अपनी बात

धनबाद में बढ़ते अपराध से त्रस्त व्यवसायियों को देख कृष्णा अग्रवाल का अनिश्चितकालीन सत्याग्रह पर बैठना झारखण्ड पुलिस व प्रशासन के लिए कलंक, वहीं अपराधियों के डर से भाजपाइयों की चुप्पी हैरान करनेवाली

जिस देश में भी लोकतंत्र है, वहां किसी भी समाजसेवी अथवा संभ्रांत नागरिक के द्वारा किसी समुचित कारण को लेकर किया गया सत्याग्रह काफी मायने रखता है। अगर कोई सरकार या उसके नुमाइंदे उस सत्याग्रह पर ध्यान नहीं देते, तो यह उससे भी बड़ा दुर्भाग्य है। वर्तमान में झारखण्ड का कोयलांचल यानी धनबाद बढ़ते अपराध से इतना त्रस्त है कि वहां के व्यापारी अपना सारा काम समेट कर अब दूसरे जगहों पर व्यापार या कारोबार करने का मन बना रहे हैं।

बताया जा रहा है कि धनबाद में अपराधियों ने आम आदमी का जीना दूभर कर दिया है। रंगदारी आम बात हो गई है और रंगदारी नहीं मिलने पर संबंधित व्यक्ति को गोली का निशाना बना देना अपराधियों के लिए बाये हाथ का खेल हो गया। ज्ञातव्य है कि इन्हीं बढ़ते अपराधों से त्रस्त धनबाद के व्यापारियों ने गत एक नवम्बर को अनिश्चितकालीन धनबाद बंद बुलाया था। जिस दौरान गल्ला दुकान से लेकर मॉल तक में ताले लटक गये थे। दवा दुकानें तक बंद हो गई थी।

उस बंद को देखते हुए स्थानीय बुद्धिजीवियों ने विद्रोही24 को बताया था कि 14 वर्षों के बाद धनबाद के इतिहास में ऐसा बंद हुआ था। यह बंद ऐसा प्रभावी हुआ कि धनबाद के पुलिस व जिला प्रशासन के होश उड़ गये। जिला प्रशासन ने धनबाद चेंबर के व्यापारियों से मिलकर बातचीत की तथा भरोसा दिलाया कि जल्द ही अपराधियों पर काबू पा लिया जायेगा। लेकिन उसका असर आज तक नहीं दिखा।

व्यापारियों ने जिला प्रशासन के अनुरोध पर अपना अनिश्चितकालीन धनबाद बंद तो उसी दिन समाप्त कर दिया पर कल ही धनबाद में फिर एक घटना घट गई। अपराधियों ने एक जमीन कारोबारी कृष्णा मंडल को गोली मार दी। उक्त जमीन कारोबारी की फिलहाल दुर्गापुर के अस्पताल में इलाज चल रही हैं। बताया जा रहा है कि उससे भी रंगदारी मांगी गई थी। रंगदारी नहीं दिये जाने पर अपराधियों ने उसे गोली का निशाना बना दिया।

इधर धनबाद में बढ़ते अपराध को देखते हुए व व्यापारियों द्वारा दुकानें बंद कर, अपने कारोबार को समेटने का प्रयास का अनुभव करते देख स्थानीय समाजसेवी व भाजपा के पूर्व समर्पित कार्यकर्ता कृष्णा अग्रवाल ने पूर्व में ही घोषणा कर दी थी कि वे 30 नवम्बर से धनबाद के रणधीर वर्मा चौक स्थित गांधी सेवा सदन में अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर बैठेंगे। आज उन्होंने स्वकथनानुसार अनिश्चितकालीन सत्याग्रह पर बैठ भी गये।

धनबाद में बढ़ते अपराध और भाजपा की चुप्पी से उसके कट्टर समर्थक भी अब भाजपा से दूरी बनाने लगे

उनके इस अनिश्चितकालीन सत्याग्रह का धनबाद के सभी प्रमुख सामाजिक व राजनीतिक संगठनों ने समर्थन भी करना शुरु कर दिया है। आज उनके सत्याग्रह स्थल पर बड़ी संख्या में धनबाद के बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक कार्यकर्ता आये और उन्हें अपना नैतिक समर्थन दिया। आश्चर्य यह भी है कि सत्याग्रह स्थल पर धनबाद के सभी प्रमुख नागरिकों का आने का सिलसिला जारी रहा।

लेकिन यहां की प्रमुख पार्टी जिसका धनबाद में अच्छा खासा जनाधार है। जो यहां की कई विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाई हुई है। जिसका लोकसभा सीट पर भी कब्जा है। धनबाद में बढ़ते अपराध और व्यापारियों पर हो रहे अपराधिक हमले पर अभी तक जुबान तक नहीं खोली है। लोगों का कहना है कि आम तौर पर ऐसी हालात में प्रमुख विपक्षी दल सरकार व सत्ता के खिलाफ हमला बोलते हैं, पर भाजपा ने तो ऐसी चुप्पी साध रखी है, जैसे उसे लगता है कि अगर कही अपराधियों के खिलाफ उन्होंने मुंह खोला तो कही अपराधी उन्हें या उनके परिवार को ही निशाना न बना दें।

भाजपा सांसद पीएन सिंह हो या विधायक राज सिन्हा किसी ने भी बढ़ते अपराध पर कोई वक्तव्य देना मुनासिब नहीं समझा और न ही इस मुद्दे को लेकर स्थानीय प्रशासन से मिलकर आक्रोश व्यक्त किया या आंदोलन किये। भाजपा की यही चुप्पी यहां के मतदाताओं को खटक रही है। भाजपा की इसी चुप्पी के कारण भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता कृष्णा अग्रवाल ने स्वयं को भाजपा से अलग कर लिया।

