मुख्यमंत्री आवास में बने हनुमान मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा जाग्रत अवस्था में हैं, इसे समझने की कोशिश सभी को करनी चाहिए, आज मैं वहां हो रही आरती में भाग लिया तथा दिव्य आनन्द की अनुभूति प्राप्त की
आज रांची के बहुत सारे कथित-तथाकथित पत्रकारों की टोली मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में उपस्थित थी। मैं भी वहां उपस्थित था, क्योंकि मुझे भी सूचना व्हाट्सएप्प के माध्यम से प्राप्त हुई थी। ऐसे तो मैं जब से झारखण्ड बना मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में जब-जब प्रेस कांफ्रेस हुआ और मुझे बुलाया गया तो उपस्थित हुआ। लेकिन आज जब मैं वहां पहुंचा तो हमें लगा कि मुझे उस कार्यालय में उपस्थित हनुमान जी ने विशेष रूप से बुलाया है।
मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में एक बहुत बड़ा लॉन है। जहां पत्रकारों के साथ मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को गुफ्तगूं करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी और दूसरी ओर भोजन की व्यवस्था की गई थी। समय पांच बजकर तीस मिनट सायं रखा गया था। इसलिए मैं भी ससमय पहुंच गया था। लेकिन देर होती चली गई। इसी बीच सवा सात बज चुके थे।
मुझे वहीं बने हनुमान मंदिर में हो रही आरती की धुन सुनाई पड़ी और मेरे पांव स्वतः उस हनुमान मंदिर की ओर चल पड़े और हनुमान जी की प्रतिमा के समक्ष मैं दोनों हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। पंडित जी बड़ी ही सुन्दर ढंग से हनुमान जी की आरती उतार रहे थे तथा वहां रखे गये अन्य भगवान के विग्रहों की भी आरती उतार रहे थे, आरती समाप्त हुई। उन्होंने हमें तिलक लगाया। आरती दी और मेरे हाथों में छोटे-छोटे मुकुन्ददाना प्रसाद के रूप में रख दिये।
मैंने हनुमान जी के प्रसाद को मस्तक पर लगाया और ग्रहण किया। रांची में सिर्फ मुख्यमंत्री आवास में ही हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर हैं, जो प्राण-प्रतिष्ठित हैं। बाकी जगहों पर तो लोगों ने ऐसे ही हनुमान जी को रख दिया और फिर पूजन करना शुरु कर दिया। प्राण-प्रतिष्ठित देवता और ऐसे ही रखी गई प्रतिमाओं में आकाश जमीन का अंतर होता है।
जब आप प्राण-प्रतिष्ठित देवता के सामने हाथ जोड़कर खड़े होते हैं तो आपको आध्यात्मिक चेतना तथा उसका स्पन्दन स्पष्ट रुप से अनुभव होता हैं। बाकी जगहों पर नहीं। लेकिन हमें लगता है कि जो मुख्यमंत्री आवास में जो लोग जैसे अधिकारी व कर्मचारी रहते हैं, या जो प्रमुख हस्तियां वहां पहुंचती है। उक्त हनुमान मंदिर में उपस्थित हनुमान जी को समझ नहीं सके हैं। अगर समझते तो हनुमानजी की कृपा उन पर भी बरसती। जो अब तक नहीं बरसी है। कहा भी गया है –