जय हो जमशेदपुर में धमाल मचा रहे CM रघुवर के साले खेमराज की, सरयू राय ने खोली पोल
जमशेदपुर पूर्व से निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ रहे राज्य के पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने आज संवाददाता सम्मेलन कर सीएम रघुवर दास के साले खेमराज साहू के कृत्यों तथा उससे जुड़े मामलों को उठा दिया। जिनमें एक मामला तो फिलहाल न्यायालय में चल रहा है, क्योंकि इसका भुक्तभोगी मनीष दास जब देखा कि उसे न तो जिला प्रशासन मदद कर रहा हैं और न ही पुलिस प्रशासन तो वह हाईकोर्ट का रुख किया और वहा जनहित याचिका दायर कर न्याय तथा अपनी सुरक्षा की गुहार लगा दी।
जिस समाचार को विद्रोही24.कॉम ने 27 अगस्त 2019 को स्थान दिया था, जब मनीष दास ने 26 अगस्त को झारखण्ड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। आज एक बार फिर सरयू राय ने संवाददाता सम्मेलन कर इस मामले को उठाया तथा कुछ सवाल भी स्थानीय प्रशासन से पूछे, जिसका जवाब कम से कम स्थानीय प्रशासन के पास तो नहीं ही हैं, क्योंकि स्थानीय प्रशासन ने भी इस मामले में मनीष दास के साथ अन्याय ही किया है।
सरयू राय ने पूछा है कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवम्बर 2016 की रात से 500 रुपये तथा एक-एक हजार के नोटों के प्रचलन पर बैन लगा दिया, तथा स्पष्ट रुप से कहा कि जिनके पास ऐसे रुपये हैं, वे बैंक में जमा कराये, लेकिन यहां तीन दिन बाद 16 नवम्बर को सीएम रघुवर दास के अपने साले खेमराज साहू जो सोनारी में रहते हैं, उन्होंने 15 लाख रुपये नकद मनीष दास को कैसे दे दिये? आखिर इतने पैसे उनके पास कहां से आये? वे पैसे किसके थे?
सरयू राय का यह भी कहना था कि जो 15 लाख रुपये कैश मनीष दास को दिये गये, उसके बदले में उसकी जमीन की पॉवर ऑफ एटार्नी क्यों ली गई, तथा जमीन के अन्य कागजात क्यो लिये गये? जब मनीष दास सीएम रघुवर दास के साले खेमराज साहू को उसके पैसे लौटाने की कोशिश कर रहा हैं तो उसके साथ मार-पीट क्यों की जा रही हैं, अब मनीष दास को दिया गया 15 लाख रुपये को ब्याज के साथ 25 लाख लौटाने को क्यों कहां जा रहा, उसकी जमीन पर कब्जे करने का दबाव क्यों बनाया जा रहा हैं, और इस मामले में स्थानीय पुलिस खेमराज साहू को क्यों मदद कर रही हैं और खेमराज के इशारे पर मनीष दास के साथ मारपीट क्यों की जा रही हैं, जब मनीष दास इस मामले को लेकर उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक के पास गया तथा अपने उपर हो रहे जूल्म की प्रति सीएम तक को भेजी, फिर भी उसे न्याय क्यों नहीं मिला?
सरयू राय ने यह भी कहा कि जब उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक को इस मामले की जानकारी हुई तब उन्होंने इस अपराध की जांच एक सक्षम अधिकारी से क्यों नहीं करवाया? सरयू राय का कहना था कि जिला प्रशासन को तो चाहिए था कि इस मामले को वह आयकर विभाग के समक्ष प्रस्तुत करता, तथा पता लगवाता कि इस धन का स्रोत क्या है? यह काला धन है या इसे सफेद बनाने की कोशिश की जा रही है? आखिर इस पर किसी ने संज्ञान क्यों नहीं लिया? सच्चाई यह है कि अभी तक इस मामले की आयकर विभाग को जानकारी ही नहीं।
सरयू राय ने कहा कि जिला प्रशासन को तो यह पूछना ही चाहिए कि खेमराज साहू बिजनेस नहीं करते, कोई रोजगार नहीं करते, उनके पास पन्द्रह लाख रुपये कहां से आ गये? अगर उनके पास पन्द्रह लाख रुपये हैं तो कम से कम इन्कम टैक्स कभी न कभी तो जरुर ही भरा होगा, वो दिखाना चाहिए। सरयू राय ने कहा कि ये मामला सीएम रघुवर के शासन में आने के दो साल बाद का है, यानी दो साल में इन लोगों ने ऐसे-ऐसे काम को अंजाम दिये तो बाकी के सालों में इन लोगों ने क्या किया होगा, समझने की जरुरत है।
उन्होंने कहा कि ऐसा कहां लिखा है कि सीएम हो जाने के बाद उनके परिवार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी? जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन को काला धन मामले में खेमराज साहू के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, उसे पूछा जाना चाहिए कि वह बताए कि उनके पास ये उपलब्ध पैसे काले धन है या सफेद? उन्होंने कहा कि शासन तंत्र नियम से चलेगा, या सीएम रघुवर के साले के इशारों पर चलेगा?
सरयू राय ने यह भी कहा कि आश्चर्य की बात है कि सीएम रघुवर दास के साले खेमराज साहू को टाटा प्रबंधन की ओर से एक क्वार्टर भी मुहैया करा दिया गया हैं, वह भी तब जबकि खेमराज साहू टाटा प्रबंधन में कोई काम नहीं करते, आखिर टाटा प्रबंधन ने खेमराज साहू को क्वार्टर कैसे उपलब्ध करा दिया, जरुर उपर से दबाव होगा। जबकि सामान्य व्यक्ति को टाटा प्रबंधन के क्वार्टर प्राप्त करने में धूएं छूट जाते हैं? क्या सीएम पद पर आ जाने के बाद उनके परिवारों के लिए सारे नियम-उपनियम ताक पर रख दिये जाते हैं।