दो दिवसीय राज्यस्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन में जिन विषयों पर चर्चा-परिचर्चा हुई, उसका सकारात्मक प्रभाव आनेवाले दिनों में महिला पुलिसिंग पर दिखें, यह सभी की संयुक्त जिम्मेदारीः हेमन्त
पहली बार अपने यहां राज्य स्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन का आयोजन हुआ है। इस आयोजन से महिला पुलिस कर्मियों के बीच उत्साह, उमंग और उम्मीद जगी है। इस दो दिवसीय राज्य स्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन में जिन विषयों पर चर्चा-परिचर्चा हुई है, इसका सकारात्मक प्रभाव आने वाले दिनों में महिला पुलिसिंग व्यवस्था पर दिखे यह हम सभी की संयुक्त जिम्मेदारी है।
उपर्युक्त बातें आज शौर्य सभागार जैप-1, डोरंडा में आयोजित प्रथम राज्य स्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन 2024 के समापन समारोह में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन के अवसर पर महिला पुलिस के हक-अधिकार, उचित मांगों, समस्याओं के निराकरण इत्यादि से संबंधित जो आवश्यक सुझाव राज्य सरकार तक पहुंची है, इन सुझावों पर यथोचित विचार किया जाएगा।
हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्य के भीतर स्थापित पुलिस थानों में महिला पुलिस पदाधिकारी भी थाना इंचार्ज बन सके इसके लिए राज्य सरकार शीघ्र नियम बनाएगी। निश्चित रूप से थानों में वरीय पदाधिकारी के रूप में महिला पुलिस जिम्मेदारी संभाले ऐसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में राज्य स्तरीय पुरुष पुलिस सम्मेलन का आयोजन हो इसके लिए भी कैलेंडर बनाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस विभाग के वरीय अधिकारी पुलिसिंग व्यवस्था सिस्टम के जड़ तक पहुंचकर उसे मजबूत करने का कार्य करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य के पुलिसकर्मी क्षमतावान हैं फिर भी कुछ वादों का अनुसंधान इनकम टैक्स, ईडी, सीबीआई इत्यादि को सौंप दिया जाता है। आखिर ऐसा क्यों? इन विषयों को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की महिला पुलिस बल के बेहतरी के लिए क्या करने की जरूरत है इस पर बेहतर कार्ययोजना बनाई जाए। कुछ विषयों पर राज्य सरकार को नीति निर्धारण करने की आवश्यकता है तो कुछ चीजें पुलिस विभाग स्तर की हैं। महिला पुलिस के हित में पुलिस विभाग को भी आगे बढ़ने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार हर विभाग में सकारात्मक बदलाव के साथ आगे बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा मानना है कि राज्य स्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन वर्ष में एक बार नहीं बल्कि छह महीने में एक बार होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की पुलिसिंग व्यवस्था को आप इस कदर आगे बढ़ाएं कि राज्य के पुलिस बल में जहां आज महिला पुलिस की संख्या पांच से छः प्रतिशत है, वहीं आने वाले समय में यह संख्या 50 प्रतिशत तक पहुंचे, इस निमित्त जो भी सहयोग राज्य सरकार की ओर से आपको चाहिए वो हमारी सरकार करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में पुरुष और महिलाएं सिर्फ पुलिस विभाग में ही नहीं बल्कि कई क्षेत्रों में कंधे से कंधे मिलाकर समाज को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी भी महिला और पुरुष के बीच कुछ फासले हैं जिसे पाटने की जरूरत है। कार्यपालिका और समाज के अंदर महिला पुलिस की भूमिका अहम रहती है। कई संवेदनशील मामलों पर राज्य में कार्यरत महिला पुलिस कर्मियों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
अक्सर राज्य की पुलिस पर कई सवाल खड़ा होते हैं। कई सवाल गलत तो कई सवाल सही भी हो सकते हैं, यह मूल्यांकन का विषय है, इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें एक ऐसी पुलिसिंग व्यवस्था खड़ी करनी है जिसमें राज्य की आम जनता का पुलिस पर भरोसा कायम रहे। हेमन्त सोरेन ने कहा कि हमारी पुलिस आमजनों के बीच ऐसा कार्य करे जिसका परिणाम हमेशा न्याय संगत रहे।
