राजनीति

अटल जी के नाम पर, सुशासन दिवस के नाम पर, झूठा संकल्प लेने की कोशिश

जो सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर आकर जातीयता को ही सर्वस्व समझ लेते हैं, जिन्हें जातीय सम्मेलन में जाने से गौरव महसूस होता है, वे भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री, सर्वमान्य नेता अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर भी झूठ बोलने से नहीं हिचकते। आज राज्य के सभी अखबारों में राज्य के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने हाफ पेज का विज्ञापन निकाला है। यह विज्ञापन पूर्णतः अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित है। आज का दिन सुशासन दिवस के रुप में भाजपा मनाती है, देश व राज्य में कितना सुशासन है? वह जनता महसूस कर रही है।

जो आकंठ जातिवाद में डूबे हैं, जिन्होंने वंशवाद की नई परिभाषा गढ़ी है, उन्होंने सुशासन दिवस पर राज्य की जनता को संकल्प लेने को कहा है। संकल्प में कहा गया है कि आइये हम वंशवाद और जातिवाद जैसी सभी बुराइयों से मुक्त कर न्यू झारखण्ड का सपना साकार करें। भाई ये न्यू झारखण्ड क्या होता है?  हम नहीं जानते और न जानने की कोशिश करना चाहते है, क्योंकि जो वर्तमान में जी रहे हैं, उन्हें पता है कि आनेवाला झारखण्ड कितना नया होगा?

इसी साल जुलाई महीने की बात है, झारखण्ड के पूर्व प्रभारी रह चुके हरेन्द्र प्रताप ने जातिवाद की राजनीति शुरु कर रहे भाजपा नेताओं को चेताया था, कि वे जातिवाद की राजनीति बंद करें, भाजपा जातिवाद की राजनीति में विश्वास नहीं करती, अगर भाजपा ने यह सब बंद नहीं किया तो इसके दुष्परिणाम भी हो सकते है। उन्होंने सोशल साइट पर अपने फेसबुक में लिखा था कि भाजपा के नेताओं कम से कम पं. दीन दयाल उपाध्याय जी के शताब्दी वर्ष में तो जाति के सम्मेलन से परहेज करो। ज्ञातव्य है कि उस वक्त विद्रोही 24. कॉम ने इस मुद्दे को सर्वप्रथम उठाया था।

जरा पूछिए, राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास से, कि उन्होंने पटना में तेली साहू समाज द्वारा आयोजित रैली में भाग लिया था या नहीं, जहां उन्हें चांदी के मुकुट से नवाजा गया था। इस तेली साहू समाज के कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता व बिहार के वर्तमान उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी भाग लिया था।

इस कार्यक्रम में भाग लेने पर, स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने ट्विटर फोटो के साथ ट्विट किया था – “सरकार के ढाई साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पटना में आयोजित एक समारोह की कुछ तस्वीरें”

आश्चर्य इस बात की है कि रघुवर सरकार ढाई साल पूरा करती है झारखण्ड में और उसका उत्सव मनाती है पटना में। वह भी तेली साहू समाज द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में और ये बातें कोई दूसरा नहीं लिखता, स्वयं ट्विट करते है – रघुवर दास, इसका मतलब क्या है?  इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास, सारी नैतिकता को ताक पर रखकर, वह काम कर रहे थे, जिसे कभी सहीं नहीं ठहराया जा सकता, अगर राज्य सरकार का मुखिया स्वयं कहे और फोटो दें तथा जातीय सम्मेलन में भाग लेकर गर्व महसूस करें, तो इसे आप क्या कहेंगे

हरेन्द्र प्रताप ने एकात्मवाद के प्रणेता पं. दीन दयाल उपाध्याय का हवाला देते हुए सोशल साइट पर उस दौरान लिखा था कि “1963 जौनपुर से लोकसभा लड़ने चुनाव के दौरान जाति की राजनीति करने के आग्रह को दीनदयाल जी ने ठुकरा दिया था” ये बातें किसी को नहीं भूलना चाहिए। हरेन्द्र प्रताप के इस पोस्ट पर कई बुद्धिजीवियों ने कमेंट्स भी किये थे, जिससे पता चलता है कि इस घटना से कई लोगों की भाजपा से नाराजगी बढ़ी हैं।

जरा देखिये, झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अब तक अपनी जाति के द्वारा आयोजित कितने सम्मेलन में भाग लिये हैं…

  • 15 फरवरी 2015 – गुमला में आयोजित तेली महाजतरा में भाग लिया।
  • 2 अगस्त 2015 – बिहार के पटना स्थित श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित बिहार राज्य तेली साहू समाज के कार्यक्रम में भाग लिया।
  • 16 जनवरी 2017 – छतीसगढ़ के राजानंदगांव में साहू समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया।
  • 11 फरवरी 2017 – गुमला में आयोजित तेली जतरा में भाग लिया।
  • 10 अप्रैल 2017 – खूंटी के कचहरी मैदान में आयोजित छोटानागपुरिया तेली उत्थान समाज कार्यक्रम में भाग लिया।
  • 23 जुलाई 2017 – पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित तेली साहू समाज कार्यक्रम में भाग लिया।

और अब आप खुद चिन्तन करिये कि क्या आज रघुवर सरकार द्वारा निकाला गया विज्ञापन, सत्य के आस-पास भी कहीं ठहर रहा हैं, अगर नहीं तो आप निर्णय करिये कि आप कैसा समाज, कैसा राज्य, कैसा देश बनाना चाहते हैं?