अपनी बात

डेढ़ साल की सत्ता में ही झामुमो को झारखण्ड पुलिस उर्फ राजदुलारी से हुआ अद्भुत प्रेम, इस प्रेम का फायदा उठाने में दोनों लगे, झारखण्ड बर्बादी की ओर

डेढ़ साल पहले तक हर दिन झारखण्ड पुलिस के चरित्र पर रांची से लेकर दिल्ली के संसद तक अंगूलियां उठानेवाली झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को आजकल झारखण्ड पुलिस उर्फ राजदुलारी से इतना मुहब्बत हो गया है, कि इस मुहब्बत में वो दीवानी हो चुकी है, तथा उस पुलिस के खिलाफ एक शब्द वो न तो सुनना चाहती और न ही बोलना चाहती।

बदले में झारखण्ड पुलिस उर्फ राजदुलारी भी राज्य सरकार के प्रति अपना मुहब्बत हर प्रकार से प्रकट कर रही हैं, जैसे किसी को फंसाना हो, किसी को जेल में डालना हो, किसी के इज्जत के साथ खेलना हो, वो सारे काम आजकल झारखण्ड पुलिस कर रही है। आश्चर्य यह है कि ठीक इसी प्रकार का कार्य डेढ़ साल पूर्व भाजपा की सरकार यानी रघुवर सरकार में हुआ करता था।

उस वक्त तो राज्य के पुलिस महानिदेशक जो आज भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम चुके हैं, भाजपा कार्यकर्ता की तरह पेश आते थे, जिसको लेकर उनके प्रेस कांफ्रेस भी विवादों में रहा करती थी, मतलब अब सब कुछ उलटा-पुलटा हो चुका है। झामुमो को अब बकोरिया कांड याद नहीं है।

जिसमें पुलिस बेगुनाहों को मार डाली थी, रघुवर सरकार की ये घटना थी, जिसको लेकर झामुमो हाय-तौबा मचाई थी, पर अब जरा झारखण्ड पुलिस के बारे में झामुमो नेताओं से पूछिये तो ये उनके कशीदे पढ़ेंगे, जैसे जहां भी भाजपा का कोई नेता झारखण्ड पुलिस के खिलाफ बयान देता है, झामुमो का कोई न कोई नेता पुलिस के पक्ष में बयान देने के लिए, संवाददाता सम्मेलन तक आयोजन करने में कदम बढ़ा देता हैं।

वह भी उस पुलिस के लिए जो पुलिस एक मच्छड़ टाइप क्रिमिनल को पकड़ती हैं तो उसका भी प्रेस कांफ्रेस कर ढिंढोरा पीटती हैं, लेकिन विधायक खरीद-फरोख्त मामले में अभी तक तीनों विधायकों को नोटिस तक जारी नहीं की है और न ही झामुमो नेताओं का इस पर कोई मुंह खुलता है।

एक चैनल के साथ मिलकर एक पत्रकार को झूठे मुकदमे में फंसानेवाले ये झामुमो के नेताओं और स्थानीय पुलिस को लगता है कि दुनिया की सारी बुद्धि उन्हीं के पास आ चुकी है, दुबारा सत्ता परिवर्तन होगा ही नहीं, हमेशा हेमन्त सोरेन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चिपके रहेंगे, जैसे कभी रघुवर दास को यह सपना आता था, पर सत्ता कैसे बदली और वे खुद कहां हैं, किसको पता नहीं। आनेवाले समय में हेमन्त सोरेन का भी वही होना है,  लेकिन अभी सत्ता का मदान्ध जो न करा दें।

आज फिर झामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य, पुलिस प्रवक्ता की तरह पेश आये, संवाददाता सम्मेलन की और खुब झारखण्ड पुलिस की पीठ थपथपाई, आखिर पीठ क्यों न थपथपाए भाई, इतनी सुंदर पुलिस, आज्ञाकारी पुलिस, धनबाद में कोयला तस्करों का मनोबल बढ़ानेवाली पुलिस, जज हत्याकांड की सुराग तक पता नहीं लगानेवाली पुलिस, रुपा तिर्की कांड को उलझानेवाली पुलिस, किसी को भी फंसाने के लिए आज्ञाकारी की तरह टूल्स की तरह इस्तेमाल हो जानेवाली आजकल पुलिस कहां मिलेगी?

मैं तो कहूंगा कि हेमन्त सरकार और झारखण्ड पुलिस को यह संबंध किसी हाल में नहीं टूटना चाहिए, क्योंकि झारखण्ड पुलिस हैं तो हेमन्त सरकार है, और हेमन्त सरकार है तो झारखण्ड पुलिस है। भाई ऐसी पुलिस और ऐसी पुलिसिंग की जितनी प्रशंसा की जाय कम है, तभी तो ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ पुलिस दिल्ली शिफ्ट हो जाना चाहते हैं और जितने भ्रष्ट हैं, वो इस सरकार में डूबकी लगाकर मोक्ष की प्राप्ति कर लेना चाहते हैं, फिर भी इन दोनों को शर्म नहीं।