राजनीति

भाजपा के 10 वर्षों के कुशासन से व्यथित झारखण्डी जनता ने केन्द्र से मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बनाया, इसलिए भाजपाइयों की स्थिति खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे जैसीः सुप्रियो

झारखण्ड में सिंहभूम का इलाका हो या लोहरदगा, खूंटी, पलामू या चतरा, सभी जगहों के आदिवासियों व मूलवासियों ने इस बार मन बना लिया है कि पिछले दस वर्षों के कुशासन व उनके अरमानों से खेलने का जो प्रयास भाजपा द्वारा किया गया है, उसका वे जवाब इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को देंगे। पूरे राज्य की जनता व्यथित और आक्रोशित है, क्योंकि जो व्यवहार भाजपा के जनप्रतिनिधियों का इन दस सालों में रहा है, वो आम जनता को निराश किया है।

शायद जनता की यही नाराजगी से भाजपाइयों को परेशानी हो रही है और वे इस प्रकार की भाषा बोलने लगे हैं, जिसे सही किसी भी हालत में नहीं ठहराया जा सकता। यह वक्तव्य है झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य का, जिन्होंने आज झामुमो प्रदेश कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत के क्रम में कही।

सुप्रियो ने कहा कि हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से जब वहां की जनता ने कुछ सवाल दागने शुरु किये और जब जवाब उनका मुख्यमंत्री द्वारा नहीं मिला तो आम जनता उठकर उस सभा से जाने लगी। फिर क्या था, मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा कहते है कि महादेव की सौगंध, अगर हिन्दू हो यही बैठ जाओ।

मतलब साफ है कि इन भाजपाइयों के पास अब कोई मुद्दा नहीं रहा, बस एक ही मुद्दा रहा है वो है सांप्रदायिकता का। अब ये भ्रष्टाचार पर भी नहीं बोलते। अब ये अबकी बार 400 पार का नारा भी नहीं लगा रहे। क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी यानी एनडीए की विदाई तय है। शायद यही बौखलाहट इनकी भाषा को प्रभावित कर रही है।

सुप्रियो ने कहा कि झारखण्ड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी इंडिया गठबंधन के न्याय महारैली को लेकर क्या टिप्पणी कर रहे हैं। वे रोजगार पर नहीं कुछ बोलते। बोल रहे है कि 36 में ओलपिंक होस्ट करना है। अरे ओलंपिक अब राजनीतिक मुद्दा होगा। जब ओलंपिक को ही मुद्दा बनाओगे तो महंगाई, शिक्षा, रोजगार, महिलाओं की भागीदारी पर फिर कौन बोलेगा।

इसका अर्थ यह हुआ कि दिशाहीन लोगों ने धर्म के नाम पर लोगों को बांटना शुरु कर दिया है। अरे धर्म तो हमारी आस्था है। धर्म पर ही बोलना है तो बोलो कि आदिवासियों के सरना धर्म कोड पर तुम्हारी क्या राय है। ये लोगों को डराने का काम कर रहे हैं। न्याय रैली जो हो रही हैं। उसके खिलाफ ये लोगों को भरमाने की कोशिश कर रहे हैं।

जबकि इंडिया गठबंधन के उस दिन की रैली में देश की सच्चाई बताने के लिए उस सभा में खरगे, राहुल गांधी, शरद पवार, लालू यादव, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, प्रियंका चतुर्वेदी, सीताराम येचुरी, दीपांकर भट्टाचार्य, टी राजा, फारुख अब्दुल्ला जैसे लोग आ रहे हैं, क्योंकि सभी जानते है कि यहां क्या अन्याय हुआ है हेमन्त सोरेन के साथ। लगातार ईडी का जो दमनकारी कार्य हो रहा है, वो क्या बता रहा है। भाजपा की हालत तो अब खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे जैसी हो गई है।