ए भाई, इ तो सचमुच झारखण्ड के भाजपाइयों ने लाल कृष्ण आडवाणी को जीते-जी मार दिया
ए भाई, इ तो सचमुच भाजपाई सब लाल कृष्ण आडवाणी को जीते–जी मार दिया, अरे चलिये टिकट नहीं दिया, लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ाया, उन्हें स्टार प्रचारक में नहीं रखा, पर उनके विचारों को तिलांजलि दे देना, उनके फोटो तक को होर्डिंग तथा बैनरों से हटवा देना, आखिर ये सब क्या बताता है? ये तो साफ एक प्रकार का संदेश है कि अब लाल कृष्ण आडवाणी का भाजपा में कोई स्थान ही नहीं।
यानी जिस व्यक्ति ने भाजपा को दो से शिखर तक पहुंचाया, जिसकी मेहनत से पार्टी इस स्थिति में पहुंची कि आज दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकार है, जिस व्यक्ति ने राजनीति में शुचिता एवं शुद्धता को स्थापित किया, जिसने रामजन्मभूमि आंदोलन को ऊंचाई तक पहुंचाया, जिसके त्याग के कारण ही अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गये। उस व्यक्ति का इतना अपमान, सचमुच भाजपाइयों ने एक तरह से गंध मचा दिया है।
बहुत अर्से बाद, दो दिन पहले ही लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर एक बहुत ही सुंदर बाते लिखी, जो पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया, जिसकी प्रशंसा व समर्थन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी किया। लाल कृष्ण आडवाणी ने लिखा था कि भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए सम्मान है, अपनी स्थापना के समय से ही भाजपा ने राजनीतिक रुप से असहमत होनेवालों को कभी दुश्मन या राष्ट्र विरोधी नहीं माना, प्रतिद्वंद्वी ही माना।
लालकृष्ण आडवाणी ने यह बात ‘नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्सट, सेल्फ लास्ट’ शीर्षक से लिखे ब्लॉग में लिखी थी। जिस पर नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि आडवाणी जी ने सही अर्थों में भाजपा का मतलब बताया, भाजपा का मूल मंत्र पहले राष्ट्र, फिर पार्टी और अंत में खुद हैं। भाजपा कार्यकर्ता होने के नाते मुझे अपने उपर गर्व है। मुझे गर्व है कि आडवाणी जी जैसे महान लोगों ने इसे मजबूत किया।
पर झारखण्ड में क्या हो रहा है? झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास क्या कर रहे हैं? कल पार्टी का स्थापना दिवस था और उन्होंने अपने फेसबुक में जो स्थापना दिवस पर जो पोस्ट शेयर किया, उसमें क्या है? उपर में ब्लैक एंड व्हाइट में अटल बिहारी वाजपेयी, पं. दीन दयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी हैं, और उसके बाद एक ओर अमित शाह, तो दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी है, अब सवाल उठता है कि जब इतने प्रमुख–प्रमुख नेता उसमें मौजूद है, तो लाल कृष्ण आडवाणी ने कौन सा पाप किया था कि उन्हें रघुवर दास ने स्थान ही नहीं दिया?
सवाल यह भी कि जब दो दिन पहले लाल कृष्ण आडवाणी ने यह कहा कि हम अपने प्रतिद्वंद्वियों से असहमति के बावजूद कभी उन्हें अपना दुश्मन या राष्ट्र द्रोही नहीं माना, और जब नरेन्द्र मोदी ने भी उनके इन बातों का समर्थन किया तो फिर झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कल ही लालकृष्ण आडवाणी के उस स्टेटमेंट की धज्जियां उड़ाते हुए अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए “राष्ट्र द्रोही” शब्द का इस्तेमाल क्यों कर दिया?
जरा देखिये झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कल पलामू में यह क्या कहा “सेना के शौर्य व वीरता पर सवाल उठानेवाले राष्ट्र विरोधी शक्तियों को बैलेट से जवाब देने की जरुरत है, क्योंकि राष्ट्र विरोधी सोच रखनेवाले कांग्रेस, झामुमो, राजद जैसे दल सेना की वीरता पर सवाल उठाते हुए सबूत मांग रहे थे।”
हमें लगता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास को इस बात का अभी तक एहसास नहीं हो रहा है कि वे मुख्यमंत्री पद के अंतिम चरण को सुशोभित कर रहे हैं, इसी साल विधानसभा के चुनाव भी होने हैं, जो लोकसभा चुनाव के परिणाम के संकेत आ रहे हैं, वे बता रहे है कि लोकसभा में भाजपा बहुत सारी अपनी वे सीटें खो रही हैं, जो उनकी परंपरागत सीटें मानी जाती थी, ऐसे में विधानसभा में भाजपा का क्या होगा?
हमें नहीं लगता कि इस पर कुछ लिखने की जरुरत भी है, इसलिए अच्छा रहेगा कि वे लाल कृष्ण आडवाणी का सम्मान करना सीखें, नहीं तो जैसा करेंगे वैसा पायेंगे। ऐसे भी वो दिन जल्द ही आनेवाला है, जब जनाब मुख्यमंत्री पद से हटेंगे, ऐसे में जो लोग आज उनकी आरती उतार रहे हैं, वे ही उनके साथ कितने दिनों तक रहेंगे, शायद उन्हें पता ही नहीं।
ये ज्ञान दिव्य दृष्टियुक्त रघुबर ..भाजपा को कैसे दिखे..क्योंकि
इनकी नजर में सत्तासीन ही सर्वोपरि है।