अपनी बात

जन-आशीर्वाद से भरपूर हेमन्त की टीम को शीतकालीन सत्र में हंगामा खड़ाकर रोक पाना इतना आसान नहीं, विपक्ष की एक-एक हमलों की काट का तीर, तरकस में सजा कर सदन पहुंचेंगे हेमन्त

कल से शुरु हो रहे झारखण्ड विधानसभा के शीतकालीन सत्र को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने आवास पर मंत्रिमंडल में शामिल सभी मंत्रियों व अन्य विधायकों की बैठक बुलाई। बैठक में विपक्ष द्वारा विभिन्न मुद्दों को लेकर किये जानेवाले हंगामों को लेकर भी चर्चाएं हुई, साथ ही उन मुद्दों को कैसे जवाब दिया जाय, इसको लेकर भी सभी ने बातें रखी।

हालांकि इस शीतकालीन सत्र के पूर्व में हेमन्त सरकार द्वारा लिये गये एक्शनों व इधर पूरे राज्य में चल रहे आपकी योजना, आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में मिल रही सफलता से हेमन्त सरकार के हौसले बुलंद हैं। सरना धर्म, आरक्षण व स्थानीय नीति को लेकर सरकार द्वारा लिये गये फैसले और उसके बाद राज्यपाल द्वारा उन विधेयकों को लटका दिये जाने का मुद्दा भी सरकार के पास है, जिसका जवाब विपक्ष के पास नहीं हैं।

राज्य सरकार के कर्मियों को ओल्ड पेंशन स्कीम देने के साथ ही साथ पूरे राज्य में निजी संस्थानों में भी स्थानीयों को प्राथमिकता दे देने की राज्य सरकार की पहल का भी विपक्ष के पास कोई जवाब नहीं हैं। कोरोनाकाल के बाद से सरकार को गिराने के लिए विपक्ष के द्वारा किये गये नाना प्रकार के हथकंडों के बावजूद राज्य सरकार का मजबूती से चार सालों तक चलते रहना भी विपक्ष के आंखों की किरकिरी बना हुआ है।

राजनीतिक पंडितों की मानें, भले ही मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सफलता मिल गई हो। वैसी ही सफलता झारखण्ड में भी मिल जाये, इसकी संभावना यहां कम हैं, क्योंकि आदिवासी, अल्पसंख्यक, पिछड़ा बहुल इस राज्य में वर्तमान में हेमन्त सोरेन ने ऐसी पकड़ बना ली है कि इस पकड़ को ढीली कर पाना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर हैं।

हालांकि भाजपा पैतरें खुब बदल रही है। जैसे नेता प्रतिपक्ष में दलित को आगे करना। प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आदिवासी को रख देना। इससे दलित और आदिवासी उनके पक्ष में चले ही जायेंगे। ऐसा इतना आसान नहीं। आज भी आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़ों में हेमन्त सोरेन की पकड़ बहुत ही मजबूत है। उसका मूल कारण जनता के बीच उनकी लोकप्रियता का होना है। इसी लोकप्रियता के बल पर कल से शुरु हो रही शीतकालीन सत्र में उनकी और उनकी सरकार के हौसले बुलंद हैं, जिसकी काट विपक्ष के पास फिलहाल नहीं हैं।