लोग चाहते हैं कि काश फिर सुमन गुप्ता जैसी पुलिस अधिकारी फिर धनबाद को मिले

इधर पुलिस प्रशासन व जिला प्रशासन की तो बात ही छोड़ दीजिये। इनलोगों ने ऐसा लगता है कि जैसे यहां के नागरिकों व व्यापारियों को अपराधियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया है। नहीं तो अपराधियों का इतना मनोबल नहीं बढ़ता। यहां के बुद्धिजीवी व व्यापारियों का समूह आज भी पूर्व में धनबाद की एसएसपी रह चुकी सुमन गुप्ता के कार्यकाल को याद करते हैं। ये आज भी कहते हैं कि एसएसपी सुमन गुप्ता का कार्यकाल स्वर्णिम काल था।

उस समय अपराधियों और कोयला तस्करों किस बिल में घुसे हुए थे, पता ही नहीं चलता था, परन्तु उनके यहां से जाने के बाद फिर धनबाद के हालात जो बिगड़ने शुरु हुए, वो आज भी जारी है। हालांकि सुमन गुप्ता के जाने के बाद कई एसएसपी यहां आये और गये, पर सुमन गुप्ता के द्वारा धनबाद में खींची गई लकीर को लांघना तो दूर, वहां तक फटक भी नहीं सकें। यहां के लोग आज भी कहते हैं कि पता नहीं फिर सुमन गुप्ता जैसी पुलिस अधिकारी धनबाद को कब मिलेगा?

कृष्णा अग्रवाल का अनिश्चितकालीन सत्याग्रह की तपिश  राजधानी रांची में भी दिखेगी

इधर कृष्णा अग्रवाल ने धनबाद में ध्वस्त विधि-व्यवस्था, बेलगाम अपराधिक वारदातों और व्यवसायियों पर हमलें व रंगदारी मांगे जाने के विरोध में अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरु कर दिया है। शायद पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन को लगता होगा कि इस सत्याग्रह से कुछ नहीं होगा, पर वे भूल रहे है कि यह सत्याग्रह ऐसा गुल खिलायेगा कि वे सोच भी नहीं सकते। आज पहले ही दिन जिस प्रकार से उन्हें समर्थन मिला है। विद्रोही 24 को लगता है कि यह समर्थन लगातार बढ़ेगा और इसकी तपिश रांची में भी दिखेगी।

पूर्व सांसद चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे भी कृष्णा अग्रवाल के आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे

आज पहले दिन समाजसेवी कृष्णा अग्रवाल को समर्थन देने धनबाद के पूर्व सांसद व कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे भी पहुंचे। साथ ही सत्याग्रह स्थल पर पहुचंनेवाले लोगों में आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक डी एन सिंह, भारतीय जनतंत्र मोर्चा के जिला अध्यक्ष उदय सिंह जी, जीटा के महासचिव राजीव शर्मा, मारवाड़ी युथ ब्रिगेड के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, मारवाड़ी जिला सम्मेलन के उपाध्यक्ष अरुण अग्रवाल, शेखर शर्मा, बैंकमोड़ चैम्बर के अध्यक्ष प्रमोद गोयल, सचिव लोकेश अग्रवाल, मंडल समाज के केंद्रीय सचिव गौतम मंडल, कृषि बाजार समिति के उपाध्यक्ष सुरेंद्र जिंदल, भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री धर्मजीत चौधरी, आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार महतो, निवर्तमान वार्ड पार्षद अनूप साव, कृष्ण लाल रुंगटा, ओम प्रकाश बजाज, किशन अग्रवाल, पप्पू सिंह, पूर्व मंडल अध्यक्ष कतरास भाजपा, रंजीत सिंह, ग्रामीण एकता मंच, कांग्रेस नेता ललन चौबे, मदन राम, अधिवक्ता जावेद, राजद से रामउग्रह शर्मा, तारक नाथ दास, अशोक चौधरी, डी एन चौधरी, प्रमोद झा, अनुज सिन्हा, शंकर चौहान, अधिवक्ता एजाज़, विनय सिंह, सद्दाम गिरी, भरत मिश्र, मोहम्मद एजाज अली, टिंकू यादव, अजय चौहान, संतोष विकराल, विजय यादव उर्फ लल्लू, उदय तिवारी, विक्रम राजगढ़िया, रॉकी मंडल, वेदप्रकाश केजरीवाल, अरविंद सतनालिका, रविन्द्र सिंह, राजेश रिटोलिया, शिवचरण शर्मा, मो डब्लू अंसारी, राज कुमार सोनकर, संजय सिन्हा, राम बच्चन पासवान, पवन संघई, कृष्णा सिंह, विनोद कु सिंह, नीरज सिन्हा, अभिषेक सिंह, विनीत सिन्हा, प्रमोद बोण्डिया, बिहारी वर्मा, विनोद साव, बिपिन सिन्हा, विनय बगड़िया, दीपक रुइया, घनश्याम हेलिवाल, अमरेश सिंह, भूपेंद्र अग्रवाल, प्रदीप अग्रवाल, राजू वर्मा, आशीष केशरी, अनिल बांसफोड़, शुभम अग्रवाल, रवि अग्रवाल, जुगेश कुमार सिंह, ललित कटेसरिया, पंकज भुवानिया, अजय अग्रवाल, दिलीप अग्रवाल, विजय तुलस्यान, नरेश सुल्तानिया, पार्क मार्केट चैम्बर अध्यक्ष संजीव चौरसिया, सचिव बिनोद अग्रवाल, नवीन खैतान, शैलेश दुदानी, दिलीप गोयल, आशीष जिंदल, सन्नी अग्रवाल, अजय अग्रवाल, गणेश विश्वकर्मा, कल्लू राठी के नाम प्रमुख हैं।