अपनी बात

इंडिया गठबंधन ने देश के 14 नामी-गिरामी पत्रकारों के खिलाफ जारी किया फतवा, नहीं भेजेंगे अपने प्रतिनिधि उनके कार्यक्रमों में, इधर एनडीए गठबंधन विरोधी पत्रकारों में दौड़ी खुशी की लहर

जिस तरह राजनीतिज्ञ या राजनीतिबाज अपनी राजनीति या राजनीतिबाजी करने के लिए पूर्ण रुपेण स्वतंत्र है, ठीक उसी प्रकार पत्रकारों को भी उनकी पत्रकारिता करने की छूट तो मिलनी ही चाहिए, ये गीदड़भभकी या बेहतरीन पत्रकारिता की सर्टिफिकेट प्रदान करने की हिमाकत जो इंडिया गठबंधन ने आज से शुरु की है, वो उसकी बुद्धि के ध्वस्त होने का ज्वलंत प्रमाण है। अगर इसी तरीके से अपनी ध्वस्त हो रही बुद्धि का ये प्रमाण समय-समय पर देते रहे तो निश्चय ही ये 2024 का मुंह भी नहीं देख पायेंगे, क्योंकि देश की जनता इतनी भी मूर्ख नहीं कि वो इंडिया गठबंधन के नेताओं की मूर्खता भरे क्रियाकलापों पर आंख मूंदकर मुहर लगा दें।

आज इंडिया गठबंधन ने एक फतवा जारी किया कि वो देश के 14 नामी-गिरामी न्यूज एंकरों के शो को बहिष्कार करेगी, मतलब उनके शो में अपने प्रतिनिधियों को नहीं भेजेंगी। जिन एंकरों के बहिष्कार करने का कार्यक्रम इन्होंने तय किया है। उन एंकरों का नाम इस प्रकार है – अदिति त्यागी, अमन चोपड़ा, अमिश देवेगन, आनन्द नरसिम्हन, अरणब गोस्वामी, अशोक श्रीवास्तव, चित्रा त्रिपाठी, गौरव सावंत, नविका कुमार, प्राची पराशर, रुबिका लियाकत, शिव अरुर, सुधीर चौधरी और सुशांत सिन्हा।

कमाल की बात है इंडिया गठबंधन के नेता कोई ऐसा वक्त नहीं आता, जब वे लोकतंत्र के बेहतरी की बातें न करते हो, पर जब उनसे लोकतंत्र की बेहतरी की आशा रखने की बात हो, तो वे पल्ला झाड़कर निकल जाते हैं। कभी आकाशवाणी को राजीववाणी व दूरदर्शन को राजीव दर्शन बना देनेवाली कांग्रेस और उसका जी भर कर आलोचना करनेवाले लोग एक ही मंच पर आकर आज राग भैरवी गा रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि जिन पत्रकारों की वे बहिष्कार कर रहे हैं, वे उनकी न्यूज के साथ अन्याय करते हैं।

मतलब जिन्होंने अन्याय की सारी सीमाएं कभी लांघ दी थी, जिसकी आलोचना कभी आज कांग्रेस के साथ गये दलों का समूह किया करते थे, परन्तु समय का चक्र देखिये, कि वहीं आज कांग्रेस के साथ इन मुद्दों पर गला फाड़ झलकुट्टन कर रहे हैं, कह रहे हैं कि फलां पत्रकार हमारे न्यूज के साथ अन्याय कर रहा हैं, वो मोदी का गुणगान कर रहा है। लेकिन वो अपना दीदा नहीं देखते, देखेंगे भी कैसे? अपना दीदा देखने के लिए भी उसे जीगर चाहिए जो उसके पास है ही नहीं।

आजकल अपने देश में एक नई परम्परा का उदय हो गया है, अगर आपने कभी पीएम मोदी के देशहित में लिये गये फैसलों की प्रशंसा कर दीजिये तो विपक्ष को मारिये गोली, रवीश कुमार या रवीश टाइप्ट या इंडिया गठबंधन से जुड़े पत्रकारों का समूह आपको गोदी मीडिया से विभूषित कर देगा, परन्तु स्वयं जो आउल मीडिया का मंगलसूत्र धारण कर रखा है, उसके बारे में एक शब्द भी बोलना उचित नहीं समझेगा, मतलब एक अच्छी पत्नी की तरह मंगलसूत्र का सम्मान करते हुए राहुल गांधी व उनके साथ चहलकदमी करनेवाले नेताओं के समूह का गुणगान करने में पूरा वक्त बीता देगा।

सच्चाई यह है कि देश या दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति या राजनीतिज्ञ या पत्रकार दुध का धुला नहीं हैं, पर हर कोई स्वयं को दुध का धुला दिखाने का प्रयास अवश्य करता है। जरा देखिये न एक दक्षिण का नेता हैं, जो इंडिया गठबंधन से आता है, स्वयं ईसाई हैं, पर हिन्दू व सनातन धर्म के बारे में विषवमन करता है। कांग्रेस का ही एक नेता हैं, जो कर्नाटक से हैं, मल्लिकार्जुन खरगे का बेटा हैं, वह भी उसे सपोर्ट करता है, और सनातन धर्म के बारे में उलूलजुलूल बयान देता है।

