समाचार कवरेज करने गये पत्रकारों को झारखण्ड पुलिस ने जमकर पीटा, रांची प्रेस क्लब मौन
रांची के मोराबादी मैदान में झारखण्ड राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम का समाचार संकलन करने गये रांची के विभिन्न मीडिया संस्थानों में कार्यरत पत्रकारों-छायाकारों को झारखण्ड पुलिस ने जमकर पीटा। आश्चर्य है कि जिनके हाथों में कैमरे थे, उनको पुलिसकर्मियों ने ज्यादा अपना निशाना बनाया। उनके हाथ-पैर तोड़ने की अच्छी प्रबंध झारखण्ड पुलिस ने की थी, पर इनके हाथ-पैर तो नहीं टूटे, लेकिन इन पत्रकारों-छायाकारों की हालत तो जरुर पस्त कर दी।
आश्चर्य इस बात की है कि रांची में इतनी बड़ी घटना घट गई, पर घंटों बीत जाने के बाद भी रांची प्रेस क्लब के किसी भी बड़े पदाधिकारियों के इस संबंध में बयान अब तक सुनने/देखने को नहीं मिले, जबकि झारखण्ड पुलिस के द्वारा पीटे जाने में रांची प्रेस क्लब के अधिकारी भी शामिल है।
पत्रकारों-छायाकारों के साथ हुए इस दुर्व्यवहार और पिटाई को लेकर कांग्रेस-झामुमो-झाविमो आदि पार्टियां मुखर है, साथ ही अन्य दलों ने भी इस घटना की कड़ी निन्दा की है, पर रांची प्रेस क्लब शायद किसी ज्योतिषी का इंतजार कर रहा है, कि वे कब समय निर्धारित करें कि इसके पदाधिकारी बयान जारी करें। रांची प्रेस क्लब के इस घटना पर मौन रहने तथा कोई बयान नहीं जारी करने पर कई स्थानीय पत्रकारों ने रांची प्रेस क्लब के इन हरकतों की कड़ी निन्दा की है।
इधर कई लोगों का कहना है कि झारखण्ड पुलिस का पत्रकारों व छायाकारों पर लाठी बरसाना इस बात का संकेत है कि वे अपनी विफलता का खीझ निकालना चाहते थे, और उनके रास्ते में जो भी मिले, उन्होंने अपना खीझ निकाल लिया, जिसके शिकार बने पत्रकार व छायाकार। कुछ पत्रकार व छायाकार इस घटना से बहुत ही दुखी है, साथ ही झारखण्ड पुलिस को माफ करने के मूड में नहीं है, कुछ रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के इस घटना पर मौन रहने से भी खफा हैं।
अमित मिश्र के शब्दों में ‘सुना है रांची में प्रेस क्लब है, सम्मानित पत्रकार साथियों में से कुछ उसके पदाधिकारी भी है। अरे भाई कुछ पत्रकार साथी पीटे गये हैं। जोरों की चोट भी लगी है। जागिये कुछ भर्त्सना वगैरह करिये’। पंकज जैन के शब्दों में ‘प्रेस क्लब निंदा भी करता है।’ लोकेश वैद्य के शब्दों में ‘कोई फायदा नहीं, पत्रकार मार खाता है, उसे गाली दिया जाता है, लेकिन अखबार ही उसे नहीं छापता है।’
दुःखद