भारतीयों होश में आओ, देश से प्यार करना सीखो, चीन तुम्हारा कभी नहीं हो सकता, चीनी सामानों से परहेज करो
एक बार फिर चीन ने अपनी जात दिखाई है, वह भारत के खिलाफ विषवमन किया है, ऐसे चीन हमेशा से ही भारत के खिलाफ बाते की है, जब-जब संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत ने अपनी बातें रखी, चीन ने विरोध करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा, आज एक बार फिर चीन ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की मदद कर दी है, हालांकि चीन खुद जानता है कि इस मदद का पाकिस्तान को कोई फायदा नहीं मिलेगा, पर भारत का विरोध करने में चीन को आनन्द आता है, इसलिए वह कोई मौका नहीं छोड़ता।
चीन ने पाकिस्तान के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की औपचारिक बैठक, पाकिस्तानी प्रतिनिधि की मौजूदगी में बुलाने की मांग की और चीन के मांग पर, चूंकि चीन संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थायी सदस्य हैं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने एक अनौपचारिक बैठक बुला दी, जिसमें पाकिस्तानी प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा, यह बैठक बंद कमरे में होगी, जिसका परिणाम कुछ भी नहीं निकलेगा, हालांकि पाकिस्तान इस अनौपचारिक चर्चा को भी अपनी जीत मान रहा हैं, पर जानकार मानते है कि इस प्रकार की बैठक का कोई वजूद नहीं होता। लेकिन चीन की इस हरकत ने फिर सिद्ध कर दिया कि हम उस पर विश्वास नहीं कर सकते।
जब चीन भारत के खिलाफ हमेशा से ही गंदी हरकतें करता रहा हैं, वह भारतीय भू-भाग पर अवैध रुप से कब्जा भी किये हुए हैं, और हमारे आन्तरिक मामलों में दखल भी देता रहता हैं तो फिर हम चीनी सामग्रियों से इतना प्यार क्यूं करते हैं, हमारे नेता चीन का दौरा क्यूं करते हैं, चीन जाकर, रांची आते ही शंघाई टावर रांची में बनाने की बात क्यों करते हैं?
अरे नेता यहां के खत्म हैं, हम समझ सकते हैं, हो सकता है कि उनकी मजबूरियां भी हो, पर हम कब से मजबूर होने लगे, हम क्यों नहीं जापानियों अथवा इजरायलियों की तरह अपने देश से प्यार करते हैं आखिर अपने देश से हम प्यार करना कब सीखेंगे? जब हमारा अस्तित्व खत्म हो जायेगा तब? अभी भी वक्त है, चीन को समझिये। वह हमारे देश में अपने सामानों को बेचता है, और उसी पैसे से वह अपने देश को मजबूत करता है, उसे सैन्य-संसाधनों पर खर्च करता है, और वहीं सैन्य संसाधनों से भारत को हेकड़ी भी दिखाता है, क्या ये सामान्य सी बात भी आपको नजर नहीं आती।
क्या आपको पता है कि चीन की सरकारी मीडिया भारत और भारतीयों पर हमेशा व्यंग्य करती है, वह कहती है कि भारतीय हमेशा चीन के सामानों का विरोध करते हैं, पर सच्चाई यह है कि एक-दो बार,हमेशा विरोध करने के बाद फिर से वहीं सामान खरीदने भी लगते हैं, और इसमें मदद करते हैं, वे गद्दार भारतीय पत्रकार जो चीन की नीतियों का समर्थन करते हैं, जिसके बदले में चीन से उन्हें मनमुताबिक राशियां मिलती है।
अभी भी वक्त है, देश को समझिये, नहीं तो भारत की हाल वो तोते वाली हो जायेगी, जैसे शिकारी के जाल में फंसा तोता, बार-बार चिल्ला रहा था, शिकारी आयेगा, जाल बिछायेगा, लोभ में फंसना नहीं, और उसे पता भी नहीं कि वह शिकारी की जाल में, वह भी लोभ में आकर प्राण गंवाने जा रहा है, इसलिए भारतवासियों अब भी वक्त हैं, समझो, देश से प्यार करना सीखों, अपने जवानों से प्यार करना सीखों, अपने देश के खेतिहर मजदूरों-किसानों, अन्य श्रमिकों के हाथों से बने सामग्रियों को खरीदो, चीन को औकात बताओ, और कहो कि हम भी किसी से कम नहीं।