शीतकालीन सत्र को देखते हुए भाजपा विधायक दल की बैठक में विधायकों ने की माथापच्ची, सभी का ध्यान केवल इस ओर कि कैसे इस सत्र का राजनीतिक फायदा उठाया जाये
भाजपा प्रदेश कार्यालय में आज भाजपा विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में भाजपा के संगठन मंत्रियों के समूहों के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी व प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी शामिल हुए। मूलतः यह बैठक कल से शुरु हो रहे शीतकालीन सत्र को देखते हुए बुलाई गई थी। इस बैठक में ज्यादातर इस बात पर विधायकों और उनके प्रमुख मार्गदर्शकों ने फोकस किया कि इस शीतकालीन सत्र का कैसे भरपूर राजनीतिक फायदा उठाया जाय।
मीडिया में भाजपा ही भाजपा छाया रहे। सरकार को कैसे नीचा दिखाया जाये। इसको लेकर माथा-पच्ची होती रही। सभी का दिमाग इसी ओर था कि चूंकि हेमन्त सरकार का शीतकालीन सत्र के रुप में यह अंतिम सत्र है, इसके बाद चूंकि सीधे विधानसभा के चुनाव नवम्बर-दिसम्बर में होंगे, ऐसे में शीतकालीन सत्र का अंतिम रुप से फायदा इसी में उठा लेना होगा।
ले-देकर भाजपाइयों के हाथ में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को समन देकर बुलाया जाना और हेमन्त सोरेन का प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष नहीं हाजिर होना, इनका प्रमुख मुद्दा रहा। साथ ही जैसा कि हर राज्य के प्रमुख विपक्षी दलों का एक एजेंडा होता है कि वो यही कहती है कि सरकार हर मोर्चे पर विफल रही हैं। जनता का विश्वास खो चुकी है। यहां के भाजपाईयों के लिए भी यही सब रहा।
कल से शुरु हो रहे विधानसभा सत्र में इनलोगों ने एक तरह से संकल्प कर लिया है कि किसी न किसी बात लेकर प्रश्नकाल को बाधित करना है और सरकार को मजबूर कर देना है कि सरकार झारखण्ड में हर मोर्चे पर विफल रही है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा जो भी कर लें, कोरोना के दो साल के बाद एक छोटे से दो साल के अंतराल में हेमन्त सोरेन सरकार ने ऐसे-ऐसे निर्णय लिये हैं, जो मील के पत्थर साबित हुए हैं। जो भाजपा के कार्यकाल में कभी संभव ही नहीं था और न है।