राजनीति

लाव लश्कर के बिना, एक कदम भी नहीं चलनेवाले, अपने रघुवर दास कॉमन मैन है

लाव लश्कर के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़नेवाले, राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास, आज खुद को कॉमन मैन बताया है। सीएम रघुवर दास आज बीएनआर चाणक्या में हूल क्रांति के अवसर पर सीआइआइ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी बातें रख रहे थे। चूंकि राज्य में भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को लेकर बवाल खड़ा हो चुका हैं, इसलिए मुख्यमंत्री का भाषण भी इसी ओर ज्यादा केन्द्रित रहा।

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की नकारात्मकता ने राज्य में हो रहे विकास को प्रभावित करने का काम किया है, क्योंकि ये जल, जंगल, जमीन का सिर्फ नारा लगाकर, सिर्फ राजनीति करते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि किसी की हिम्मत नहीं कि आदिवासियों के जमीन को उनसे छीन लें, क्योंकि यह राज्य ही आदिवासियों का है, इसलिए उनकी सरकार आदिवासियों के विकास के लिए विपक्षी दलों से ज्यादा प्रतिबद्ध है।

चूंकि मुख्यमंत्री रघुवर दास का ये तकिया कलाम बन चुका है, वे हर भाषण में इस प्रकार की बात बोलते हैं कि वे गरीबी में पले-बढ़े हैं, इसलिए गरीबों का दर्द जानते हैं, वह एक आम आदमी है, ये डॉयलॉग यहां भी सुनने को मिला। सीएम रघुवर दास ने यह भी कहा कि वे आनेवाले समय में पलायनमुक्त झारखण्ड बनायेंगे, कमाल हैं साढ़े तीन साल बीत गये, अब डेढ़ साल मात्र बचा हैं, उसमें भी दो माह चुनाव आचार संहिता में ही खत्म हो जायेंगे, ऐसे में जो व्यक्ति साढ़े तीन साल में कुछ नहीं कर सका, वह बचे सोलह महीने में कैसे पलायनमुक्त झारखण्ड बना देगा, ये किसी की भी समझ से परे हैं।

सीएम रघुवर दास ने कहा कि झारखण्ड सरकार की नीतियों के कारण विदेशी कंपनियां यहां उद्योग लगाने आ रही हैं, जबकि सच्चाई यह है कि कहीं से भी इस संबंध कोई सुर-सार नजर नहीं आ रहा हैं, युवाओं के लिए इन्होंने 15,000 रुपये की नौकरी दिलाने का ये भरोसा दिलाते है, पर अपने भाजपा नेताओं, जो विभिन्न बोर्डों-निगमों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य बने हैं, उन्हें मुंहमांगी वेतन हाथ में थमा देते हैं, अब कोई मुख्यमंत्री को कैसे बताए कि हे मुख्यमंत्री जी, कॉमन मैन जी, आप भी थोड़ा कष्ट करिये और पन्द्रह हजार का मासिक वेतन लेकर थोड़ा अपना घर चलाकर दिखा दीजिये, तब न जाने कि सचमुच में आप कॉमन मैन हैं, नहीं तो जनता तो इतनी मूर्ख हैं नहीं, जितना आप जनता को समझते हैं।

इस कार्यक्रम में लोक कलाकार पद्मश्री मुकंद नायक ने बहुत ही अच्छी बातें की, उन्होंने कहा कि हमारे पास आज सब कुछ हैं, पर अपनापन नहीं हैं, पहले हमारे पास कुछ भी नहीं था, लेकिन लोग खुश थे, आखिर ये खुशियां कहां गई, विचार करने की जरुरत हैं, आज वंशी की धुन और मांदर की थाप कहीं खो गई है, उसे लाना होगा, हमारा अखरा खत्म हो गया हैं, इसकी चिंता करने की आज जरुरत हैं, झारखण्ड को बचाना जरुरी हैं, विकास जरुरी हैं, पर उससे भी ज्यादा जरुरी हैं आदिवासी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा करना, इसलिए विकास योजनाएं इसको ध्यान में रखकर बने तो ज्यादा अच्छा रहेगा। क्या पद्मश्री मुकुंद नायक की ये बातें, कॉमन मैन मुख्यमंत्री रघुवर दास को समझ में आई होगी, सबसे बड़ा सवाल तो यहां फिलहाल यही है।