मॉब लिंचिंग के विरोध के नाम पर रांची में मुस्लिम संगठनों ने की गुंडागर्दी, सरकार व उसके पुलिस अधिकारी लाचार
मॉब लिंचिंग के खिलाफ पूरा देश उन लोगों के साथ हैं, जो मॉब लिंचिंग के शिकार हुए। वे सारी राजनीतिक पार्टियां, सामाजिक संगठन एवं कई जनसंगठनों के लोग मॉब लिंचिंग के शिकार लोगों के साथ सहानुभूति ही नहीं, बल्कि उनके साथ कदम से कदम मिलाकर संघर्ष कर रहे हैं और राज्य तथा केन्द्र सरकार को नकेल कस रहे हैं, पर इन दिनों कई स्थानों पर तबरेज के नाम पर मुस्लिम संगठनों ने कानून को अपने हाथ में लेने का काम शुरु कर दिया हैं, शुरुआत उत्तरप्रदेश से हुई और देखते-देखते अब ये झारखण्ड भी पहुंच गई।
मत भूलिये कि पिछले दिनों दिल्ली में एक मामुली घटना को लेकर मुस्लिम संगठनों के कुछ युवाओं ने दिल्ली के एक अतिप्राचीन मंदिर पर धावा बोला, और मंदिर को अपवित्र ही नहीं, बल्कि नुकसान भी पहुंचाया, जिसमें तीन लोगों की गिरफ्तारी भी हुई, अब ये इसी प्रकार की घटना, यानी आतंक का साम्राज्य खड़ा करने के लिए ये वे सारी हरकते करने शुरु कर दिये हैं, जैसे लगता है कि देश मे कानून नाम की कोई चीज ही नहीं, यहीं नहीं उत्तर-प्रदेश के कई शहरों में तबरेज के नाम पर हो रहे प्रदर्शन ने लोगों का जीना हराम कर दिया है।
आज यही दृश्य झारखण्ड में दिखाई पड़ा। दरअसल मुस्लिम संगठनों ने तबरेज के नाम पर आज जनाक्रोश रैली आयोजित की थी, जिसमें सभी ने शांतिपूर्वक ढंग से रैली निकालने तथा किसी को नुकसान न पहुंचाने की बात की थी, पर आज मॉब लिंचिंग के नाम पर रांची के डोरंडा में नाम के लिए तिरंगा हाथ में रखे, इन मुस्लिम युवाओं ने काला झंडा भी हाथ मे रखा और उसमें चांद-तारे लगाकर, मुख पर पट्टी बांधकर जमकर गुंडागर्दी की, कई युवाओं को पीटा, सड़कों पर चल रही वाहनों में तोड़-फोड़ की, आने-जानेवालों के साथ अभद्रता की और जब लोगों ने ऐसा नहीं करने को कहा तो उसकी धुनाई भी कर दी, कुछ लोगों ने इनकी गुंडागर्दी को जब मोबाइल में कैद करना चाहा तो इन्होंने उनकी मोबाइल भी छीन ली।
आश्चर्य इस बात की है कि जब मौके-वारदात वहां तैनात पुलिस से लोगों ने सुरक्षा मांगी तो पुलिस खुद की सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दी, और लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया। यहीं नहीं, डोरंडा मे कई मुस्लिम युवकों ने कई गैर मुस्लिम युवकों को बेतरतीब ढंग से पीटा भी, जो उधर से किसी काम के लिए गुजर रहे थे, जिससे वहां की स्थिति बिगड़ती नजर आई। इन मुस्लिम संगठनों के इस रैली से सड़कों पर गुजरनेवाली महिलाओं को भी भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा।
आज की इस जनाक्रोश रैली पर बुद्धिजीवियों का कहना था कि इस तबरेज की घटना को जब हिन्दू और मुस्लिम के चश्मे से देखा जायेगा तो फिर दिक्कते आयेंगी, क्योंकि तबरेज के साथ जो कुछ हुआ, उससे केवल मुस्लिम ही नहीं, बल्कि हिन्दू भी दुखी है, तभी तो जहां भी प्रदर्शन हो रहे हैं, वहां बड़ी संख्या हिन्दू भी भाग ले रहे हैं, पर इस प्रकार की रैली कर जब आप कानून को हाथ में लेंगे, अपनी गुंडागर्दी को छुपाने के लिए मुंह पर पट्टी बांधेंगे तो जो साम्प्रदायिक सद्भाव में विश्वास रखनेवाले लोग हैं, उन्हें तो कष्ट पहुंचेगा कि आखिर वे किसके लिए लड़ रहे हैं, बुद्धिजीवियों का कहना है कि राज्य सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों पर जिन्होंने रांची की अमन में विष घोलने की कोशिश की हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई करें, ताकि रांची के लोगों को लगे कि सचमुच यहां कानून का राज है।
साथ ही जिन्होंने आक्रोश रैली निकालने की बात कही थी, क्या उन्होंने स्थानीय प्रशासन से इसकी परमिशन ली थी, और जब परमिशन ली थी तो उसका रुट क्या था? और जब रैली की रुट निर्धारित थी, तो इस रैली में शामिल कुछ उपद्रवियों से निबटने के लिए क्या प्रबंध किये गये थे, या रांची की जनता को आज का दिन इनके हवाले छोड़ दिया गया था, क्या रघुवर सरकार ऐसे हिंसक प्रदर्शन पर अंकुश लगायेगी, क्योंकि एक बार जब आप ऐसे लोगों को मौका देंगे, तो फिर वे दुबारा इस प्रकार की हरकत करेंगे और रांची के अमन-शांति पर कुठाराघात करेंगे।