अगर यहीं सवाल कोई रघुवर दास से पूछ दें कि आप को सीएम किसने बना दिया तब?
ये हैं, झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, जिन्हें बात करने की तमीज ही नहीं। कल की ही बात है, सूचना भवन में मुख्यमंत्री जन संवाद केन्द्र में कार्यक्रम ‘सीधी बात’ के तहत एक फरियादी ने सीएम रघुवर दास को अपना दुखड़ा क्या सुनाया? वे आपे से बाहर हो गये? उन्होंने गुमला के एसपी से पूछ डाला कि ‘आपको आइपीएस किसने बना दिया?’ ‘गजब शासन चला रहा हैं आपलोग’ ‘ एक्शन क्यों नहीं लियो?’ अब सवाल है कि क्या ये सीएम की भाषा हो सकती है? उत्तर – ऐसी भाषा तो सामान्य लोगों की होती है, मुख्यमंत्री की भाषा तो ऐसी हो ही नहीं सकती।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बड़ी ही तेजी से एक्शन भी लिया, उक्त एसपी चंदन कुमार झा को सुबह में फटकार लगाई और शाम तक उन्हें गुमला के एसपी पद से हटा भी दिया। अब सवाल उठता है कि जब आपने एसपी चंदन कुमार झा से पूछ ही दिया कि ‘आपको आइपीएस किसने बना दिया?’ तब हम आपको बता देते है कि आइपीएस उसे बनाने में उस एसपी की कड़ी मेहनत एवं उसकी प्रतिभा का योगदान है, जिसके बल पर उसने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और संघ लोक सेवा आयोग ने उसे आइपीएस में नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। जो किसी जिंदगी में आपसे ये पद हासिल नहीं होगा।
मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, जो आपका सोशल साइट चलाते है, जिसे आपने अपने चेहरा चमकाने के लिए रांची आयात किया है, जरा उनसे पूछिये कि आपके ही सोशल साइट पर, उस विजयुल को आपकी चेहरा चमकाने के लिए जो अपलोड किया गया है, उस पर आम जनता की क्या प्रतिकिया है? जरा ध्यान से देखिये –
विवेक सिंह विराज ने कहा – इतना अंहकार एक मुख्यमंत्री को नहीं होना चाहिए, आइपीएस मेहनत से बनते है, नेताओं की तरह दलाली से नहीं।
निरंजन कुमार वर्मा ने कहा जनसंवाद में कार्यवाही एकतरफा होती है, इसमें दुसरे पक्ष को सुनने या बोलने नहीं दिया जाता है। इसमें अफसर बिना सच्चाई जाने कार्यवाही कर देते है, कि ये मुख्यमंत्री तक का शिकायत हैं, चाहे शिकायत झूठ हो या सही हो।
सचिन्द्र सचिन ने कहा है कि ये केन्द्र बकवास है, मेकिंग मनी आनली?
बिनोद कुमार भगत ने कहा है कि जनसंवाद में फोन नहीं लगता है, शायद जनसंवाद बिकाऊ हो गया है।
मनोज कुमार राणा ने कहा – फालतू।
राज प्रिन्स ने कहा – सब ढोंग है, वोट लेने का।
ये राय हैं – आम जनता का, पर कुछ लोग जिसे आपके पक्ष में लिखने के लिए विशेष रुप से रखा गया है, वे भी आपके लिए मेहनत कर रहे हैं, उन्हें भी, मैं अपनी ओर से साधुवाद देता हूं।
गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं –
सचिव वैद गुरु तीनि जो प्रिय बोलहिं भय आस।
राज धर्म तन तीनि कर, होहि बेगहिं नास।।
अगर मंत्री, चिकित्सक और गुरु प्रिय बोलने लगे, तो राज्य, धर्म और शरीर तीनों का नाश सुनिश्चित है, पर इसके साथ कबीर का दोहा भी पढ़ना जरुरी है।
बोली एक अमोल है, जो कोई बोले जानि।
हिय तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।।
बोली एक अमोल है, जो इसे बोलना जान गया, वह महान हो गया, जब भी बोलिये सोच समझ कर बोलिये तब उसे मुख द्वारा प्रकट करिये।
उपनिषद कहता है –
वचने किम दरिद्रता, अर्थात् बोलने में दरिद्रता कैसी?
आप ये क्यों नहीं समझते कि आप मुख्यमंत्री है, आपके कारण झारखण्ड की जनता जानी जा रही है, जो लोग आपके इस विजुयल को देख रहे है, वे आश्चर्य कर रहे हैं, वे बोल रहे है कि जब झारखण्ड के मुख्यमंत्री की भाषा ऐसी हैं तो वहां के लोगों की भाषा कैसी होगी? जबकि सच्चाई यह हैं कि झारखण्ड के लोगों की भाषा अतिप्रिय और मन को हर लेनेवाला है। हमारा विचार है कि आप पहले बोलना सीखिये, अच्छा रहेगा कि आप एक ट्यूटर रख लीजिये, जो बताये कि आपको कहां, कब और कैसे बोलना चाहिए। यह भी जान लीजिये कि मुख्यमंत्री बोलता कम है, करता ज्यादा है, आप तो सिर्फ बोलते है, करते कुछ नहीं।
जैसे हम ही आपसे सवाल कर दे कि एसपी चंदन कुमार झा ने गलत की, आप ने उसे वहां से स्थानांतरित कर दिया। आप भी बहुत झूठ बोलते है, जैसे नो इंट्री मामले पर, जमशेदपुर में कहा कुछ और रांची में कह दिया कुछ तो ऐसे में आपको क्या किया जाये? ये जनता की ओर से सवाल है, क्या आप इस सवाल का जवाब दे पाने की स्थिति में है? आपके जवाब के इंतजार में जनता की ओर से, मैं भी हूं।
राज नीति बिनु,
बोल प्रीत बिनु
कंत विवेक बिनु
..जर जाइ झूठी शान मान
रघुबर। ।।राम।। बिनु।