राजनीति

झारखण्ड विधानसभा चुनाव महाराष्ट्र के साथ कराया जाना न्यायोचित नहीं, झारखण्ड को पूरा समय मिलना चाहिए, सुप्रियो ने समय पूर्व चुनाव की आशंका को देख चुनाव आयोग को भेजा मेल

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें आशंका है कि राज्य में कहीं समय पूर्व चुनाव न संपन्न करा लिये जाये। उन्होंने इन आशंकाओं को देखते हुए केन्द्रीय चुनाव आयोग को मेल भी किया है। उनका कहना है कि 23 सितम्बर को जब चुनाव आयोग को टीम रांची आई थी। उस वक्त भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि समय के पूर्व चुनाव की घोषणा जनादेश का अपमान, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक भी है।

उन्होंने कहा कि जनादेश पांच वर्षों के लिए मिला है। उस जनादेश में पांच मिनट की कमी भी अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक ही कहा जायेगा। उन्होंने कहा कि कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र का चुनाव नवम्बर में हैं। इसलिए झारखण्ड का चुनाव भी महाराष्ट्र के साथ करा लिया जायेगा। हालांकि हम चुनाव के लिए हरदम तैयार है। लेकिन जो जन-आकांक्षाएं हैं, वो प्रभावित न हो, इसकी उन्हें बस चिन्ता है।

उन्होंने कहा कि हमें दिसम्बर तक समय मिलना चाहिए। चुनाव आयोग ने हरियाणा को समय दिया। महाराष्ट्र को भी समय दे रही है। हर राज्य को उन्होंने समय दिया है, जो उनका हक भी है। ऐसे में झारखण्ड को भी वो समय दिया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता हैं तो ये माना जायेगा कि चुनाव आयोग ने झारखण्ड के साथ भेदभाव किया। उसकी यथोचित व न्यायोचित मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया।

सुप्रियो ने कहा कि 15 नवम्बर तक तो हमारे यहां पर्व-त्यौहार की ही धूम रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जैसे जम्मू-कश्मीर में अशांति व दुर्गम पहाड़ियों के बीच भी दो चरणों में चुनाव करा लिये गये। हरियाणा में झारखण्ड से भी अधिक विधानसभा की सीटें हैं। उसके बावजूद भी वहां एक दिन में चुनाव करा लिये गये, तो झारखण्ड में भी इसी प्रकार चुनाव क्यों नहीं कराया जा सकता। चुनाव आयोग को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।

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