अपराध

स्वास्थ्यमंत्री चंद्रवंशी जी, यह अपराध है, इसे क्षमा नहीं किया जा सकता

क्या हो गया है? झारखण्ड को, यहां सरकार नाम की चीज एकदम खत्म हो गयी क्या? अगर इन्हें शासन को सुव्यवस्थित ढंग से चलाना नहीं आता, तो ये सत्ता से बाहर निकले, और दूसरे को दे मौका, व्यवस्थित ढंग से चलाने को। यह मैं इसलिए लिख रहा हूं, क्योंकि आज एक बार फिर झारखण्ड में अमानवीय घटना घट गई, एक महिला ने सड़क पर बच्चे को जन्म दे दिया और बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की ढोंग करनेवाली सरकार और उसके स्वास्थ्य अधिकारियों ने उक्त गर्भवती महिला की एक नहीं सुनी, उसको एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं कराया। आखिर उक्त महिला का कसूर क्या था?  आखिर ये स्वास्थ्य केन्द्र और एंबुलेंस किसलिये हैं?  जब ये समय पर जरुरतमंदों तक पहुंच ही नहीं सकें। उक्त घटना सरायकेला चांडिल के सीएचसी हास्पिटल के आसपास की हैं।

स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी का गैर जिम्मेदाराना बयान

इधर मैं देख रहा हूं, स्वास्थ्य मंत्री का गैरजिम्मेदाराना बयान भी अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं। स्वास्थ्य मंत्री जी, आप अपनी गलतियों को दूसरों पर थोप कर बच नहीं सकते, जिम्मेदारी आपकी बनती हैं। स्वास्थ्य मंत्री आप हैं, आपको बताना होगा कि आपके देख-रेख में चल रहा स्वास्थ्य मंत्रालय क्या गुल खिला रहा हैं? आपको यह बयान देते शर्म नहीं आया कि खबर बतानेवाले ही दस-दस रुपये जमा कर उसका इलाज क्यों नहीं करवा दिया?  जिस अखबार ने आपका यह घटियास्तर का बयान छापा है, उसी अखबार ने आज जैकेट में आपके द्वारा दिये गये विज्ञापन भी छापे हैं, आपने अपनी राजनैतिक छवि का किस प्रकार स्वहित और परिवार के हित में इस्तेमाल किया, उसका प्रमाण है आज का विज्ञापन।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अपनी जिम्मेवारी समझें

जिस प्रकार से राज्य में गरीब मरीजों के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैया डाक्टरों द्वारा अपनाया जा रहा है, उसे किसी भी प्रकार से सही नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को आगे आना चाहिए और चिकित्सकों को इस ओर मोटिवेट करना चाहिए, ताकि डाक्टरों का सही-सही लाभ, चिकित्सीय सुविधाओं का बेहतर लाभ गरीब परिवारों को मिल सकें, अगर गरीबों को समुचित इलाज हम नहीं दे पा रहे, तो फिर चिकित्सकीय पढ़ाई करने से क्या फायदा?

लोग सामाजिक दायित्व को समझे

जो लोग खबर बनाते हैं, या खबर पहुंचाते हैं, उनसे भी मेरी प्रार्थना है कि कृपया ये खबर बनाने और खबर पहुंचाने से ज्यादा, मरीजों को कैसे बचाया जाय? इस पर ध्यान दें, मात्र पचास रुपये के लिए किसी की जान चली जाये, मात्र एक रुपये की दवा नहीं मिलने से किसी गरीब के बेटे की जान चली जाये, ये पूरे समाज के लिए शर्मनाक बात हैं, हम अपने दायित्वों को समझे,  हमारा भी दायित्व हैं, गरीबों की सेवा करना, उनकी मदद करना।

याद रखिये, स्वामी विवेकानन्द ने कहा था – हम उस प्रभु के सेवक हैं, जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं, गरीबों की सेवा सबसे बड़ा धर्म हैं, कृपा कर अपने सामाजिक दायित्वों को समझें। केवल सरकार के जिम्में, हम हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठ सकते।