उन्होंने कहा कि सामाजिक व्यवस्था सुधारना आपके हुनर और बेहतर कार्य शैली की बात है। कुछ चीजों को आसानी से सरलता पूर्वक सुधार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कई जगहों पर महिला समूहों की बड़ी संख्या है जैसे महिला कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, महिला से जुड़े शिक्षण संस्थानों के हॉस्टल्स इत्यादि। इन जगहों पर महिला पुलिस पदाधिकारियों का सीधा समन्वय होना चाहिए ताकि महिला से जुड़ी परेशानियों को जाना और समझा जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का हमेशा प्रयास है कि हमारी पुलिस व्यवस्था पर कोई उंगली न उठा सके या नकारात्मक कमेंट की गुंजाइश कम रहे। उन्होंने कहा कि समाज के अंदर बेहतर कार्यशैली का परिचय देते हुए रूढ़िवादी मानसिकता और व्यवस्था में बदलाव लाया जा सकता है।
चुनौतियों से लड़ेंगे तभी आगे बढ़ेंगेः पूर्णिमा महतो
झारखंड की अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज एवं कोच पूर्णिमा महतो ने महिला पुलिस सम्मेलन के दूसरे दिन अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने सभी महिला पुलिस कर्मियों से कहा कि वे जीवन में आने वाली चुनौतियों से नहीं घबरायें। खेलों के क्षेत्र में भी बहुत सारी चुनौतियां हैं। चुनौतियों से लड़ेंगे, तभी आगे बढ़ पाएंगे। तभी देश के लिए मेडल ला पाएंगे, जिससे देश का और झारखण्ड का नाम रौशन होगा।
उन्होंने कहा कि बच्चों को छोटी उम्र से ही प्रेक्टिस करना शुरू कर देना चाहिए। झारखंड पुलिस से बहुत कम बच्चे खेल में जा रहे हैं। हमें उन्हें प्रोत्साहित करना है। पूर्णिमा ने बताया कि उनका बहुत कम उम्र में ही खेलों के प्रति रुझान था। इसलिए वह इस क्षेत्र में आगे बढ़ती गईं। उन्हें द्रोणाचार्य अवार्ड, पद्मश्री अवार्ड से भी नवाज़ा गया। उन्होंने स्पोर्ट्स कोटा से आई महिला पुलिस कर्मियों से कहा कि वे ड्यूटी के साथ स्पोर्ट्स में भी अपनी भूमिका बनाएं, ताकि स्पोर्ट्स के जरिए देश और झारखण्ड का नाम भी रौशन हो।
जनप्रतिनिधियों का उद्देश्य सरकार की योजनाओं का लाभ जरुरतमंदों तक पहुंचानाः रश्मि लकड़ा
गुमला के दूधिया, भरणो ग्राम पंचायत की मुखिया रश्मि लकड़ा ने पंचायत प्रतिनिधि की भूमिका के बारे में बताया कि हम जनप्रतिनिधि का उद्देश्य है कि सरकार की योजनाओं का लाभ जरूरतमंद व्यक्ति तक जरूर पहुंचे। जनप्रतिनिधि स्थानीय लोगों के साथ नियमित संपर्क में रहते हैं और उनकी समस्याओं और जरूरतों को समझते हैं।
उन्होंने कहा कि पंचायत जनप्रतिनिधि और पुलिस के बीच आपसी सहयोग से अपराध के घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। पंचायत प्रतिनिधि स्थानीय स्तर पर हो रहे अपराधों की सूचना दे सकते हैं ताकि पुलिस अपनी कार्रवाई कर सके। पंचायत प्रतिनिधि गांव में होने वाली बैठक में पुलिस की भूमिका को सुनिश्चित कर सकते हैं। जिससे गांव के लोग पुलिस के सामने बेझिझक अपनी बात रखें।
जनप्रतिनिधि के सहयोग से पुलिस नशा मुक्ति, डायन बिसाही, बाल विवाह और बालश्रम जैसी कुप्रथायों पर भी रोक लगा सकते हैं। पंचायत प्रतिनिधि एवं पुलिस प्रशासन के बीच नियमित संवाद और बैठक का आयोजन करना चाहिए, ताकि समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके। इस तरह के संवाद से दोनों पक्ष के बीच आपसी समझ बढ़ेगी और सामूहिक रूप से समस्याओं का समाधान खोजने में सहायता मिलेगी।
महिला पुलिसकर्मियों ने पैनल डिस्कशन के माध्यम से रखी मांगे, दिये सुझाव
