आमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिंडेट ऑफ भारत लिखे जाने से क्रोधित झामुमो ने इसे गलत परम्परा की शुरुआत बताया, NDA को नेशनल डिजास्टर एलांयस के नाम से पुकारा
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने जी-20 समिट में शामिल विश्व के नेताओं के लिए राष्ट्रपति भवन में 9 सितम्बर को आयोजित रात्रिभोज के लिए छपे आमंत्रण पत्र में परम्परा से हटकर प्रेसिंडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखे जाने की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ऐसा किया जाना बताता है कि भारत की नरेन्द्र मोदी सरकार इंडिया गठबंधन से कितनी डरी हुई है और इसे भी आपदा को अवसर के रुप में ढूंढ लिया है।
सुप्रियो ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार की इतनी बड़ी कलाकारी, लूट की इतनी बड़ी साजिश और इसके पीछे अरबों-खरबों रुपये जो नाम बदलने में खर्च होंगे, यानी एक रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक बदले जायेंगे, आखिर इससे किसका फायदा होगा। सुप्रियो ने कहा कि स्थिति ऐसी हो गई है कि लगभग चार दिन हो गये। संसद का विशेष सत्र आहूत है। उसके मुद्दे अभी तक सामने नहीं आये हैं। अजीब स्थिति हो गई है। भाजपा राष्ट्रीय भाषा का अपमान करने पर तुली है। हिन्दी से इतना नफरत होगा, उन्होंने कभी सोचा नहीं था।
सुप्रियो ने कहा कि एक समय था यही आरएसएस व हिन्दू महासभा के लोग हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्थान कहते थकते नहीं थे। आज वे प्रेसिडेंट ऑफ भारत कह रहे हैं। सुप्रियो ने कहा कि ये लोग इतने दहशत में है कि सत्ता में नौ साल रहने के बाद जब इनके घोटाले के कारनामे सामने आने का वक्त आया तो ये लोग कलाकारी पर उतर आये। सुप्रियो ने कहा कि वो एनडीए नहीं है, बल्कि नेशनल डिजास्टर एलांयस है। मतलब राष्ट्रीय आपदा गठबंधन।
ये देश के स्वरुप को बदल देंगे। संविधान को बदल देंगे। भू-भाग को बदल देंगे। अब इस देश में कोई दलित, आदिवासी नहीं रहेगा। कोई धर्म के माननेवाले नहीं रहेंगे। केवल कारपोरेट रहेगा। सुप्रियो ने कहा कि जो ये 85 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देते है, ये पैसा बताने के लियो जिनोसाइड भी करवा सकते हैं। जैसे जर्मनी में हुआ, गैस चेम्बर में रखकर यहुदियों को मार दिया गया था।
सुप्रियो ने कहा कि ये कितना बड़ा कलंक होगा। जब अंतरराष्ट्रीय मंच में यह बात का संदेश जायेगा कि भारत सरकार एक मोर्चे से इस कदर घबरा गई कि अब वो पदनाम भी बदल दे रही हैं। सुप्रियो ने कहा कि उचित यही रहता कि जो आफिसियल लेटर बांटा गया है। उसमें निवेदनकर्ता की जगह भारत का विदेश मंत्रालय, स्थान -भारत मंडपम लिखा रहता। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिस प्रकार से राष्ट्रभाषा, राष्ट्रध्वज व राष्ट्रीय प्रतीकों के साथ ये कर रहे हैं, ये ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जो पांच दिन का विशेष सत्र होगा, अब ये पता चल गया है कि बाबा साहेब के संविधान की हत्या होगी। ये गंभीर मुद्दा है। देश की जनता को विचार करना है।