कोरोना के इस दौर में, हेमन्त सरकार की चार भूलें, भाजपा के लिए भविष्य में च्यवनप्राश का काम करेगी
पहली भूल – कांग्रेस के कोटे से बने उनके एक मंत्री आलमगीर आलम द्वारा साहेबगंज व पाकुड़ में बसों में ठूंस-ठूंसकर रांची के उपायुक्त द्वारा उनके द्वारा सुझाये गये स्थलों तक पहुंचवाना, वह भी तब जबकि पूरे देश में लॉकडाउन हैं, तथा प्रधानमंत्री व खुद मुख्यमंत्री ने सभी को अपने घरों में रहने का आदेश दिया है।
दुसरी भूल – राज्य के दूसरे मंत्री झामुमो कोटे से बने हाजी हुसैन अंसारी का मंत्री समेत पूरे परिवार का क्वारेन्टाइन में चला जाना, तथा तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में मंत्री के परिवार का एक सदस्य के शामिल होने के आरोप ने हेमन्त सोरेन सरकार पर एक काला धब्बा लगाने का काम किया है, हालांकि मंत्री व उनका परिवार तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने का खंडन किया है, जबकि विशेष शाखा ने दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होनेवाले की जो सूची जारी की है, उस सूची में मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के परिवार के एक सद्स्य का नाम भी शामिल है।
तीसरी भूल – रांची के हिन्दपीढ़ी में हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर, मुस्लिम पुलिस अफसर पर ज्यादा भरोसा करना, तथा उन्हें ही हिंदपीढ़ी की सुरक्षा की जिम्मेदारी दे देना, इस बात का संकेत है कि आनेवाले समय में जो कमजोरियां थी, वो कमजोरियां अब दोनों समुदायों में खाइयां बनायेगी, तथा पुलिस विभाग में भी हिन्दु-मुसलमान अधिकारियों के बीच भी खाई बनेगी, जो आनेवाले समय के लिए खतरनाक है।
हेमन्त सरकार ने इसकी नींव रखकर धार्मिक भेदभाव को ही बढ़ावा दिया हैं, इससे लोगों में असुरक्षा की भावना को आखिरकार बल मिल ही गया, जो नहीं होना चाहिए था, भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश व राज्य में धर्म के नाम पर लोगों की सुरक्षा देने की बात होने लगे, मुस्लिम बहुल इलाके में मुस्लिम और हिन्दू बहुल इलाके में हिन्दु अधिकारी तैनात होने लगे तो फिर आप देश व राज्य को जो बनाना हैं, बना ही दिया।
हालांकि भाजपा ने इस मुद्दे को भुनाना शुरु कर दिया है, उसे भुनाना भी चाहिए क्योंकि मौका तो आपने ही दिया, जब आप मौका देंगे तो कोई राजनीतिक दल संत महात्मा का प्रवचन यहां सुनने तो नहीं आया, वो तो जरा सा आपका छिद्र उसे दिखेगा, उसे फाड़कर दिखाने का काम करेगा, जैसा भाजपा ने किया और हमारे विचार से उसे करना भी चाहिए, ऐसे भी जो सही आदमी होगा, वह इस कार्य का सर्वदा विरोध करेगा।
झामुमो, कांग्रेस व राजद में जो भी राजनीतिक दल ये सोच रहे है कि ऐसा करके उन्होंने भाजपा को पटखनी दे दी, अल्पसंख्यकों के बीच धाक जमा ली, तो उन्हें यह जान लेना चाहिए कि जनता किसी की नहीं होती, अगर जनता आपको सत्ता सौंपी है, तो जनता आपके हाथों से सत्ता लेकर दूसरे के हाथों में भी सौंप सकती है।
चौथी भूल – जिस प्रकार से रांची के हिंदपीढ़ी में स्वास्थ्यकर्मियों/सफाईकर्मियों के साथ वहां के कुछ असामाजिक तत्वों ने हमले किये, और जिस प्रकार से जिला व पुलिस प्रशासन वहां स्थिति संभालने में लगा हैं, वो साफ जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की मजबूरियों को दिखा रहा हैं, इसका मतलब कि राज्य सरकार को कोरोना से कम, हिन्दपीढ़ी में रह रहे मुट्ठीभर असामाजिक तत्वों की ज्यादा फिक्र है, जिनके कारण पूरे रांची ही नहीं, बल्कि पूरे झारखण्ड में कोरोना का खतरा बढ़ गया है।
हमें लगता है कि ये हेमन्त सरकार की ये चार भूले, भाजपा के लिए आनेवाले समय में च्यवनप्राश का काम करेगी, हालांकि भाजपा इस गर्मी के समय में च्यवनप्राश का सेवन कैसे करेगी, ये वो जाने, पर इतना तय है कि अगर उसने बढ़िया से इस च्यवनप्राश को खा लिया तो कोरोना वायरस और लॉकडाउन की समाप्ति के बाद भाजपा का रंग औरों से बेहतर होगा।
क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को नहीं पता कि राज्य में भाजपा उनकी सरकार पर दोतरफा हमले कर रही हैं, एक तो अपने समर्थकों के साथ जनता के बीच हेमन्त सरकार की इन चार भूलों को अपने समर्थक अखबारों/चैनलों के माध्यम से पहुंचा रही हैं, दूसरा मोदी आहार बांटने के क्रम में अपना टूटा भरोसा, जनता के बीच फिर से कायम करने में लगी है, अगर भाजपा ऐसा करने में कामयाब हो गई तो फिर समझ लीजिये, भविष्य क्या है?
इधर हेमन्त सरकार से अलग कांग्रेस पार्टी अपने ढंग से कोरोना से लड़ रही हैं, जैसे लगता है कि यहां हेमन्त की सरकार न होकर रामेश्वर उरांव की सरकार हो, यानी आपस में कोई मेल-मिलाप नहीं, एक पूरब भाग रहा हैं तो एक पश्चिम, ऐसे में तो हेमन्त सरकार की साख का दांव पर लगना अवश्यम्भावी है।