मूड में हैं दैनिक भास्कर, सीएम और कनफूंकवों को दिखा रहा आइना
अपनी-अपनी ताकत हैं, किसी को सत्ता की ताकत, तो किसी को कलम की ताकत। कुछ लोग सीएम की आरती उतारने को ही पत्रकारिता कहते हैं और कोई जनसरोकार से जुड़ी हुई बातों को पत्रकारिता कहते हैं। इन दिनों दैनिक भास्कर मूड में हैं। दैनिक भास्कर लगातार मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनकी सरकार को बता रहा हैं कि आप गलत है, आप गलत दिशा में जा रहे हैं। अब भला कोई मुख्यमंत्री को आइना दिखाये, शहंशाह-जहांपनांह-मोदिया-ए-सल्तनत को आइना दिखाये। ये तो बर्दाश्त से बाहर है।
जहांपनाह-शहंशाहे मोदिया-ए-सल्तनत के आगे-पीछे चल रहे कनफूंकवों ने जहांपनाह रघुवर के कान फूंक दिये, लीजिये जहांपनाहं गुस्सा गये, और हुक्म दिया कि दैनिक भास्कर के विज्ञापन पर रोक लगाई जाय, विज्ञापनों में कटौती की जाय, उधर जहांपनाह का हुक्म और इधर कनफूंकवों ने सरजमीं पर उतार दिया।
इधर लगातार प्रथम पृष्ठ पर ऐसी-ऐसी खबरे, दैनिक भास्कर परोस दे रहा है कि जिससे उसके प्रतिद्वंदी भी हैरान और परेशान हैं। दैनिक भास्कर ने एक तीर से दो शिकार करना शुरु कर दिया। एक ओर मुख्यमंत्री रघुवर दास को वह आइना दिखाकर जनता के बीच लोकप्रिय भी हो रहा हैं और दूसरी ओर अपने घुर प्रतिद्वंदी प्रभात खबर को धूल भी चटा रहा हैं, अब तो लोग कहने भी लगे हैं कि जनता के बीच का अखबार देखना है तो दैनिक भास्कर देखिये और सरकार की आरती उतारनेवाली खबर देखनी हो, तो किसी पर नजर डाल दीजिये, सच्चाई सामने आ जायेगी।
जरा देखिये, दैनिक भास्कर को, आज उसने विधानसभा में सीएम की करतूतों को प्रथम पृष्ठ पर स्थान दिया और बता दिया कि सीएम, आप गलत है, तभी तो आपके अपने विधायक, यहां तक की मंत्री भी आपके साथ नहीं हैं। शर्म करिये।
जरा देखिये, मोमेंटम झारखण्ड का सच: एक और लखटकिया कंपनी सामने आई, 39 दिन पहले आई, और 2900 करोड़ का एमओयू करा लिया और उसे 141 एकड़ जमीन भी दे दी।
दैनिक भास्कर ने बताया कि हे रघुवर! ये हाइवे नहीं, 2 किलोमीटर तक कट बंद, मतलब शहर बंटा।
मोमेंटम झारखण्ड से चंद दिन पहले बनी एक लाख पूंजीवाली कंपनी से राज्य सरकार ने किया 1900 करोड़ का एमओयू
प्रशासन के पैरो तले सब्जी विक्रेता, पुलिस ने गरीब महिला सब्जी विक्रेताओं पर हाथ भी उठाए, फोटो आपके सामने हैं, अखबार दिखा रहा है।
जरा देखिये निदेशक और मंत्री का बयान, क्या हाल हैं, राज्य के ओडीएफ का।
इसी प्रकार झारखण्ड में 36.13 प्रतिशत फीसदी भ्रष्टाचार बढ़ गया, पर रघुवर सरकार को शर्म ही नहीं, रांची के अन्य अखबार व चैनल रघुवर स्तुति में मग्न हैं, क्योंकि उन्हें भय सताता है कि सीएम रघुवर अगर नाराज हो गये तो, ऐसे में विज्ञापन कहां से मिलेगा और जो अखबार की आड़ में उनके आका गलत करते हैं, उसे हरी झंडी कैसे मिलेगी, इसलिए चाहे जो हो जाये, झारखण्ड भाड़ में जाये, कम से कम हम तो जब तक रघुवर दास रहेंगे, गलत को सहीं ही कहते हुए, अखबारों और चैनलों में रघुवर स्तुति गाते रहेंगे। शायद रांची के इन मठाधीश पत्रकारों का एकमात्र संकल्प यहीं रह गया हैं।