झारखण्ड में 43 सीटों पर संपन्न हुए प्रथम चरण के मतदान में शहरी क्षेत्रों में हुए कम वोटिंग ने BJP के दिग्गजों की बढ़ाई चिन्ता, पहली बार शहरी क्षेत्रों में झामुमो ने दिखाई धमक, ग्रामीण इलाकों में भी चला JMM गठबंधन का जादू
झारखण्ड में 43 विधानसभा सीटों पर चुनाव संपन्न हो गये। शहरी क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत कम रहा, जबकि ग्रामीण इलाकों में शहरों की अपेक्षा मतदान का प्रतिशत अधिक रहा। शहरी क्षेत्रों में हुए कम मतदान ने भाजपाइयों की नींद उड़ा दी हैं। भाजपा के कई दिग्गज इस कम मतदान से परेशान दिखे। जबकि ग्रामीण इलाकों में झामुमो गठबंधन का जादू सिर चढ़कर बोला। बताया जाता है कि प्रथम चरण के चुनाव में कम मतदान होने का मूल कारण छठ और कार्तिक पूर्णिमा के लिए झारखण्ड के कई शहरी क्षेत्रों से अपने गांव-घर (बिहार-उत्तर प्रदेश) गये लोगों को अब तक नहीं लौटना रहा है।
विद्रोही24 रांची के जिन-जिन भाजपाई इलाकों वाले मतदान केन्द्रों पर पहुंचा, वहां मतदाताओं की पंक्तिबद्ध भीड़ नही दिखाई दी। लोग इक्का-दुक्का जाते और वोट देकर निकल जाते। जबकि इन्हीं इलाकों में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं की भारी भीड़ देखी गई थी। जिस कारण लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी रांची विधानसभा सीट से भारी मतों के अंतर से बढ़त बनाने में सफल रहे। लेकिन इस बार वैसा नहीं दिखा। ज्यादातर मतदान केन्द्रों पर भाजपा कार्यकर्ता तो दिखें, लेकिन पहले जैसा उनके अंदर जोश नहीं दिखा।
रांची में ही पहली बार विद्रोही24 ने महसूस किया कि जिन इलाकों में झामुमो प्रत्याशी महुआ माजी वोट मांगने पहुंची भी नहीं और न ही चुनाव प्रचार किया। उन इलाकों में भी उनके कार्यकर्ता मतदान शुरु होने से लेकर संपन्न होने तक मुस्तैद दिखे। हर जगह बड़ी संख्या में झामुमो कार्यकर्ता पहली बार हरी पट्टी लगाकर विभिन्न मतदान केन्द्रों पर बैठे नजर आये। रांची के चुटिया इलाके में हुए कम मतदान तथा इन क्षेत्रों में भी इस बार झामुमो ने अपनी धमक दिखा दी हैं।
यही हाल हटिया विधानसभा में भी दिखा। हटिया के ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में स्थित मतदान केन्द्रों पर मतदाता उस प्रकार से नहीं दिखे, जैसा कि लोकसभा चुनाव के दौरान दिख रहे थे। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्थिति इसके ठीक उलट दिखी। यहां कांग्रेस प्रत्याशी अजय नाथ शाहदेव के कार्यकर्ताओं के चेहरे खिले नजर आये, जबकि भाजपा प्रत्याशी नवीन जायसवाल के कार्यकर्ताओं का चेहरा वैसा नहीं दिखा, जो लोकसभा के चुनाव के समय था।
कोल्हान व पलामू प्रमंडल में संपन्न हुए चुनाव में भी भाजपा गठबंधन मजबूत स्थिति में नहीं दिखा। वहां झामुमो गठबंधन हर जगह पर बढ़त बनाता दिखा। झामुमो गठबंधन के कार्यकर्ताओं के बुलंद हौसलों के आगे भाजपा कार्यकर्ता पानी भरते नजर आये। उसका मूल कारण भाजपा कार्यकर्ताओं में हुआ बिखराव यानी पार्टी के विरोध में खड़े प्रत्याशियों को उनके द्वारा समर्थन कर दिया जाना, भाजपा समर्थित ज्यादातर मतदाताओं का शहर में नहीं होना, तथा अपने गांव-घर से अभी तक नहीं लौटना व भाजपा नेताओं की शीर्षस्तर पर फैली गुटबाजी रहा।
राजनीतिक पंडित कहते हैं कि आज प्रथम चरण के मतदान में झामुमो गठबंधन कार्यकर्ताओं की हाई लेवल मुस्तैदी तथा भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं की लूंज-पूंज स्थिति ने चुनाव परिणाम को एक तरह से साफ कर दिया कि यहां किसकी स्थिति मजबूत हैं? राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि जिस प्रकार से शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं ने इस बार दूरियां बनाई, वो बता रहा है कि भाजपा की इस बार स्थिति ठीक नहीं हैं।
राजनीतिक पंडितों का आज के संपन्न हुए चुनाव को देखकर यह भी कहना था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की चुनावी सभा और रोड शो के बाद भी मतदान का ये हाल तथा भाजपा कार्यकर्ताओं की लूंज-पूंज स्थिति बताने को काफी है कि इस प्रथम चरण में कौन मजबूत है? कई राजनीतिक पंडितों ने तो साफ कह दिया कि भाजपा की हाल अब गइल भइसियां पानी में वाली हो गई है। 2019 की पुनरावृत्ति साफ दिखाई दे रही है। हो सकता है कि झामुमो पहले से और मजबूत स्थिति में हो जाये, क्योंकि आज का मतदान कुछ इसी प्रकार का इशारा कर रहा है।
मतदाता हमेशा एंटी बीजेपी ही वोट करते हैं लेकिन इंडिया गठबंधन में ताकत नहीं है कि ईवीएम की रक्षा कर सके