जबकि इसी सनातन धर्म में कई ऐसे दलित चिन्तक व विचारक हुए, जिन्होंने विदेशी आक्रांताओं के आगे भी नहीं झूके और सनातन धर्म को विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं छोड़ा। लेकिन वर्तमान में इंडिया गठबंधन में ऐसे लोगों की जमात आई है, जो सनातन धर्म पर चोट करता है, शायद उसे लगता है कि सनातन पर चोट करने से वे पीएम नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी को नुकसान पहुंचा देंगे। जबकि सच्चाई यही है कि ये अपना दीदा पूरे देश को दिखा रहे हैं कि वे कितने निकृष्टतम व्यक्तियों के समूह को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, जो राजनीति में आकर देश का नुकसान करने का प्रथम व्रत ले रखा हैं।

सनातन धर्म के खिलाफ आग उगलने में तो बिहार के राजद नेताओं का भी कम योगदान नहीं हैं, एक जगतानन्द है तो दूसरा चंद्रशेखर दोनों राजद का नेता, पर अपने ही पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद को समझा पाने में विफल हैं। कुछ दिन पहले ही लालू प्रसाद को देवघर में आकर तथा उसके पूर्व सोनपुर मंदिर में सप्तनीक बाबा हरिहर नाथ पर माथे में त्रिपुंड लगाकर जलाभिषेक करते देखा गया, पर ये दोनों उनके माथे पर लगे त्रिपुंड पर कुछ नहीं बोलते, पर ये बोलने से नहीं चुकते कि देश को टीका लगानेवालों ने बर्बाद कर दिया। मतलब सनातनियों को जहां भी मिले गाली दे दो, इनका प्रथम और अंतिम कर्तव्य बन गया है।

किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है कि आसुरी प्रवृत्ति के लोग तो हर समय में रहे हैं, वो राम का समय हो या नरेन्द्र मोदी का। उनका तो सिर्फ रुपांतरण होता है और हर समय में वो आसुरी प्रवृत्तियां नाश को ही प्राप्त करती हैं, चाहे वो राम का समय हो या नरेन्द्र मोदी का। वर्तमान समय में भी जो भी आसुरी प्रवृत्ति को अपनायेगा, वो स्वतः भस्मीभूत हो जायेगा, उसके लिए कुछ करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती, वो कर्मफल के सिद्धांत ही उसे समाप्ति की ओर ले जाते जायेंगे।

कमाल तो यहां यह भी दिख रहा है कि ये इंडिया गठबंधन वालें एंकरों का विरोध तो कर रहे हैं पर जहां ये एंकर काम कर रहे हैं, उन संस्थानों का विरोध नहीं कर रहे, जबकि ये सब जानते हैं कि एंकर एक कर्मचारी के सिवा कुछ नहीं होता, संस्थानेवाले उसे जैसे पाये नचाते रहते हैं, पर उसके बावजूद ये एंकरों पर प्रहार कर रहे हैं, जैसे लगता है कि ये एंकर ही सब कुछ हैं। क्या कांग्रेस को पता नहीं कि आपातकाल में समाचार कहां से बन कर आता था और उसे एंकर कैसे पढ़ा करते थे? क्या आपातकाल में किसी एंकर की हिम्मत थी कि वो ये कह दें कि आज वो समाचार नहीं पढ़ेंगी या नहीं पढ़ेगा, जब वो सब जानते हैं तो ये फतवा का नाटक क्यों?

अभी जो इंडिया गठबंधन के प्रति समर्पित रवीश या रवीश टाइप्ड पत्रकारों का समूह इंडिया गठबंधन के इस फतवे से खुश हो रहे हैं, उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि वक्त सभी का एक जैसा नहीं होता, कल ये ही लोग इनकी भी इज्जत लूटने में सबसे आगे होंगे, जब वे इनकी बात नहीं सुनकर, अपने जमीर की बात सुनने का प्रयास करेंगे, पर ये उनके लिये हैं, जिनके पास जमीर होती है।

ये क्या कोई एंकर क्या बोलेगा? क्या दिखायेगा? क्या पूछेगा? क्या विषय रखेगा? अब इंडिया गठबंधन से पूछकर तय करेगा, ये क्या मजाक है, इस पर तो देश की जनता को भी सोचना चाहिए और जिन्होंने ऐसा निर्णय लिया है, उसे सबक सिखाने को भी तैयार रहना चाहिए। अंत में, एक सवाल इंडिया गठबंधन के किसी भी मूर्धन्य नेता से, पिछले दस सालों से तो आपकी दलों को देश की जनता ने लोकसभा से दूर रखा हैं, और कहीं-कहीं तो आपको विधानसभा से भी दूर कर दिया है। तो ऐसे में, आप जनता का भी बहिष्कार क्यों नहीं कर देते, क्यों नहीं फतवा जारी करते कि आप की पार्टी में से कोई भी व्यक्ति उस स्थान पर अपनी सभा नहीं करेगा, जिस सीट पर भाजपा जीती है या जीतती आ रही है।