लक्षण ठीक नहीं दीख रहे रांची प्रेस क्लब के, खरमास की समाप्ति का इंतजार ठीक नहीं
रांची प्रेस क्लब का चुनाव हो गया, परिणाम आ गये, पर अभी तक जीते प्रत्याशियों ने शपथ ग्रहण नहीं किये हैं। सूत्र बताते हैं कि जीते हुए प्रत्याशी खरमास समाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि जब आपने शपथ ग्रहण ही नहीं किया, तो आपने निर्णय लेना कैसे शुरु कर दिया? क्या बिना शपथ लिये बैठक कर आपको निर्णय लेने का अधिकार है? क्या ऐसी निर्णयों को मान्यता दी जा सकती हैं? सच्चाई तो यह है एक सामान्य व्यक्ति भी इस निर्णय को मान्यता नहीं देगा।
कुछ सवाल इस चुनाव को संपन्न कराने में लगे लोगों तथा इस चुनाव को जितना जल्द संपन्न हो सके, इसके लिए दबाव डालने वाले लोगों से, जब शपथ ग्रहण के लिए खरमास समाप्ति का इंतजार किया जा रहा है तो फिर चुनाव संपन्न कराने के लिए खरमास समाप्ति का इंतजार क्यों नहीं किया गया? क्या खरमास में चुनाव संपन्न कराने से सारे कार्य मंगलमय और खरमास में शपथ ग्रहण करने से सारे कार्य अंमगलमय होने लगते है? ये किस मस्तिष्क की उपज है भाई?
क्या जब–जब खरमास का महीना आयेगा, तब-तब रांची प्रेस क्लब, कोई शुभ कार्य आयोजित नहीं करेगी? क्या हर अच्छे कार्य को या सामान्य कार्य को इसलिए गति नहीं दिया जायेगा कि अभी खरमास चल रहा है। कितने दुर्भाग्य की बात है कि चुनाव हो गये, परिणाम आ गये, होना तो यह चाहिए था कि लोग जल्द शपथ ग्रहण करते और अपने कार्यों को गति देते, पर यहां तो अभी शपथ ग्रहण तक का तिथि किसी को पता नही है?
इसी बीच बिना शपथग्रहण के जीते हुए प्रत्य़ाशियों ने एक मीटिंग कर ली और सोशल साइट के माध्यम से सभी को बता दिया कि रांची प्रेस क्लब के मुख्य संरक्षक बलबीर दत्त होंगे। क्या रांची प्रेस क्लब के जीते प्रत्य़ाशी बता सकते हैं कि जब मुख्य संरक्षक बलबीर दत्त हो गये तो अन्य संरक्षकों के नाम कौन-कौन से हैं? क्योंकि मुख्य तो तभी होगा, जब उसके साथ अन्य संरक्षक भी होंगे और जब कोई संरक्षक का नाम ही नहीं तो फिर बलबीर दत्त मुख्य संरक्षक कैसे हो गये? किस बॉयलॉज या संविधान के अंतर्गत आपने निर्णय ले लिया?
क्या आप चुनाव जीत गये तो जो चाहे, वो निर्णय लेंगे, या बॉयलॉज अथवा संविधान के अनुसार निर्णय लेंगे? क्या जीते हुए प्रत्य़ाशियों को नहीं पता कि दुनिया में जहां भी प्रेस क्लब हैं, वहां जीते प्रत्याशी अपने मन से कोई निर्णय नहीं लेते, बल्कि प्रेस की संवैधानिक मान्यताओं के अनुरुप निर्णय लेते है। यहां सवाल बलबीर दत्त को सम्मान देने का नहीं, सवाल है कि आप रांची प्रेस क्लब को कैसे और किस रुप में चलाना चाहते हैं।
बीस दिन होने जा रहे है, शपथग्रहण नहीं, मीटिंग नहीं, कोई कार्यक्रम नहीं, रांची प्रेस क्लब का भवन बिन ब्याही जैसी लग रही है, जो ठीक नहीं। हमारा मानना है कि जो जीते प्रत्य़ाशी है, वे शीघ्र शपथ लें और प्रेस क्लब की संवैधानिक मान्यताओं के अनुसार अपने कार्यों को गति दें। अच्छा रहेगा कि पहला काम सफाई का करें, क्योंकि सूत्र बता रहे हैं कि रांची प्रेस क्लब में ऐसे–ऐसे लोग सदस्य बन गये हैं, जो पत्रकार हैं ही नहीं, इसकी सूक्ष्मता से जांच करें।
एक बात और, सुनने में आया कि जीते हुए प्रत्याशी दूसरे प्रांतों का दौरा करेंगे, वह भी अपने पैसे से। अपने पैसे से क्यों भाई? आप रांची प्रेस क्लब की बेहतरी के लिए जा रहे है, हमारी बेहतरी के लिए जा रहे हैं, इसमें अपना पैसा क्यों लगायेंगे? हम अपने उपर आपकी कृपा क्यों लें? आप रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारी हैं, आप रांची प्रेस क्लब के पैसे का इस्तेमाल कर सकते हैं, पर हमारे विचार से इसकी जरुरत ही क्या है? हमारा प्रेस क्लब, हमारी उपयोगिता इसमें दुसरा क्या मदद करेगा?
एक सवाल जीते हुए प्रत्याशियों से, कि क्या कोई युवक जो नया-नया घर संभालता है, वह घर संभालने और घर को नई दिशा देने के लिए किसी दूसरे शहर का भ्रमण का कार्यक्रम बनाता है क्या? क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब देश के प्रधानमंत्री बने तो देश चलाने के लिए पहली बैठक करने के बाद सारे मंत्रिमंडल को लेकर विदेश टूर पर निकल गये थे क्या? यह जानने के लिए कि देश कैसे चलाया जाता है? अरे जनाब अपना विवेक को देखिये, बायलॉज देखिये और अपनी दिक्कतों को जानते ही है, उन दिक्कतों को ठीक करने में लग जाइये, नहीं तो जो कर रहे हैं, वो तो हम देख ही रहे हैं।
सहमत।।
प्रणाम