क्योंकि हमारा मानना है कि गांव की जब तक अर्थव्यवस्था नहीं सुधरेगी, गांव की उन्नति नहीं होगी, तब तक झारखण्ड के उद्धार की कल्पना बेमानी है। उन्होंने कहा कि कई राज्य भाषा, बोलचाल, भौगोलिक स्थितियों-परिस्थितियों के आधार पर बने हैं।

लेकिन झारखण्ड आंदोलन की उपज है। इसलिए यहां के लोग जब तक लक्ष्य को पा नहीं लेते। संघर्ष करते रहते हैं। हमने अपने पूर्वजों के सपनों का झारखण्ड बनाने के लिए नींव रख दी हैं। अब सिर्फ उस पर बिल्डिंग बनानी बाकी है। उन्होंने कहा कि वे बोलने में नहीं, सिर्फ करने में विश्वास रखते हैं। 2019 के बाद से परिवर्तन दिखने लगा है।

आप इसे आधारभूत संरचनाओं के विकास, पर्यटन, रोजगार सृजन आदि में देख सकते हैं। मजदूरों की सुरक्षा और राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए हमलोग आगे चल दिये हैं। राजधानी रांची की भी कायापलट हो रही है। लोग महसूस कर रहे हैं। इसलिए किसी को चिन्ता करने की जरुरत नहीं।

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