शौर्य सभागार जैप-01 में आयोजित दो दिवसीय प्रथम राज्य स्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन 2024 के दूसरे दिन पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। जिसमें सभी प्रतिभागियों ने छह मुद्दों पर प्रत्येक समूह द्वारा दिये गए सुझावों का अध्ययन, समीक्षा एवं अंतिम प्रस्तुतीकरण पर पैनल डिस्कशन किया। इस पैनल डिस्कशन में कई सुझाव और मांगें रखी गईं।
(1) ट्रैफिक ड्यूटी करने वालों के लिये सप्ताह में 01 दिन की छुट्टी। (2) जिला में कई वर्षों से रह रहे कर्मियों का ससमय स्थानान्तरण। (3) विधि-व्यवस्था ड्यूटी में जाने-आने की सुविधा। (4) छापामारी के दौरान कम से कम 04 महिला होनी चाहिये। साथ ही साथ पुरुष भी होने चाहिये। (5) महिला थाना में पुरुषकर्मी का भी पदस्थापन होना चाहिये। (6) महिला पुलिसकर्मियों का जब दूसरे जिला में स्थानान्तरण होता है तब उस जिले में बच्चों के स्कूल एवं कॉलेज में सत्र के बीच में नामांकन की सुविधा होनी चाहिये। (7) भाषा की जानकारी रखने वाले पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति होनी चाहिये। (8) कार्य अवधि के दौरान विशेष परिस्थिति में 4 से 5 घंटे की इमरजेंसी लीव मिलनी चाहिए। प्रत्येक माह मेडिकल चेकअप हो।
इसके अलावा दृष्टिकोण में परिवर्तन, महिलाओं की काउंसलिंग, भेदभाव जागरुक अभियान, पुरुषों को Gender sensitisation, महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना, प्रमोशन एव पोस्टिंग में रिजर्वेशन, गाईड लाईन का सही तरीके से अनुपालन होना और साथ-साथ महिला थाना में स्वीकृत बल, बॉडी पेयर की व्यवस्था, रोस्टर ड्यूटी सही से लगाई जाए, स्वास्थ्य को देखते हुए ड्यूटी लंबे समय तक ना लगाई जाए, विशेष अवकाश का पूर्ण लाभ, अवकाश हेतु ऑनलाईन की सुविधा मिले। वहीं समय पर यात्रा भत्ता मिले आदि बातें भी रखी गई।
गर्भवती महिलाओं के लिए
(1) प्रशिक्षण संस्थान में प्रेगनेंट महिलाओं के लिये अलग से सुविधा हो। (2) गर्भवती महिलाओं को केवल इंडोर प्रशिक्षण दिया जाए और गर्भवती महिलाओं के लिये अलग से ड्रेस कोड होनी चाहिये। उनके खान-पान के लिये अलग से भत्ता मिलना चाहिये।
समान अवसर नीति
(1) आरक्षी से पुलिस उपाधीक्षक तक महिलाओं की हिस्सेदारी 33% तक हो। (2) झारखण्ड राज्य में पुलिस उपाधीक्षक स्तर के पदाधिकारियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वरीय पदाधिकारी (पुलिस अधीक्षक/अपर पुलिस अधीक्षक / वरीय पुलिस उपाधीक्षक) के लिए पेंटेनियल रिव्यू कैडर रिव्यू आवश्यक है> (3) महिला पदाधिकारी/कर्मियों की प्रतिनियुक्ति गृह प्रमण्डल के अंतर्गत होना चाहिए। (4) अनुसंधान विभाग एवं विधि-व्यवस्था विभाग दोनों के लिए अलग अलग प्रतिनियुक्ति नीति का अनुपालन किया जाना चाहिए। (5) प्रत्येक जिले में महिलाओं को महिला थाना के अलावा जेनरल थाना में कम से कम 30% थाना प्रतिनिधित्व का मौका देना चाहिए। (6) इच्छुक महिलाओं के लिए फील्ड पोस्टिंग पॉलिसी बनानी चाहिए।
सकारात्मक कार्यवाही हेतु पहल
(1) पुलिस उपाधीक्षक रैंक के पदाधिकारियों का वर्दी भत्ता संशोधित कर के बढ़ाया जाना चाहिए। (2) वेटिंग फॉर पोस्टिंग की अवधि निश्चित होनी चाहिए ताकि रेगुलराईज करने में दिक्कत ना हो। (3) मातृत्व एवं पितृत्व अवकाश जिला स्तर पर दिया जाना चाहिए। (4) सप्ताह में एक दिन का अवकाश होना चाहिए। (5) जिन महिला कर्मी की एक ही बच्ची है और पति का देहांत हो गया है, तो उनकी पोस्टिंग गृह जिला में होना चाहिए। (6) रात्रि ड्यूटी के दौरान कम से कम दो महिलाएँ सशस्त्र होनी चाहिए। (7) जिला स्थानांतरण के बाद यदि पूर्व जिला में गवाही देने के लिए जाना पड़े तो उनके लिए पुलिस लाईन में (महिला पुलिस क्लब या गेस्ट हाउस) की सुविधा होना चाहिए। (8) प्रत्येक जिला में कैंटीन की सुविधा होनी चाहिए। (9) हर जिला में एक महिला जनशिकायत पदाधिकारी की नियक्ति होनी चाहिये। (10) महिला पुलिस कर्मियों के लिए प्रत्येक माह पुलिस मीटिंग की सुविधा होनी चाहिए ताकि वो अपनी समस्याओं को बता सकें।